मधुबनी : कमला नदी तट से निकला भगवान राम सीता का डोला - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

  
प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 27 फ़रवरी 2025

demo-image

मधुबनी : कमला नदी तट से निकला भगवान राम सीता का डोला

IMG-20250227-WA0056
जयनगर/मधुबनी (सुमित राउत)। जिले के जयनगर अवस्तिथ पवित्र कमला नदी के पावन तट पर से भगवान राम सीता का डोला नेपाल के जनकपुर के संत सुखराम शरण जी के नेतृत्व में नगर परिक्रमा कर साधु संतों के साथ रामपुर में रात्रि विश्राम कर सुबह कलना के लिए प्रस्थान करेंगे। आज यह डोला कमला नदी से निकलकर पटना गद्दी रोड इस्तिथ डॉ. सुनील राउत के निज आवास राउत निवास में दर्शन हेतु हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी रुकी। इस मौके पर हजारों श्रद्धालुओं ने पवित्र दर्शन किया।


इस मौके पर जानकारी देते हुए संत सुखराम शरण ने देते हुए बताया मिथिलांचल की 84 कोसी परिक्रमा आज से पवित्र कमला नदी तट पर से फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि धनिष्ठा नक्षत्र सोमवती अमावस्या के पंचक काल पर भगवान का डोला निकलता है। नगर परिक्रमा कर कलना में जाता है, जहां नेपाल सहित पूरे मिथिलांचल से भगवान के डोले आते हैं। मिथिलांचल 84 कोसी परिक्रमा 15 दिन चलता हैं। फागुन के पूर्णमासी को गृह परिक्रमा कर जनकपुर में इसका समापन होता है। मिथिलांचल में भगवान राम और सीता का डोला विश्व प्रसिद्ध है। इस परिक्रमा का इतिहास त्रेतायुग से जुड़ा हुआ है। जब प्रभु श्रीराम अपने अनुज लक्ष्मण व गुरु विश्वामित्र के साथ मिथिला के तत्कालीन राजा जनक के द्वारा आयोजित धनुष यज्ञ में भाग लेने के लिए मिथिलाधाम पधारे थे। राजा जनक के दरबार में पहुंचने से पहले प्रभु श्रीराम ने अनुज व गुरु के साथ नगर दर्शन किया था। प्रभु ने नगर दर्शन के दौरान जहां-जहां विश्राम किया, परिक्रमा के दौरान उन सभी स्थानों पर श्रद्धालु पहुंचते हैं। यह पूरी यात्रा 84 कोस की होती है। परिक्रमा में भारत-नेपाल के संत, साधु व श्रद्धालु भाग लेते हैं। मौके पर सैकड़ो लोग मौजूद रहे।

कोई टिप्पणी नहीं:

undefined

संपर्क फ़ॉर्म

नाम

ईमेल *

संदेश *