सनातन में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है. इस दिन स्नान और दान करना काफी फलदायी माना जाता है. इस दिन पितरों के नाम तर्पण करने से न सिर्फ उन्हें तृप्ति मिलती है, वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं, साथ ही इस दिन दान करने से कुंडली में मौजूद किसी भी प्रकार के दोष से मुक्ति पाई जा सकती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह की अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इस दिन मौन रखकर उपवास और स्नान व दान-पूण्य का खासा महत्व है. मौनी मतलब मौन और इस दिन मौन रहकर आत्मशांति और संयम का पालन करने से मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है. इस दिन संगम सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से पापों का छय होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह संयोग ही है कि इस बार 144 साल बार प्रयागराज के संगम तट पर महाकुंभ है। इसके मद्देनजर वहां दस करोड से अधिक श्रद्धालु संगम में डुबकी लगायेंगे। इसकी महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है 15 दिन में 13.5 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम स्नान कर चुके है। इस बार मौनी अमावस्या 29 जनवरी को है. हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह की अमावस्या तिथि 28 जनवरी को शाम 7 बजकर 32 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 29 जनवरी को शाम 6 बजकर 5 मिनट पर होगा. ब्रह्म मुहूर्त- 29 जनवरी को सुबह 05 बजकर 25 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 18 मिनट तक है जबकि प्रातः सन्ध्या- 29 जनवरी को सुबह 05 बजकर 51 मिनट से 07 बजकर 11 मिनट तक है। इस दिन सूर्यदेव और पितरों की पूजा के लिए भी उत्तम माना जाता है. इस दिन गंगा का जल अमृत समान हो जा हो जाता है.
माघ मकरगति रवि जब होई,
तीरथपतिहि आव सब कोई
देव दनुज किन्नर नर श्रेणी,
सादर मज्जहिं सकल त्रिवेणी।
माघ माह की अमावस्या पर ऋषि मनु का जन्म हुआ था इसलिए यह तिथि मौनी अमावस्या के नाम से जानी गई. जो मनुष्य इस दिन मौन व्रत रखता है उसे अपने जीवन में वाक् सिद्धि प्राप्त होती है. मौनी अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठना फलदायी माना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने और दान करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है और घर में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है. इस बार की मौनी अमावस्या बेहद विशेष होनी वाली है, क्योंकि इस बार मौनी अमावस्या पर महाकुंभ का अमृत स्नान भी किया जाएगा. इस कारण इसका महत्व और अधिक बढ़ जाएगा. इस मौके पर पितरों का तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध जैसे कर्म करने का भी दोगुना फल मिलता है.मौनी अमावस्या के दिन दिन प्रयागराज के संगम में स्नान और दान करने का विशेष महत्व है, जिससे श्रीहरि विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. यही वजह है कि मौनी अमावस्या के दिन यानी 29 जनवरी को महाकुंभ में करोड़ों भक्त आस्था की डुबकी लगाएंगे. इस दिन मौन रहकर स्नान करने की विशेष महत्व माना गया है. धार्मिक मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर त्रिवेणी संगम में स्नान से करोड़ों वर्षों के पाप का नाश होता है. मौनी अमावस्या के दिन दान का भी विशेष महत्व माना गया है. इस पावन दिन गरीब और जरूरतमंदों को खाने-पीने की सामग्री और गर्म कपड़ों का दान जरूर करें. हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व होता है. मौनी अमावस्या के दिन कई मंगलकारी योगों का निर्माण हो रहा है. इन शुभ योग में महादेव की पूजा करने से जीवन के सभी दुख और संकटों से छुटकारा मिलता है. इस शुभ अवसर पर पितरों का तर्पण एवं पिंडदान किया जाता है. साख हा, गंगा स्नान करने से जन्म-जन्मांतर में किए गए पाप दूर हो जाते हैं. इसकी महत्ता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रयागराज में मौनी अमावस्या से पहले संगम में स्नान के लिए देश-विदेश से तीर्थयात्रियों का सैलाब उमड़ रहा है. 