उन्होंने कहाकि यह क्षेत्र में पहला अवसर है जिसमें संगीतमय नर्मदा पुराण करने का अवसर मिला है। भगवान शंकर की करुणा से मां नर्मदा का अवतरण भारत की भूमि पर हुआ है। करोड़ों ऋषि मुनियों ने जिसके तट पर बैठ कर सिद्धि प्राप्त की है। संसार में भगवान सत्यनारायण की कथा में इतिश्री रेवा खंडे का वर्णन आता है। प्रभु की किसी और कथा में इस तरह का वर्णन नहीं है। 16 वर्षीय शिव के परम भक्त मार्कण्डेय की निर्धारित आयु थी जब यम उन्हें लेने आए तब भगवान महाकाल ने मार्कण्डे को काल से मुक्त कर चिरंजीव होने का वरदान दिया। ऋषि मार्कण्डे ने नर्मदा के तट पर घोर तपस्या की और नर्मदा पुराण लिखी। जिसने अपने जीवन में नर्मदा की परिक्रमा की उसे सभी तीर्थों का पुण्य प्राप्त होता है। संसार में नर्मदा एक मात्र ऐसी पुण्य सलिला है जिस पर पुराण लिखा गया है और जिसकी परिक्रमा होती है। आपके तीन घंटे में नर्मदा पुराण का सुंदर वर्णन कर मां नर्मदा के आध्यात्मिक, पर्यावरणिक, वैज्ञानिक, रहस्यों का चित्रण किया। समस्त महिला मंडल ब्रह्मपुरी कालोनी के तत्वाधान बुधवार से आरंभ हुई सात दिवसीय नर्मदा पुराण के पहले दिन मां नर्मदा का महत्व बताया गया था, गुरुवार को नर्मदापुराण के दूसरे दिन भगवान शिव और माता सती का प्रसंग का विस्तार से वर्णन किया जाएगा। कथा दोपहर एक बजे से चार बजे तक जारी रहती है। महिला मंडल ने सभी क्षेत्रवासियों से नर्मदा पुराण का श्रवण करने की अपील की।
सीहोर। शहर के ब्रह्मपुरी कालोनी स्थित चमत्कालेश्वर महादेव मंदिर में बुधवार से सात दिवसीय संगीतमय नर्मदापुराण का आयोजन किया जा रहा है। समस्त महिला मंडल ब्रह्मपुरी कालोनी के तत्वाधान में सुबह नौ बजे शहर के देवनगर कालोनी स्थित मंदिर से कलश यात्रा के साथ दोपहर में नर्मदा पुराण का श्रीगणेश किया गया। पहले दिन की कथा में मां नर्मदा की महिमा के बारे में बताया गया। दौरान कथा व्यास पंडित चेतन उपाध्याय ने नर्मदा जी की उत्पत्ति का विचरण किया और नर्मदा जी साक्षात धरती पर मौजूद है। नर्मदा के जल के स्पर्श से पाषाण भी शिव हो जाते हैं। नर्मदा जी ने शंकर से वरदान मांगा था कि मेरे जल में आप सदा निवास करें। इसके बाद से ही शिव नर्मदा में कंकर के रूप में रहते हैं। नर्मदा जी ने शंकर से वरदान मांगा था कि मेरे जल में आप सदा निवास करें। इसके बाद से ही शिव नर्मदा में कंकर के रूप में रहते हैं।
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