प्रो झा ने अपने मांगपत्र में मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी से कहा है कि भारतबके संविधान के अंतर्गत मिथिलाराज का निर्माण या तत्काल मिथिला विकास बोर्ड का गठन कर अलग से बजट का प्रावधान करें , मिथिला क्षेत्र के बंद पड़े उद्योग सकरी, लोहट , रैयाम चीनी मिल ,पंडौल का सूता फैक्ट्री , अशोक पेपर मिल , रामेश्वर जुट मिल सहित सभी उद्योग को चालू करने एवं नए उद्योग लगाए , पूरे मिथिला क्षेत्र में राजकाज के भाषा मैथिली घोषित करने, प्राइमरी से उच्च माध्यमिक तक शिक्षा का माध्यम मैथिली को करने, संपूर्ण मिथिला में मैथिली अनिवार्य विषय , मैथिली शिक्षकों की बहाली एवं पुस्तक का प्रकाशन करें , मैथिली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने , बिहार का द्वितीय राजधानी दरभंगा करने , दरभंगा में उच्च न्यायालय का एक पीठ का स्थापना , मधुबनी जिला में आई आई टी एवं आई आई एम संस्थान का निर्माण , मधुबनी रेलवे स्टेशन का नामकरण कालिदास विद्यापति स्टेशन करने , मधुबनी रेलवे स्टेशन से माता सीता जी की नगरी सीतामढ़ी तक नए रेलवे लाइन का निर्माण , मधुबनी मुख्यालय में केंद्रीय विद्यालय की स्थापना , दरभंगा में आईटी पार्क , मिथिला विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने , मिथिला गौरव विकास पुरुष स्व ललित नारायण मिश्र को भारत रत्न देने, संपूर्ण मिथिला में सड़कों एवं रेलवे का विस्तारीकरण करने, मिथिला के सभी दर्शनीय एवं प्रसिद्द स्थलों को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने , मिथिला के पांडुलिपि को संरक्षण एवं संवर्धन करने, सीबीएससी एवं केंद्रीय विद्यालय में मैथिली भाषा की पढ़ाई करने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि मिथिला के चौमुखी विकास के लिए मिथिलाराज निर्माण के दिशा में आवश्यक कदम उठाएं।
मधुबनी (रजनीश के झा)। प्रो शीतलांबर झा महासचिव ,मैथिल समाज रहिका मधुबनी सह पूर्व कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि कल जिलाधिकारी मधुबनी के माध्यम से बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी को एक स्मार पत्र देकर मिथिला राज निर्माण सहित इक्कीस सूत्री मांगों के दिशा में आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया है । प्रो झा ने अपने स्मारपत्र में कहा है कि भारत के सांस्कृतिक इतिहास में मिथिला का योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण है , मिथिला का भौगोलिक सीमा समय समय पर कम अधिक होता रहा है और सत्ता का केंद्र बिंदु भिन्न काल में भिन्न स्थान पर रहा है परंतु आदिकाल से मिथिला का सांस्कृतिक केंद्र मधुबनी रहा है , आप जानते है कि प्राचीन विदेह राजा का राजधानी भी यहां रहा है आधुनिक काल में सुगौना के ओइनवार और भौंर के खण्डवला मिथिला में सुदृढ़ राज्य स्थापित किया है बौद्धिक गतिविधि के दृष्टिकोण से दोनों राजवंश का शासनकाल स्वर्ण युग कहा जाता है , मिथिला का भूमि को मोक्षदायिनी भी कहा गया है , विदेह राजा जनक जी पृथ्वी के गर्व से माता जगज्जननी जानकी जी का प्रदर्भाव भी कराए हैं , कालांतर में कपिल, कणाद, जैमिनी , याज्ञवल्क्य, ज्योतिश्वर, वाचस्पति, उदयन, गंगेश , अयाची, शंकर ,पक्षधर, मदन,गोकुलनाथ एवं लक्ष्मीनाथ गोसाईं जैसे असंख्य महर्षि एवं मनीषियों ने अपने ज्ञान और आध्यात्मिक चिंतन एवं शिक्षण से समस्त मानवता को आलोकित किया है , साहित्य के क्षेत्र में महाकवि कालिदास श्रृंगार रस के शिखर पर प्रतिष्ठित हैं तो भाषा के आदिकवि विद्यापति मधुर गीत के लिए सदैब विश्व विख्यात हैं , मिथिला लोककला एवं चित्रकला , माछ एवं मखान से भी विश्व विख्यात है , देश के आजादी के लडाई में मिथिला क्षेत्र का योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण रहा है बीसवीं सदी में महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में लोगों ने अपना बलिदान तक दिए हैं आप जानते है मिथिला भूमि के पुत्रों ने अनेकों राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय नेतृत्व दिया है , आजादी के तुरंत बाद मिथिला केसरी स्व बाबू जानकी नन्दन सिंह जी ने मिथिलाराज की मांग किए थे , मिथिला के सभ्यता संस्कृति विद्वता समृद्धि रहने के बावजूद मिथिला क्षेत्र देश के अन्य क्षेत्र से बहुत ही पीछे है , मिथिला क्षेत्र के लोगों के लिए बाढ़, रौदी, भुखमरी और पलायन इसके भाग्य में ही लिखा है ,जबकि मिथिला के भूभाग में अनेको उद्योग था जो आज बंद पड़ा हुआ है मातृभाषा मैथिली शासन प्रशासन से उपेक्षित है रोजगार का घोर अभाव है राष्ट्रीय औसत आय से मिथिला के लोगों का आय बहुत ही कम है ,विकास का काम बहुत ही कम हो पा रहा है इसलिए ब्रिटिशकाल में मधुबनी के तत्कालीन एसडीओ जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन के मिथिला क्षेत्र के नक्शा के आधार पर मिथिलाराज का मांग सर्वथा उपयुक्त प्रतीत होता है ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें