महाकुंभ में 10वें दिन भी उमड़ा आस्था का जनसैलाब। अब तक 9.5 करोड़ से भी अधिक श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके है। 29 जनवरी को मौनी आमावस्या के मौके पर 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है। जबकि 26 फरवरी तक 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. तो दुसरी तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महाकुंभ के त्रिवेणी संकुल पहुंचे और यहां पर कैबिनेट मंत्रियों के साथ महाकुंभ में प्रदेश के विकास व सुरक्षा खातिर कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। देश के विकास से जुड़े नीतिगत मुद्दों पर चर्चा हुई। मीटिंग के बाद पूरी कैबिनेट ने पतित पावनी गंगा, श्ययामल यमुना और अन्तः सलिला स्वरूप में प्रवाहित सरस्वती के संगम में डुबकी लगाई और गंगा पूजन किया. दावा है मिर्जापुर-भदोही, वाराणसी सहित पूरे पूर्वांचल से लेकर पश्चिमत तक में विकास की गंगा तो बहेगी ही, युवाओं को स्मार्टफोन और टैबलेट देने के साथ ही नए मेडिकल कॉलेजों के निर्माण भी किए जायेंगे। इसके अलावा प्रयागराज के महाकुंभ के मद्देनजर इस पूरे क्षेत्र को एक सस्टनेबल डेवलपमेंट से जोड़ने की तैयारी है. बता दें, प्रयागराज समेत पूरे प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं पर मुहर लगी। बैठक में मिर्जापुर से प्रयागराज तक विंध्य एक्सप्रेसवे को मंजूरी दी गई है। तीन नए जिलों में मेडिकल कॉलेज बनाने को मंजूरी। साथ ही एयरोस्पेस और डिफेंस से संबंधित पॉलिसी नए सिरे से बनेगी। इससे प्रदेश के सभी जिलों को हाईस्पीड नेटवर्क मिलेगा। प्रयागराज, आगरा और वाराणसी के नगर निगम के बॉन्ड जारी किए जाएंगे। मतलब साफ है यह कार्यक्रम विकास और हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने का प्रयास है
वाराणसी, प्रयागराज समेत सात जिलों को धार्मिक क्षेत्र की मंजूरी मिली है। प्रयागराज, वाराणसी और आगरा में मल्टी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और मुरादाबाद में 10 हजार करोड़ का निवेश का प्रस्ताव पास हुआ है। प्रयागराज विंध्य क्षेत्र और वाराणसी विध्य क्षेत्र का गठन, गंगा एक्सप्रेस का विस्तार, मध्य प्रदेश की सीमा रीवा तक, बुंदेलखंड एक्सप्रेस का भी विस्तार रीवा तक करने की सहमति बनी है। निर्णय लिया गया कि गंगा एक्सप्रेसवे को चित्रकूट से जोड़ने के लिए बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को गंगा एक्सप्रेसवे से जोड़ा जाएगा। गंगा नदी पर छह लेन का पुल बनाया जा रहा है। प्रयागराज को झूसी से जोड़ने के लिए एक और चार लेन का पुल बनाया जाएगा। यमुना नदी पर एक और सिग्नेचर ब्रिज बनाया जाएगा। प्रयागराज-चित्रकूट विकास क्षेत्र के साथ-साथ वाराणसी में भी नीति आयोग के सहयोग से विकास क्षेत्र विकसित किया जाएगा। इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रयागराज और आसपास के क्षेत्रों के लिए एक सतत विकास बनाने के लिए, हम एक विकास क्षेत्र विकसित करेंगे। इसके बुनियादी ढांचे के लिए, गंगा एक्सप्रेसवे का विस्तार दिया जाएगा। गंगा एक्सप्रेसवे प्रयागराज से मिर्जापुर, भदोही से काशी, चंदौली और गाजीपुर में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जुड़ेगा। वाराणसी