विशेष : "त्रासदी के कगार से वापसी : प्रयागराज में हादसे को टालने की ऐतिहासिक मिसाल" - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 30 जनवरी 2025

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विशेष : "त्रासदी के कगार से वापसी : प्रयागराज में हादसे को टालने की ऐतिहासिक मिसाल"

  • "अनियंत्रित सैलाब, लेकिन बेकाबू नहीं: प्रशासनिक मुस्तैदी ने बचाई अनगिनत जिंदगियाँ"
  • "जब हर क्षण था कीमती: प्रयागराज हादसे में योगी सरकार की त्वरित कार्रवाई"

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प्रयागराज का संगम क्षेत्र, जहाँ 144 साल बाद आस्था का महासंगम महाकुम्भ जारी है,मोनी अमावस्या के पर्व को लेकर श्रद्धालुओं के जनसैलाब से अटा पड़ा था। अचानक रात्रि एक बजे जनसैलाब का बेकाबू हो जाना और हुजूम के पैरों तले जमीन पर सो रहे सेकड़ो लोगो का कुचलना,करुण क्रंदन,चीख पुकार शोरगुल में दब जाना..!उफ...? कल्पना कीजिये, 20 किलोमीटर तक भीड़ का हुजूम हो, लाखों लोग खुले मैदान में सो रहे हों, सड़कों पर दो लाख से अधिक वाहन जाम में फँसे हों, और शहर के बाहर भी हजारों वाहन रोक दिए गए हों। ऐसे में, अगर रात के एक बजे भगदड़ मचती है, तो हालात कितने भयावह हो सकते थे? इतिहास में ऐसे हादसों ने हमेशा प्रशासनिक क्षमता की परीक्षा ली है, जहाँ कभी अफवाहों के चलते, तो कभी भीड़ के अनियंत्रित हो जाने के कारण सैकड़ों जानें गई हैं। लेकिन इस बार, यूपी प्रशासन ने मात्र 15-30 मिनट में स्थिति को नियंत्रित कर लिया। अगर आपदा प्रबंधन में जरा भी देरी होती, तो यह हादसा इतना विकराल हो सकता था कि कई दिनों तक लाशें उठाई जातीं, लेकिन कुशल रणनीति और त्वरित कार्रवाई ने मृतकों की संख्या को 30 तक सीमित कर दिया। यह प्रशासनिक दक्षता ही थी कि जहाँ कुछ घंटे पहले भगदड़ जैसी स्थिति बनी थी, वहीं दोपहर 2 बजे तक हालात सामान्य हो चुके थे और 5 करोड़ से अधिक श्रद्धालु स्नान कर चुके थे। इतने बड़े पैमाने पर होने वाली व्यवस्था को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यूपी सरकार की कार्यशैली कितनी प्रभावी है। किसी भी आपदा प्रबंधन की असली परीक्षा तब होती है, जब स्थिति बेकाबू होने की कगार पर हो, और इस परीक्षा में योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक बार फिर खुद को साबित किया। यूपी प्रशासन ने न केवल भीड़ को नियंत्रित किया, बल्कि अफवाहों को भी हवा नहीं लगने दी, जिससे डर और अराजकता का माहौल बनने से रोका जा सका।


भगदड़ के पीछे कई कारण काम कर रहे थे। पहला, घाटों पर स्नान के बाद भीड़ का डटे रहना। श्रद्धालुओं में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने की इतनी लालसा थी कि वे पूरी रात वहीं रुके रहे। दूसरा, जब स्नान के लिए दबाव बढ़ा तो बैरिकेडिंग तोड़ दी गई, जिससे सुरक्षा घेरा खत्म हो गया और स्थिति अनियंत्रित हो गई। भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता, यह एक सैलाब की तरह होती है, जो जब शांत रहती है तो श्रद्धा का प्रतीक बनती है और जब बेकाबू होती है तो सबकुछ तहस-नहस कर सकती है। ऐसे में प्रशासन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी यही थी कि हालात को संभाला जाए और किसी भी तरह की अफवाहों को फैलने से रोका जाए। इस पूरे घटनाक्रम में योगी सरकार की सक्रियता और प्रशासन की तत्परता काबिले तारीफ रही। हादसे की सूचना मिलते ही आपदा नियंत्रण की पूरी मशीनरी सक्रिय हो गई। भगदड़ को नियंत्रित करने के लिए ट्रैफिक मैनेजमेंट को तेजी से लागू किया गया, जिससे अन्य स्थानों पर भीड़ का दबाव न बने। घायलों को तुरंत चिकित्सा सुविधा दी गई, जिससे जान बचाई जा सके। हजारों सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी ने श्रद्धालुओं में विश्वास बनाए रखा और स्थिति को भयावह होने से रोका। इसके अलावा, योगी सरकार द्वारा पहले से की गई व्यवस्थाएँ भी इस संकट को टालने में सहायक रहीं। प्रयागराज में उमड़ने वाली भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पहले ही सीमावर्ती जिलों में वाहनों को रोकने की योजना बनाई गई थी, जिससे ट्रैफिक जाम का असर शहर के भीतर न पड़े।


अब सवाल उठता है कि क्या इस हादसे को पूरी तरह रोका जा सकता था? शायद नहीं, क्योंकि जब करोड़ों लोग एक साथ किसी धार्मिक आयोजन में आते हैं, तो किसी न किसी स्तर पर भीड़ का अनियंत्रित होना स्वाभाविक होता है। लेकिन यह निश्चित है कि अगर प्रशासन की त्वरित प्रतिक्रिया नहीं होती, तो हालात बहुत अधिक खराब हो सकते थे। सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि घटना के बाद भी पूरा कुंभ क्षेत्र सामान्य बना रहा, कोई दहशत या अफरा-तफरी का माहौल नहीं बना, और श्रद्धालु लगातार स्नान करते रहे। इस पूरे घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में अपनी क्षमता को नया आयाम दिया है। यह वही प्रदेश है जहाँ कभी कुंभ और माघ मेले में भगदड़ की घटनाएँ विकराल रूप ले लेती थीं, लेकिन इस बार प्रशासन ने न केवल स्थिति को संभाला, बल्कि इसे एक उदाहरण भी बना दिया कि किस तरह अनुशासन, तत्परता और प्रभावी योजना के जरिए सबसे कठिन परिस्थितियों में भी हालात पर काबू पाया जा सकता है। इस घटना ने जहाँ एक ओर हमें यह सिखाया कि भीड़ नियंत्रण में प्रशासन की सतर्कता कितनी जरूरी होती है, वहीं यह भी साबित कर दिया कि जब सरकार की इच्छाशक्ति मजबूत होती है, तो किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। श्रद्धालुओं का सहयोग, प्रशासन की तत्परता और योगी सरकार की दूरदर्शिता—तीनों ने मिलकर इस संकट को एक बड़ी आपदा में बदलने से रोक दिया।





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बृजेश सिंह तोमर

(वरिष्ठ पत्रकार एवं चिंतक)

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