- शिव की कृपा पाने के लिए सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए : कथा वाचक पंडित सुरेश कृष्ण महाराज
सीहोर। शिव की कृपा पाने के लिए सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए और प्रकृति को संवारना चाहिए। जब भी मनुष्य ने प्रकृति के साथ छेड़छाड़ की, तब शिव का रौद्र रूप देखा गया है। प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन के लिए काम करना, महादेव की आराधना से कम नहीं है। उक्त विचार ग्राम पाटन में चल रही शिव महापुराण की कथा में कथा वाचक पंडित सुरेश कृष्ण महाराज ने कहे। इस संबंध में जानकारी देते हुए मंडल अध्यक्ष सुरेश विश्वकर्मा द्वारा बताया गया ग्राम पाटन में चल रही शिव महापुराण की कथा में में पहुंचे सीहोर विधानसभा क्षेत्र के विधायक सुदेश राय ने व्यास पीठ का पूजन एवं कथा वाचक पंडित सुरेश कृष्ण का शाल श्रीफल भेंटकर सम्मान कर भगवान शिव से प्रार्थना करते हुए कहा कि सदैव हर प्राणी में सद्भावना सरलता सहजता बनाए रखना और हमारे ऊपर भी आशीर्वाद बनाए रखना इसी दौरान विधायक श्री राय द्वारा 25 लाख की राशि से बनने वाले सामुदायिक भवन की एवं 5 लाख की राशि से बनने वाले चादर शेड की स्वीकृति भी प्रदान की आने वाले समय में भी भगवान भोलेनाथ की कृपा से अनेकों अनेकों विकास कार्य ग्राम पाटन में करने का कहा गया। कथा में सरपंच प्रतिनिधि राकेश पटेल, सरपंच संघ जिला अध्यक्ष एलम सिंह दांगी, जनपद सदस्य हेम सिंह मीणा, धर्मेंद्र बैरागी, रमेश मीणा, सरपंच पर्वत सिंह, सरपंच कमल सिंह, सरपंच दीवान सिंह, अभिषेक तिवारी, रवि दांगी, कपिल सेन, इमरान पटेल, सरपंच कृपाल मीणा, बदामी पाल, मोनू यादव, गोविंद मीणा, जितेंद्र मीणा आदि उपस्थित रहे
शिव महापुराण में भगवान शिव की महिमा
कथा वाचक सुरेश कृष्ण महाराज ने कहा कि शिव महापुराण में भगवान शिव की महिमा और भक्ति का विस्तृत वर्णन किया गया है, इसमें भगवान शिव के विविध रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, जन्म-मृत्यु, संघार, आदि के बारे में बताया गया है। संसार के सभी जीव दुखी हैं। इस संसार को दुख रूप ही कहा गया है। जगत में ऐसा कोई जीव नहीं दिखाई देता, जिसने कोई न कोई दुख न भोगा हो। इसलिए जीव निरंतर सुख की अभिलाषा करता है। इसके लिए हमें अपने कर्मों को सद्कर्म बनाना होगा। इस पुराण में शिव के कल्याणकारी स्वरूप का तात्विक विवेचन, रहस्य, महिमा और उपासना का विस्तृत वर्णन है। शिव को पंचदेवों में प्रधान अनादि सिद्ध परमेश्वर के रूप में स्वीकार किया गया है। शिव-महिमा, लीला-कथाओं के अतिरिक्त इसमें पूजा-पद्धति, अनेक ज्ञानप्रद व्याख्यान और शिक्षाप्रद कथाओं का सुंदर संयोजन है। इसमें भगवान शिव के भव्यतम व्यक्तित्व का गुणगान किया गया है। शिव, जो स्वयंभू हैं, शाश्वत हैं, सर्वोच्च सत्ता हैं, विश्व चेतना हैं। इसलिए हमें शिव महापुराण का श्रवण करने के साथ ही इसे आचरण में भी लाना चाहिए।
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