कविता : बात मेरी है - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

  
प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2025

demo-image

कविता : बात मेरी है

ये बात मेरी है, कुछ मेरे दिल की है,

कुछ चाहत मेरी है, कुछ राहत मेरी है,

कुछ सपने हैं मेरे और वो मेरे अपने हैं,

अपने सपनों को पूरा करने की चाह में,

निकल पड़ी हूं एक अनजान राह में,

मंज़िल की तलाश में आ गई किस मोड़ पर,

मंज़िल को पाना एक सपना लगने लगा है,

मगर वो सपना अब अपना लगने लगा है॥




RENU%20AARYA

रेणु आर्य

कक्षा-6

दोफाड़, कपकोट

उत्तराखंड

चरखा फीचर्स

कोई टिप्पणी नहीं:

undefined

संपर्क फ़ॉर्म

नाम

ईमेल *

संदेश *