- आज मनाया जाएगा भगवान गणेश उत्सव
कथा वाचक पंडित राहुल ने कहा कि राजा दशरथ को उनके पुण्य कर्मों का फल मिला और प्रभु श्री राम के रूप में भगवान नारायण ने उनके यहां जन्म लिया। रावण भी बड़ा प्रतापी था और महान शिव भक्त भी था, लेकिन वह अहंकारी था। रावण को प्रभु श्री राम तो मिले, लेकिन काल के रूप में जो जीते जी प्रभु को नहीं पहचान पाया। धर्म को धन और अच्छे आचरण के साथ जरूरतमंदों की सेवा को अपनी संपत्ति समझो, जिसे जितना हो जमा करो। ईश्वर यही देखता है बाकी उसे आपके वैभव और संपत्ति से कोई लेना-देना नहीं होता। आज से और अभी से अपने खाते को अच्छे कर्मों से भरना शुरू कर दो, तो आपका जीवन धन्य हो जाएगा। भगवान राम जब लंका पर विजय प्राप्त करके लौट रहे थे तो उन्होंने गंधमादन पर्वत पर विश्राम किया और वहां पर ऋषि मुनियों ने श्रीराम को बताया कि रावण एक ब्राह्मण था। उसका वध करने से उन पर ब्रह्महत्या का दोष लगा है, जो शिवलिंग की स्थापना करके ही दूर हो सकता है। शिवलिंग की स्थापना के लिए भगवान राम ने हनुमानजी से शिवलिंग लाने को कहा। मगर कैलाश पर्वत पर पहुंचकर हनुमानजी को भगवान शिव नजर नहीं आए तो वह वहीं भोलेबाबा के प्रकट होने के लिए तपस्या करने लगे। इधर रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना का मुहूर्त निकला जा रहा था। भगवान शिव ने प्रकट होकर हनुमानजी को शिवलिंग प्रदान किया लेकिन तब तक माता सीता मुहूर्त निकल जाने के भय से बालू का शिवलिंग स्थापित कर चुकी थीं।
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