कविता : क्यों लड़कियां बोझ कहलाती हैं? - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 11 जनवरी 2025

कविता : क्यों लड़कियां बोझ कहलाती हैं?

मान लिया था मैंने भी कुछ ऐसा कि,

कभी कभी गलतफहमियां हो जाती हैं,

हमारे कानों में भी कभी कभी,

सही बात ग़लत बन जाती है,

पर हर बात सही नहीं होती,

आज मैंने इन कानों से साफ़ साफ़ सुना,

फिर भी मैंने अपने मन को ग़लत चुना,

दिलासा दिया मैंने अपने ही मन को,

होता रहता है ये सब कुछ तो,

मेरे कानों में वो बात आज भी टकराती है,

दुनिया की नज़र में बेटी बोझ कहलाती है,

फिर भूल गई थी कुछ दिन में मैं वो बात,

फिर आज मैं चल ही रही थी कि,

किसी ने निकली यही वो एक बात,

मैंने सोचा क्यों न रोकूं मैं इसे आज,

एक बार तो टोकूं और पूछूं उससे बात,

क्यों बार बार ये एक बात आती है?

क्यों लड़कियां बोझ कहलाती हैं॥




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सरिता आर्य

कक्षा-12

कपकोट, बागेश्वर

उत्तराखंड

चरखा फीचर्स

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