- भगवान शिव ने जगत के कल्याण के लिए किया विवाह : कथा वाचक पंडित राहुल कृष्ण आचार्य
उन्होंने शिव एवं सती के विवाह के बारे में बताया की भगवान शिव के विवाह के बारे में पुराणों में वर्णन मिलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने सबसे पहले सती से विवाह किया था। भगवान शिव का यह विवाह बड़ी जटिल परिस्थितियों में हुआ था। सती के पिता दक्ष भगवान शिव से अपने पुत्री का विवाह नहीं करना चाहते थे लेकिन ब्रह्मा जी के कहने पर यह विवाह सम्पन्न हो गया। एक दिन राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान कर दिया जिससे नाराज होकर माता सती ने यज्ञ में समाहित हो गई। इसके बाद भगवान शिव तपस्या में लीन हो गए। उधर माता सती ने हिमवान के यहां पार्वती के रूप में जन्म लिया। तारकासुर नाम के एक असुर का उस समय आतंक था। देवतागण उससे भयभीत थे। तारकासुर को वरदान प्राप्त था कि उसका वध सिर्फ भगवान शिव की संतान ही कर सकती है। उस समय भी भगवान शिव अपनी तपस्या में लीन थे। तब सभी देवताओं ने मिलकर शिव और पार्वती के विवाह की योजना बनाई। भगवान शिव की तपस्या को भंग करने के लिए कामदेव को भेजा गया लेकिन वह भस्म हो गए। देवताओं की विनती पर शिव जी पार्वती जी से विवाह करने के लिए राजी हुए। विवाह की बात तय होने के बाद भगवान शिव की बारात की तैयार हुई। इस बारात में देवता, दानव सभी लोग शामिल हुए। भगवान शिव की बारात में भूत पिशाच भी पहुंचे और ऐसी बारात को देखकर पार्वती जी की मां बहुत डर गईं और कहा कि वे ऐसे वर को अपनी पुत्री को नहीं सौंप सकती हैं। तब देवताओं ने भगवान शिव को परंपरा के अनुसार तैयार किया, सुंदर तरीके से श्रृंगार किया इसके बाद दोनों का विवाह संपन्न हो गया।
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