सीहोर : आज किया जाएगा भागवत कथा में भगवान श्रीकृष्ण के विवाह का वर्णन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 28 दिसंबर 2024

सीहोर : आज किया जाएगा भागवत कथा में भगवान श्रीकृष्ण के विवाह का वर्णन

  • अपने माता पिता गुरुओं को आदर सत्कार अपना धर्म समझ कर करना चाहिए : संत गोविन्द जाने

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सीहोर। भक्ति रस का नशा सबसे बड़ा नशा है। जो भक्ति रस में डूब जाता है उसकी नैया खुद ही प्रभु किनारे लगा देते है। अपने माता पिता गुरुओं को आदर सत्कार अपना धर्म समझ कर करना चाहिए। शबरी की कथा भगवान के प्रति भक्ति और प्रेम का एक मानक प्रस्तुत करती है। शबरी ने अपनी प्रतीक्षा के बल पर राम को प्राप्त किया है, वहीं गोपियों ने अपने भक्ति रस से भगवान उस अविनाशी को अपने निकट पाया है। उक्त विचार शहर के सिंधी कालोनी स्थित मैदान पर गोदन सरकार सेवा समिति हनुमान मंदिर सीहोर के तत्वाधान में जारी सात दिवसीय भागवत कथा के पांचवे दिवस संत गोविन्द जाने ने कहे। शनिवार को आसमान पर बादल छाए हुए थे, सुबह हल्की बारिश के बावजूद भी बड़ी संख्या में आए श्रद्धालुओं ने कथा का श्रवण किया। कथा स्थल पर कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा और मध्यप्रदेश के राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा भी पहुंचे।  


संत गोविंद जाने ने अपने श्रीमुख से श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराया। आस्था से ओतप्रोत श्रद्धालुओं को भगवान श्री कृष्ण और रामजी के चरित्र का वर्णन करते हुए प्रसिद्ध संत गोविंद जाने ने भगवान राम के नाम के प्रभाव के बारे में बताया कि राम ने तो केवल एक अहिल्या का उद्धार किया पर रामजी के नाम सुमिरन से करोड़ों जीवों का कल्याण हो गया। राम सेतु निर्माण के समय भगवान का नाम लिखने से पत्थर भी तैर जाते हैं। रामजी के भजन के साथ माता, पिता, सास, ससुर की सेवा करें, यही सच्चा पुण्य है। जिसके साथ कोई नहीं होता है, उसके साथ ईश्वर होता है। उन्होंने कहा कि शबरी बनकर बैठों राम अवश्य मिलेगा। शनिवार को भागवत कथा के दौरान संत गोविन्द जाने ने भगवान शिव और भगवान श्री कृष्ण का प्रसंग का वर्णन किया। अधर्म पर धर्म की विजय के लिए श्रीमद् भागवत कथा अमृतवाणी का रसपान कर अपने जीवन को धन्य बनाएं, ऐसा संयोग जीवन में जब भी मिले, उसे हाथ से नहीं जाने देना चाहिए। श्रीकृष्ण की जीवन लीला जन्म के साथ ही संघर्ष से भरी रही है, लेकिन वह हमेशा मुस्कराते और बंशी बजाते रहते थे। दूसरों को भी समस्याओं को ऐसे ही मुस्कराते हुए सुलझाने की सीख देते थे। विषम परिस्थिति में भी हम सुखी रह सकते हैं, अगर मन यह मान लें कि दुख है ही नहीं। दुख होते हुए भी न हरि को भूलो न जग छोड़ो।

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