आलेख : मौत के खतरों व रहस्यों को समेटे सुंदरबन की महारक्षक हैं बनबीबी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 24 दिसंबर 2024

आलेख : मौत के खतरों व रहस्यों को समेटे सुंदरबन की महारक्षक हैं बनबीबी

Sunderwan
ऐसे समय में जब भारत में हिंदू-मुस्लिम के नाम पर आपसी प्रेम का विभाजन जारी है। तब एक ऐसे देवी का नाम सामने आता है जिनपर हिंदू और मुस्लिम दोनों श्रद्धा रखते हैं। वनदेवी को लेकर हमारे कथा कहानियों में बहुत कुछ दर्ज है। लेकिन अगर बात पश्चिम बंगाल की करें तो यहां विशेषकर सुंदरबन के दुर्गम इलाकों में वनदेवी बनबीबी के रुप में पूजीं जाती हैं। यह एक ऐसी देवी हैं जिसे हिंदु व मुसलमान सम्प्रदाय केलोग समान रुप से पूजते हैं और यह देवी इनके लिये खास हैं। फिर चाहे बंगाल में स्थित सुंदरबन का हिस्सा हो या फिर बांग्लादेश। हर जगह बनबीबी समान तौर पर वंदनीय हैं। तीन दशक से ज्यादा के पत्रकारिता जीवन में सुंदरबन के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध दक्षिण चौबीस परगना जिले को काफी करीब से देखने का अवसर मिला। अपने आप में रहस्यों को समेटे सुंदर बन में कम से कम 100 द्वीप थें और अभी 54 में लोग रहते हैं। जब भी यहां जाए तो यह कुछ अलग दिख जाता है। जाहिर है कि सुंदरबन की बनबीबी मेरे लिये भी पूज्यनीय रहीं है क्यों कि तमाम बार सुंदरबन से पाला पड़ा। यहां मौत को भी मैने बेहद करीब से अनुभव किया है लेकिन इसे सुंदरबन का तिलस्म कहें या फिर कुछ और वहां खिंचा चला जाता हूं। यहां के तमाम जगहों पर इस देवी का मंदिर है। माता देवी दुर्गा के जैसे ही दिखती हैं और बाघ पर सवार हैं। स्थानीय हिंदू उन्हें बन दुर्गा (बोनदुरगा), बनदेवी या बनबीबी कहते हैं। उनकी मुर्ति देवी दुर्गा के जैसी है। 


आमतौर पर लाला साड़ी पहने हुए, सिर पर  मुकुट, गले में माला, हाथ में गदा, त्रिशूल और तलवार लिए भी दिखतीं है। बनबीबी के बारे में सुंदरबन के लोगों का कहना है कि वह एक फकीर की बेटी थीं। सुंदरबन में उनका सबसे बड़ा दुश्मन था एक जमींदार दक्खिन राय (दक्षिण का राजा)। जनश्रुति है कि वह शेर बनकर में सुंदरबन के निवासियों का भक्षण करता था। जनश्रुति है कि ईश्वर ने दक्खिन राय के आतंक से लोगों को निजात दिलाने के लिये बनबीबी को चुना। एक धार्मिक यात्रा के बाद बनबीबी जब वापस लौटती है तो भी पर दक्खिन राय का वध नहीं करती हैं वरन इस शर्त पर उसकी उसे नहीं मारती हैं कि जो कोई उनकी (बनबीबी) पूजा करेगा वह उनको कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा। जैसा कि नाम ही है सुंदरबन । यहां के घने जंगलों में मौत किस रूप में आ जाए कोई नहीं जानता है। ऐसे में इन खतरों से सुरक्षा के लिए बनबीबी सदियों से पूजी जाती रही हैं। सुंदरबन में सर्वत्र इस देवी के मंदिर धिक जाते है। यहां के जंगलों में स्थित बक्खाली लोगों को लुभाता है। यहां समुद्र के किनारे बनबीबी का एक नामचीन मंदिर है। लोग मन्नत पूरी होने पर बनबीबी के भक्त मंदिर परिसर में लगे बरगद के इस पेड़ में कपड़ा बांधते हैं।कहते हैं कि इस्लाम में पूजा पाठ नहीं होता है। लेकिन बनबीबी के मामले में यह अपवाद ही साबित होता रहा है। सुंदरबन में तमाम महिलाओं ने बताया कि, जब उनके घर के पुरुष सदस्य घने जंगलों में मछली, केकड़ा, चिंगड़ी पकड़ने या फिर लकड़ियां लाने व मधु संचय के लिये जाते हैं तो कोई भी दावे के साथ नहीं कह सकता है कि वह जिंदा घर वापस आएगें। उक्त समय मां बनदेवी या फिर बनबीबी ही उनकी बाघ, मगरमच्छ व अन्य जंगली जीवों से रक्षा करती हैं। यही कारण है कि महिलाएं बनदेवी के दलान में मत्था टेक कर रक्षा की गुहार करती है। अगर बनबीबी के बारे में जानना है तो सुंदरबन क्षेत्र में एक लोककथा प्रचलित है "बोनबीबीर जहूरनामा" उसे सुनना जरुरी होगा। इसी तरह से बांग्लादेश के सुंदरबन क्षेत्र में भी बनबीबी के कई मंदिर है।





जगदीश यादव

(लेखक वरीय पत्रकार है) 

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