ये बात मेरी है, कुछ मेरे दिल की है,
कुछ चाहत मेरी है, कुछ राहत मेरी है,
कुछ सपने हैं मेरे और वो मेरे अपने हैं,
अपने सपनों को पूरा करने की चाह में,
निकल पड़ी हूं एक अनजान राह में,
मंज़िल की तलाश में आ गई किस मोड़ पर,
मंज़िल को पाना एक सपना लगने लगा है,
मगर वो सपना अब अपना लगने लगा है॥
रेणु आर्य
कक्षा-6
दोफाड़, कपकोट
उत्तराखंड
चरखा फीचर्स
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