और चंदौली से यह (गंगा) एक्सप्रेसवे सोनभद्र को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ेगा। प्रयागराज, वाराणसी और आगरा में मल्टी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और मुरादाबाद में 10 हजार करोड़ का निवेश का प्रस्ताव पास हुआ है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रयागराज, वाराणसी और आगरा नगर निगम हैं। इन तीनों के लिए बॉन्ड जारी किए जाएंगे। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि केजीएमयू केंद्र को मेडिकल कॉलेज के रूप में स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। तीन जिलों हाथरस, कासगंज और बागपत में तीन नए मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जाएंगे। 62 आईटीआई, 5 नवाचार, आविष्कार और प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
मेरठ से प्रयागराज तक बन रहा गंगा एक्सप्रेसवे अब मिर्जापुर, भदोही, वाराणसी और चंदौली से होते हुए गाजीपुर में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जुड़ जाएगा। इसके बनने से पश्चिमी यूपी और एनसीआर से बिहार के लिए नया रूट भी मिल जाएगा। गाजीपुर का बड़ा इलाका बिहार से जुड़ा है। प्रस्ताव के तहत गंगा एक्सप्रेसवे एक्सटेंशन प्रयागराज से मिर्जापुर, भदोही, वाराणसी, चंदौली होते हुए गाजीपुर तक बनेगा। गाजीपुर में ही लखनऊ से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे भी आया है। ऐसे में गंगा एक्सप्रेसवे गाजीपुर में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जुड़ जाएगा। इसके साथ ही वाराणसी से चंदौली और चंदौली से सोनभद्र को जोड़ा जाएगा। यह एक्सप्रेसवे प्रयागराज-विंध्य-काशी एक्सप्रेसवे के रूप में जाना जाएगा। गंगा एक्सप्रेस-वे का पहले चरण में निर्माण मेरठ से प्रयागराज के बीच किया जा रहा है, जो करीब 594 किलोमीटर लंबा है। एक्सप्रेसवे के निर्माण के बाद मेरठ से प्रयागराज तक 6 घंटें में सफर को पूरा कर सकेंगे। गंगा एक्सप्रेस-वे मेरठ से शुरू होकर हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ के बाद प्रयागराज में पूरा होगा। यहां के कुल 518 गांवों से यह गुजरेगा। दूसरे चरण में यह 5 और जिलों से जुड़ेगा जिसमें मिर्जापुर, भदोही, वाराणसी और गाजीपुर, बलिया शामिल हैं। गंगा एक्सप्रेसवे का दूसरा चरण 350 किलोमीटर का होगा। दूसरे चरण में निर्माण के बाद यह सबसे बड़ा एक्सप्रेसवे बन जाएगा। बता दें कि गंगा एक्सप्रेसवे के पहले चरण का काम आखिरी चरण में है। रूट के कई जिलों में इंटरचेंजिंग और ओवरब्रिज का काम चल रहा है जो आखिरी चरण में है। पहले गंगा एक्सप्रेसवे को महाकुंभ से पहले शुरू करने की तैयारी थी।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा होगी और मजबूत
