हम सभी जानते हैं कि दिल्ली के लिए उत्तर प्रदेश गंगा नदी से और पंजाब भाखरा नांगल से पानी की आपूर्ति करते हैं। यह आपूर्ति केवल राज्य राज्य के संबंधों के बीच होने वाली आपूर्ति ही नहीं है, इसके पीछे हमारे राष्ट्रीय परिवेश को समरस और मानवीय बनाए रखने वाले भावनात्मक संबंध भी हैं । जिनके अंतर्गत हम यह मानते हैं कि दिल्लीवासी भी अपने भाई हैं। वैसे भी दिल्ली में सारे भारत के लोग निवास करते मिल जाते हैं। 2023 की एक रिपोर्ट के आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली को हर दिन यमुना से 38.9 करोड़ गैलन, गंगा नदी से 25.3 करोड़ गैलन और भाखरा-नांगल से 22.1 करोड़ गैलन पानी मिलता है। इतने सारे पानी को जानबूझकर प्रदूषणयुक्त करने या दिल्ली वालों को मारने की भावना से पानी को जहरीला कर भेजने की प्रवृत्ति कभी भी नहीं पनप सकती। उपरोक्त पानी से ही राजधानी वालों का काम नहीं चलता। राजधानी में मौजूद कुंए, ट्यूबवेल और भूगर्भीय जल से 9 करोड़ गैलन पानी आता है। वर्ष 2024 में यह आंकड़ा और आगे बढ़ गया है। वर्तमान में दिल्ली को प्रतिदिन 129 करोड़ गैलन पानी की आवश्यकता होती है। यह भी एक सर्वविदित तथ्य है कि दिल्ली अपनी आवश्यकताओं को अपने आप पूरा नहीं कर सकती। चाहे खाद्य पदार्थ हों, चाहे दूध जैसे पेय पदार्थ हों, इसे दूसरे राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है। इसीलिए दिल्ली को एक स्वतंत्र राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सका है। यह अपनी आवश्यकताओं का 90% पानी भी बाहर से ही प्राप्त करती है।
मुफ्त की रेवड़ी बांटने का लालच देकर आम आदमी पार्टी की सरकार पिछले 10 वर्ष से दिल्ली का बंटाधार करती रही है। इसने ऐसी कोई व्यवस्था नहीं दी है, जिससी दिल्ली वालों का किसी प्रकार से भला हो सके । किसी को बस का किराया मुक्त करके अपने साथ लगाने का प्रयास किया गया है तो किसी को मोहल्ला क्लीनिक आदि के माध्यम से बांधने का प्रयास किया गया है । दिल्ली के बुनियादी विकास को सुव्यवस्थित करने की ओर सरकार का अपेक्षित ध्यान नहीं गया। हरकेश नगर, संगम विहार आदि ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर पानी की किल्लत है। अब से लगभग 3 वर्ष पहले मैं संगम विहार अपने एक परिजन के यहां कार्यक्रम में गया था। जहां पर लोगों के लिए पानी सबसे बड़ी समस्या है। लोगों का स्पष्ट कहना था कि केजरीवाल ने केवल आश्वासन दिया है ,काम कुछ नहीं किया है। केजरीवाल सरकार को प्रयोग किए गए पानी को बर्बादी से रोकने के लिए उसे धरती में उतारने का काम करना चाहिए था। जिससे वह भूगर्भीय जल के स्तर को ऊपर बनाए रखने में सहायता करता । परंतु इसके विपरीत कार्य होता रहा है। सारा पानी बिखरकर गंदे नालों के माध्यम से उल्टा यमुना में आकर पड़ता है । दिल्ली के बाद की यमुना का पानी और भी अधिक प्रदूषणयुक्त और जहरीला हो जाता है। जिसे दिल्ली उपहार के रूप में दूसरे राज्यों को देती है । मानवीय संवेदनाओं के साथ खिलवाड़ करने वाले केजरीवाल ने इस ओर तनिक भी ध्यान नहीं दिया ? हरियाणा से अपेक्षाकृत स्वच्छ पानी लेकर दिल्ली को और भी अधिक प्रदूषण युक्त कर जब केजरीवाल हरियाणा और उत्तर प्रदेश को इसे सौंपते हैं तो इसका जल सचमुच विषाक्त हो जाता है । एक झूठ को बोलकर केजरीवाल एक सच्चाई के जाल में यदि फंस गए तो उनको उससे निकलना कठिन हो जाएगा। यदि दिल्ली की जनता ने केजरीवाल के कुव्यवस्था युक्त शासन प्रशासन की सच्चाई को समझ कर वोट किया तो यह सच है कि इस बार आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली के पड़ोस से बहने वाली यमुना नदी के पानी में डूबकर समाप्त हो जाएगी।
डॉ राकेश कुमार आर्य
( लेखक सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता हैं )
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