सीहोर : भागवत कथा महापूराण का हनुमान फाटक मंदिर परिसर कस्बा में रविवार हुआ को चौथा दिन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 5 जनवरी 2025

सीहोर : भागवत कथा महापूराण का हनुमान फाटक मंदिर परिसर कस्बा में रविवार हुआ को चौथा दिन

  • माता पिता की सेवा करने वाले बेटा बेटी तार देते है दो परिवारों की सात पीढिय़ां : पं तिवारी
  • जहर का घूट पी लेना पर माता पिता का अपमान मत करना, श्री कृष्ण का जन्मउत्सव हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया 

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सीहोर। हनुमान फाटक मंदिर परिसर कस्बा में चल रही संगीतमय श्रीमद भागवत कथा महापूराण के चौथे दिन रविवार को भागवत भूषण पंडित रवि शंकर तिवारी के परम सानिध्य में श्रद्धालुओं के द्वारा भगवान श्री कृष्ण का जन्मउत्सव हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया। कथा में देत्यगुरू शुक्लाचार्य और राजा आयाती प्रसंग को सुनाते हुए पं तिवारी ने बेटा बेटियों को माता पिता का महत्व बताया उन्होने कहा की जहर का घूट पी लेना पर माता पिता का कभी अपमान मत करना क्योंकी माता पिता की सेवा करने वाले बेटा बेटी दो परिवारों की सात पीढिय़ों को तार देते है। माता पिता की बेटी सेवा करती है तो वह पिता के साथ ससुर के परिवार को भी तार देती है ओर बेटा माता पिता की सेवा करता है तो पिता के साथ मामा के घर को भी तार देता है उन्होने कहा की देश में वृद्धाश्रम प्रथा बंद हो जाए तो कई परिवारों में खुशियाली लौट आए। पंडित तिवारी ने सुखदेव कथा सुनाते हुए कहा की जीते जी अपने भी धन आने पर शस्त्रु बन जाते है और मरने के बाद शस्त्रु भी मित्रवत व्यवहार करते हुए मरने वालें को अच्छा बताते है यही संसार की सच्चाई है इस लिए भगवान से प्रीति करना जरूरी है। उन्होने कहा की हमारे दुख का सबसे बड़ा कारण दूसरों का सुख है किसी को भी दूसरों का सुख देखा नहीं जाता है इस लिए दुख होता है इस दुख से बचने के लिए भगवान ने जो भी दिया है उसमें प्रशंन्न रहना चाहिए।


कंस कथा सुुनाते हुए पं तिवारी ने कहा की कंस जैसे पापी ने देवकी की सात संतानों को मार दिया आठवे पुत्र के रूप में भगवान श्रीकृष्ण ने कारागार में जन्म लिया। भगवान ने अपने जन्म से लेकर मरण तक दुुख झेले और भक्त कुछ ही दुख में डरने लगते है रामजी ने भी अपने जीवन काल में संकटों का सामना किया लेकिन अपने कार्य से विमुुख नही ंहुए। समृद्र मंथन प्रसंग श्रद्धालुओं के समक्ष रखते हुए पं तिवारी ने कहा की समुद्र मंथन में अमृत निकलने से पहले से हाथी घोडे, गाय, चौदह रत्त्न निकले देवता और दानवों से यह आपस में बांट लिए लेकिन जहर लेने को कोई तैयार नहीं हुआ भगवान भोलेनाथ ने संसार और देवी देवताओं दानवों को जहर से बचाने के लिए हलाहल जहर कंठ में ग्रहण कर लिया इस लिए भगवान भोलेनाथ नीलकंठ भी कहलाऐं। अमृत निकला तो सब देवता दानव आपस में अमृत के लिए लडऩे लगे लेकिन भगवान नारायण ने मोहनी रूप रखकर अमृत को दाववों से बचा लिया। हमें भी संसार में रहकर लडऩा नही चाहिए जहर का घूटपीकर शांति समरसता और एकता के साथ जीना चाहिए। कथा स्थल पर श्रद्धालुओं के द्वारा भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मानाया गया भगवान का जन्म होते ही पंडाल में आनंद आ गया प्रसाद का वितरण किया गया।

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