महाकुंभ में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कोशिश में महाकुंभ की ड्यूटी में तैनात पुलिसकर्मियों को सुरक्षा अलार्म से लैस सायरन टॉर्च भी दिए जा रहे हैं। यह टॉर्च देश की अग्रणी टॉर्च और बैटरी निर्माता कंपनी एवरेडी इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड की ओर से मुहैया कराए जा रहे हैं। सुरक्षा अलार्म से लैस करीब 5 हजार टॉर्च से पुलिसकर्मियों को मेला क्षेत्र की निगरानी और व्यवस्था बनाए रखने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, मेला परिसर के 56 पुलिस स्टेशनों में सुरक्षा को लेकर प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है। बता दें कि इस बार महाकुंभ में करीब 40 करोड़ श्रद्धालुओं के प्रयागराज आने की उम्मीद है। श्रद्धालुओं की इतनी बड़ी संख्या को देखते हुए महाकुंभ में सुरक्षा इंतजाम पुलिस के लिए काफी चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। ऐसे में एवरेडी की ओर से यह खास पहल करते हुए महाकुंभ के आयोजन में पुलिस की मदद के लिए सायरन टॉर्च क्स्102 भेंट करने का फैसला लिया गया। यह टॉर्च पुलिसकर्मियों को महाकुंभ की व्यवस्था बनाए रखने और निगरानी में काफी मददगार साबित होगी। दावा है कि एवरेडी सायरन टॉर्च ऑन-ग्राउंड अधिकारियों को भीड़ को प्रभावी ढंग से मैनेज करने में मदद करेगा। एवरेडी सायरन टॉर्च, एक पारंपरिक टॉर्च के रूप में काम करते हुए, 100 डेसिबल (डीबीए) ध्वनि अलार्म के साथ एक शक्तिशाली सुरक्षा उपकरण में बदल जाता है। इस केवल एक कीचेन खींचकर एक्टिव किया जा सकता है।
गोल्डेन बाबा
महाकुंभ के दौरान कई साधु-संत तेजी से वायरल हो रहे हैं। ऐसे में एक संत जिनके शरीर पर सोना ही सोना दिख रहा है, वायरल हो रहे हैं। इनमें से कुछ बाबा ऐसे हैं, जो अपने पहनावे, बोलचाल या हाव-भाव से सबका ध्यान खींच रहे हैं। महाकुंभ में कुछ संत वायरल भी हुए जैसे एमटेक वाले बाबा, कांटेवाले बाबा, रुद्राक्ष वाले बाबा समेत कई अन्य। अब एक ऐसे ही संत महाकुंभ के दौरान चर्चा का विषय बने हुए, जिनके पहनावे को देख आपकी आंखें चौंधियां जाएंगी। कारण है कि बाबा के शरीर पर आपक बस सोना-ही-सोना दिखना। गोल्डन बाबा के नाम से प्रसिद्ध हो चुके एसके नारायण गिरि के मुताबिक उन्होंने 6 करोड़ से अधिक रुपये का सोना अपने बदन पर डाल रखा है। एसके नारायण गिरि महराज निरंजनी अखाड़े से जुड़े हुए हैं। बाबा का कहना है उन्होंने 4 किलो सोना पहन रखा है। अखाड़े में आने वाले श्रद्धालुओं के बीच बाबा चर्चा का विषय बने हुए हैं। उनकी उम्र 67 साल है और उनकी हर चीज साधना से जुड़ी हुई है। उनका यह सोना दिखावे के लिए नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक जीवन और उनके गुरु को समर्पित श्रद्धा का रूप है। बता दें, बाबा ने सोने की घड़ी, कंगन, अंगूठी और यहां तक सोने की छड़ी तक रखी है। उनके छड़ी पर देवी-देवताओं के लॉकेट लगे हुए जो उनके मुताबिक, साधना का चिन्ह है। बाबा के मुताबिक, सोना साधना से जुड़ा हुआ है और उनके हर गहने में आध्यात्मिक शक्ति है। बाबा अभी वर्तमान में दिल्ली में रहते हैं, जबकि मूलरूप से वह केरल के रहने वाले हैं। गोल्डन बाबा ने निरंजनी अखाड़े के अध्यक्ष रवींद्र पुरी महराज से दीक्षा ली है। बाबा धर्म के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय है। उनके मुताबिक, धर्म और शिक्षा को साथ लेकर समाज में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।
नागा साधुओं के हैं 13 अखाड़े
