सीहोर : शिव महापुराण के अंतिम दिन प्रसादी का वितरण - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 13 जनवरी 2025

सीहोर : शिव महापुराण के अंतिम दिन प्रसादी का वितरण

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सीहोर। शहर के प्राचीन करोली माता मंदिर में जारी सात दिवसीय श्री शिवमहापुराण का समापन किया गया। इस मौके पर अंतिम दिन  हवन पूजन के पश्चात प्रसादी का आयोजन किया।  इस मौके पर कथा वाचक पंडित राहुल कृष्ण आचार्य ने यहां पर मौजूद बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं से कहा कि भगवान शिव की भक्ति से ही मनुष्य के भाग्य का निर्माण होता है, आपको मेहनत के साथ-साथ सत्मार्ग पर चलते हुए भगवान की भक्ति करना चाहिए। भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश के अनेक प्रसंगों का वर्णन किया गया। पंडित राहुल आचार्य ने कहा कि भगवान कार्तिकेय पृथ्वी की परिक्रमा करने चले जाते हैं। लेकिन गणेश जी माता पिता की परिक्रमा करते हैं। परिणाम गणेश जी विजयी होते हैं। यानी माता पिता का स्थान सर्वोपरि है। शास्त्र की व्याख्या करते कथा व्यास कहते हैं कि शास्त्र कहता है कि सबसे बड़ा भगवान, उससे बड़ा गुरु, गुरु से बड़ा पिता तथा पिता से भी बड़ा है मां का स्थान।

 

उन्होंने बुद्धि की परीक्षा वाला वह प्रसंग सुनाया जिसमें भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती ने कहा था कि दोनों में से जो सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा कर आएगा वही मेरी गोद में बैठेगा। कार्तिक जी अपने वाहन मोर पर सवार होकर निकले और गणेश से कहा-तुम्हारा वाहन तो चूहा है, तुम कैसे परिक्रमा करोगे। कार्तिक के जाते ही बुद्धि के दाता गणेश ने भोले और पार्वती की तीन परिक्रमाएं की और गोद बैठने की जिद करने लगे। माता बोली-तुमने पृथ्वी की परिक्रमा कहां की है? भगवान गणेश बोले माता मैंने आपकी और पिताजी की परिक्रमा कर ली है जो माता पृथ्वी से बड़ी है और मैंने तो एक नहीं, तीन परिक्रमाएं की हैं यानी धरती और आकाश के साथ तीनों लोकों होकर आ गया है। यह जवाब सुनते ही माता ने उन्हें गले से लगा लिया और गोद में बिठाया। कथा का सार बताते हुए कहा इसलिए भगवान गणेश बुद्धि के दाता कहलाते हैं। हर पूजन से पहले भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है और हर मंगल कार्य के आरंभ में भगवान गणेश की पूजा की जाती है। 

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