गंगा सी शीतल है वो, फूलों सी महकती है वो,
अंधेरी रात में शीतल सी चमकती रोशनी है वो,
बातों में उलझी और कामो में सुलझी है वो,
हंसते मुस्कुराते परिवार को संभालती है वो,
नादान उम्र में खुद बच्चों को पालती है वो,
पराया धन खुद को समझकर,
दूसरों के घर खुशियां लाती है वो,
मनचाहा दहेज न मिलने पर भी,
ससुराल में हर ज़ुल्म सहती है वो,
बेटे के लिए बेटी का हाथ मांगने आते हो,
फिर बेटी होने पर खुशियां क्यों नहीं मनाते हो?
कच्ची उम्र में ही ब्याह रचाकर उसका,
क्यों एक लड़की का भविष्य बर्बाद करते हो?
पढ़ने लिखने का अधिकार उसका भी है,
क्यों ये अधिकार तुम उससे छीन लेते हो?
राधा गोस्वामी
कक्षा 11, उम्र 16
गरुड़, उत्तराखंड
चरखा फीचर्स
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