- सुविख्यात साहित्यकार चित्रा मुद्गल समेत छह पत्रकार सम्मानित
- महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जयंती पर हुआ समारोह
इस मौके पर मुख्य अतिथि जगमोहन सिंह राजपूत ने कहा कि हमें जिन्दगी भर सीखते रहना चाहिए। सीखते रहने से हमारी संवेदनाएं बढ़ती हैं, संवेदनाएं बढ़ने से हमारी व्यग्रता कम होती है और उग्रता समाप्त होती है। उन्होंने कहा कि अगर मनुष्य मात्र ज्ञान ही अर्जित करता रहे तो वह स्वयं को नष्ट कर लेता है। जबकि मनुष्य को मेधा, बुद्धि और विश्लेषण की क्षमताओं को स्वयं में विकसित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज बच्चों को मनुष्य बनाइये। उनमें अध्ययन, मनन, चिंतन और इनके उपयोग की क्षमताओं का विकास करने की आवश्यकता है। चित्रा मुद्गल की ओर से उनकी पुत्रवधु शैली मुद्गल ने चित्रा जी के लिखे विचारों को प्रस्तुत किया। चित्रा जी के अनुसार मेवाड़ संस्थान मालवीय जी के जीवन मूल्यों पर आधारित शिक्षा प्रदान कर रहा है, यह उल्लेखनीय प्रयास है। मालवीय जी स्वाधीनता संग्राम के इतिहास पुरुष थे। साहित्य, शिक्षा, समाजसेवा और देश के प्रति उनका अवदान बहुमूल्य है। राम बहादुर राय ने अपने सम्बोधन में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के आदर्शों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मालवीय जी व्यक्ति नहीं व्यक्तित्व थे। वह सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के बड़े उदाहरण हैं। मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार गदिया ने कहा कि मालवीय जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी, पत्रकार, वकील, गायक, कथावाचक, देशभक्त व युगदृष्टा थे। देश में प्रोफेशनल्स तैयार हो सकें इसके लिए उन्हांने बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी बनाई। इससे पूर्व अतिथियों ने मां शारदा, भारत माता और महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के चित्र पर पुष्पार्पित कर दीप जलाकर समारोह की शुरुआत की। बीएड की छात्राओं नंदिनी, दिव्या और मुस्कान ने क्रमशः सरस्वती वंदना, कविताएं और मालवीय जी पर सम्भाषण प्रस्तुत किया। मेवाड़ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल ने मालवीय जी के प्रति अपने विचार प्रकट करने के साथ ही सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। संचालन अमित पाराशर ने किया।
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