महाकुंभ में नागा साधुओं का जमावड़ा लगा हुआ है। नागाओं के 13 अखाड़े महाकुंभ में शिविर लगाकर अपनी धूनी रमाए हुए हैं। महाकुंभ में नागा साधु अक्सर चर्चा का केंद्र रहते हैं। लोगों को इनके रहस्यमयी जीवन के बारे में जानने की हमेशा उत्सुकता बनी रहती है। किसी को नहीं पता होता कि महाकुंभ में ये कहां से आते हैं और शाही स्नान खत्म होते ही यह न जाने कहां चले जाते हैं। कहा जाता है कि ये वन, गुफा और हिमालय तप करने चले जाते हैं। फिर यह महाकुंभ लगते ही आ जाते हैं।
स्नान से पहले नागा साधु किसकी करते हैं पूजा
नागा साधु अमृत स्नान से पहले अपने देव की पूजा करते हैं। मान्यताओं के मुताबिक, नागा साधु अमृत स्नान से पहले अपने ईष्टदेव की पूजा करते हैं, इसके बाद ही वे स्नान करते हैं। हालांकि अलग-अलग अखाड़ों के अपने ईष्टदेव हैं। जूना अखाड़े के ईष्टदेव भैरव हैं, महानिर्वाणी अखाड़े के ईष्टदेव कपिल मुनि, निरंजनी अखाड़े के कार्तिकेय, अटल अखाड़े के ईष्टदेव हैं गणेश भगवान। ऐसे में अन्य अखाड़ों के ईष्टदेव हैं।
अघोरी बाबा
सनातन में अघोरी साधुओं को नागा साधुओं से भी बेहद खतरनाक माना गया है। अघोरी साधु जीवन और मृत्यु के बंधनों से दूर श्मशान भूमि में अपनी धूनि रमाए तप में लीन रहते हैं। माना जाता है कि अघोरी साधु तंत्र साधना भी करते हैं। एक अघोरी बनने की प्रक्रिया को बेहद कठिन माना गया है। इस दौरान अघोरी साधु बनने की लालसा वाले व्यक्ति को 3 कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। अंतिम परीक्षा में तो जान तक को दांव लगाना पड़ जाता है। अगर इन परीक्षाओं में कोई विफल हो जाए तो वह अघोरी नहीं बन पाता। अघोरी बनना बेहद कठिन होता है। माना जाता है कि अघोरी शव पर एक पैर रख तपस्या करते हैं। ये भोले नाथ के उपासक माने जाते हैं। साथ ही ये मां काली की भी पूजा करते हैं। अघोरी बनने की प्रक्रिया कठिन है, इसमें 3 तरह की दीक्षाएं शामिल हैं- हरित दीक्षा, शिरीन दीक्षा और रंभत दीक्षा। हरिता दीक्षा में ही अघोरी गुरु अपने शिष्य को गुरुमंत्र देता है। यह मंत्र शिष्य के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। शिष्य को इस मंत्र का जाप नियमित रूप से करना होता है। इस जाप से शिष्य के मन-मस्तिष्क में एकाग्रता बनती है और वह आध्यात्मिक ऊर्जा हासिल करता है। शिरीन दीक्षा में सीखने वाले शिष्य को कई प्रकार की तंत्र साधना सिखाई जाती है। शिष्य को श्मशान भूमि में जाकर तपस्या करनी होती है। इस दौरान शिष्य को सांप, बिच्छू आदि का भय तो रहता ही है, साथ ही सर्दी, गर्मी, बारिश भी बर्दाश्त करनी होती है। रंभत दीक्षा अघोरी साधु के लिए सबसे कठिन और अंतिम दीक्षा होती है। इस दीक्षा में शिष्य को अपने जीवन और मृत्यु का अधिकार अपने गुरु को सौंपना होता है। गुरु जो भी कहे शिष्य को बिना सोचे या प्रश्न के वह करना ही पड़ता है। कहा जाता है कि इस दीक्षा में गुरु अपने शिष्य के अंदर भरे अहंकार को बाहर निकलवा देता है। इस दौरान अगर गुरु कहे कि अपने गर्दन पर चाकू रखना है तो शिष्य को बिना कोई सवाल के करना पड़ता है। इसलिए इस दीक्षा को बेहद कठिन माना जाता है। यही कारण है कि इन्हें अपनी जिंदगी या मौत का कोई भय नहीं रहता क्योंकि अघोरी अपने गुरु को इसका अधिकार दे देते हैं।
सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी
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