29 जनवरी को अमावस्या पर 10 करोड़ श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने की उम्मीद है. शास्त्रों में ऐसा वर्णन मिलता है कि मौनी अमावस्या के व्रत से व्यक्ति के पुत्री-दामाद की आयु बढ़ती है और पुत्री को अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। सौ अश्वमेघ एवं हजार राजसूर्य यज्ञ का फल मौनी अमावस्या में त्रिवेणी संगम स्नान से मिलता है। मान्यता है कि यह योग पर आधारित महाव्रत है। इस मास को भी कार्तिक माह के समान पुण्य मास कहा गया है। इसी महात्म्य के चलते गंगा तट पर भक्त जन एक मास तक कुटी बनाकर कल्पवास करते हैं। शास्त्रों में वर्णित भी है कि होंठों से ईश्वर का जाप करने से जितना पुण्य मिलता है, उससे कई गुणा अधिक पुण्य मन का मनका फेरकर हरि का नाम लेने से मिलता है। इसी तिथि को संतों की भांति चुप रहें तो उत्तम है। अगर संभव नहीं हो तो अपने मुख से कोई भी कटु शब्द न निकालें। माना जाता है कि मौनी अमावस्या से ही द्वापर युग का शुभारंभ हुआ था।मौनी अमावस्या पर करें ये उपाय
इस दिन नित्य कर्मों को करने के बाद गंगा नदी में स्नान करें और यदि ऐसा करना संभव न हो तो नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें स्नान के पश्चात भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें. फिर, जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने के बाद तुलसी मैया की 108 बार परिक्रमा करें. उसके उपरांत अपने सामर्थ्य के अनुसार गरीबों को भोजन, धन अथवा वस्त्र आदि दान करें. जो लोग अपने पूर्वजो की कृपा पाना चाहते हैं, वह मौनी अमावस्या के दिन पीले वस्त्र पहनकर पितरों का ध्यान करें. ऐसा करना शुभ होता है और इससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं. घर के मुख्य द्वार पर जल में हल्दी मिलाकर छींटे लगाएं और साथ ही, घर की चौखट की साफ-सफाई करें. इस उपाय को करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है. मौनी अमावस्या की तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है और पीपल के पेड़ के पूजन का भी विधान है. वैसे भी माघ महीने की मौनी अमावस्या को धर्म-कर्म के लिए खास माना गया है। अमावस्या तिथि के स्वामी पितर माने गए हैं। इसलिए पितरों की शांति के लिए इस दिन तर्पण और श्राद्ध किया जाता है। वहीं पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए इस दिन उपवास रखा जाता है। इसलिए पवित्र नदी या कुंड में स्नान कर के सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है और उसके बाद पितरों का तर्पण होता है। मौनी अमावस्या पर सुबह जल्दी तांबे के बर्तन में पानी, लाल चंदन और लाल रंग के फूल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद पीपल के पेड़ और तुलसी की पूजा करने के बाद परिक्रमा करनी चाहिए। इस दिन पितरों की शांति के लिए उपवास रखें और जरूरमंद लोगों को तिल, ऊनी कपड़े और जूते-चप्पल का दान करना चाहिए। मौनी अमावस्या का महत्व धर्म ग्रंथों में माघ महीने को बहुत ही पुण्य फलदायी बताया गया है। इसलिए मौनी अमावस्या पर किए गए व्रत और दान से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। धर्म ग्रंथों के जानकारों का कहना है कि मौनी अमावस्या पर व्रत और श्राद्ध करने से पितरों को शांति मिलती है। साथ ही मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। इस अमावस्या पर्व पर पितरों की शांति के लिए स्नान-दान और पूजा-पाठ के साथ ही उपवास रखने से न केवल पितृगण बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु और ऋषि समेत भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं। इस अमावस्या पर ग्रहों की स्थिति का असर अगले एक महीने तक रहता है। जिससे देश में होने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं के साथ मौसम का अनुमान लगाया जा सकता है।मौनी अमावस्या व्रत कथा
सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी
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