उन्होंने बुद्धि की परीक्षा वाला वह प्रसंग सुनाया जिसमें भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती ने कहा था कि दोनों में से जो सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा कर आएगा वही मेरी गोद में बैठेगा। कार्तिक जी अपने वाहन मोर पर सवार होकर निकले और गणेश से कहा-तुम्हारा वाहन तो चूहा है, तुम कैसे परिक्रमा करोगे। कार्तिक के जाते ही बुद्धि के दाता गणेश ने भोले और पार्वती की तीन परिक्रमाएं की और गोद बैठने की जिद करने लगे। माता बोली-तुमने पृथ्वी की परिक्रमा कहां की है? भगवान गणेश बोले माता मैंने आपकी और पिताजी की परिक्रमा कर ली है जो माता पृथ्वी से बड़ी है और मैंने तो एक नहीं, तीन परिक्रमाएं की हैं यानी धरती और आकाश के साथ तीनों लोकों होकर आ गया है। यह जवाब सुनते ही माता ने उन्हें गले से लगा लिया और गोद में बिठाया। कथा का सार बताते हुए कहा इसलिए भगवान गणेश बुद्धि के दाता कहलाते हैं। हर पूजन से पहले भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है और हर मंगल कार्य के आरंभ में भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें