इसके अतिरिक्त माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा एम सी मेहता बनाम तमिलनाडु सरकार 1996 में दिए गए आदेश के आलोक में नियोजकों से ₹20000 प्रति बाल श्रमिक की दर से अलग से राशि की वसूली की जाएगी जो जिलाधिकारी के पदनाम से संधारित जिला बाल श्रमिक पुनर्वास सह कल्याण कोष में जमा किया जाएगा । इस राशि को जमा नहीं कराने वाले नियोजक के विरुद्ध एक सर्टिफिकेट केस या नीलाम पत्र वाद अलग से दायर किया जाएगा । आज की इस धावा दल टीम के सदस्य के रूप में गोविंद कुमार श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी, रहिका, हितेश कुमार भार्गव श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी खजौली, सिद्धार्थ कुमार, श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी, हरलाखी, हरी प्रसाद, सर्वो प्रयास संस्था के प्रतिनिधि, जितेंद्र कुमार ग्राम विकास युवा ट्रस्ट के प्रतिनिधि एवं पुलिस लाईन से पुलिस टीम शामिल थे । धावा दल की टीम के द्वारा आज मधुबनी सदर के विभिन्न क्षेत्रों में सभी दुकान एवं प्रतिष्ठान में सघन जांच की गई तथा सभी नियोजको से किसी भी बाल श्रमिक को नियोजित नहीं करने हेतु एक शपथ पत्र भरवाया गया। श्रम अधीक्षक के द्वारा बताया गया कि धावा दल नियमित रूप से 30 मार्च 2025 तक प्रत्येक दिन संचालित होगा तथा जिला के सभी प्रखंड एवम नगर निकायों क्षेत्रों में बाल श्रमिकों को नियोजित करने वाले नियोजकों के विरूद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
मधुबनी (रजनीश के झा)। जिला पदाधिकारी अरविन्द कुमार वर्मा के निर्देश के आलोक में 10 जनवरी से 31 मार्च तक बाल श्रम के विरुद्ध लगातार आम जनमानस के बीच जन जागरूकता एवं समाज के प्रत्येक वर्ग को बाल श्रम के विरुद्ध सजगता एवं धावा दल के द्वारा बाल श्रमिकों की विमुक्ति हेतु मधुबनी सदर के विभिन्न दुकानों एवं प्रतिष्ठानों में सघन निरीक्षण एवं व्यापक प्रचार प्रसार किए जाने का निर्देश दिया गया है।इसी क्रम मे आज 28 जनवरी को श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी रहिका, श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी खजौली एवं श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी, हरलखी के नेतृत्व में मधुबनी सदर में बाल श्रमिकों की विमुक्ति हेतु जिला पदाधिकारी, मधुबनी के निर्देशानुसार धावा दल के द्वारा विभिन्न दुकानों एवं प्रतिष्ठानों में सघन जांच अभियान चलाया गया तथा निरीक्षण के क्रम में आरिफ साईकिल गैरेज से 01, न्यू पूजा स्टोर्स से 01 एवम जय गुरुदेव वैष्णव होटल, से एक 01 अर्थात कुल 03 (तीन) बाल श्रमिक को विमुक्त कराया गया । विमुक्त बाल श्रमिक को बाल कल्याण समिति, मधुबनी के समक्ष उपस्थापित कर निर्देशानुसार उन्हें बाल गृह में रखा गया है । बाल एवं किशोर श्रम ( प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम 1986 के तहत नियोजक के विरुद्ध संबंधित थाने में प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई की जा रही है । श्रम अधीक्षक आशुतोष झा ने बताया कि बाल श्रमिकों से किसी भी दुकान या प्रतिष्ठान में कार्य कराना बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम 1986 के अंतर्गत गैरकानूनी है तथा बाल श्रमिकों से कार्य कराने वाले व्यक्तियों को ₹20000 से ₹50000 तक का जुर्माना और 2 वर्षों तक के कारावास का प्रावधान है ।
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