दिल्ली : साहित्यिक आयोजन 'श्रुति' में प्रसिद्ध पत्रकार प्रदीप सरदाना ने महान राज कपूर की स्मृति में व्याख्यान दिया। - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 18 फ़रवरी 2025

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दिल्ली : साहित्यिक आयोजन 'श्रुति' में प्रसिद्ध पत्रकार प्रदीप सरदाना ने महान राज कपूर की स्मृति में व्याख्यान दिया।

  • हबीब तनवीर के नया थिएटर ने कमानी में 'आगरा बाजार' का मंचन किया।

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नई दिल्ली (रजनीश के झा) : राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) के प्रतिष्ठित भारत रंग महोत्सव 2025 (बीआरएम 2025) का सत्रहवाँ दिन नाट्य कला के रंगों से सराबोर रहा। दर्शकों को पाँच विविध नाट्य प्रस्तुतियों का आनंद मिला, जिनमें छात्रों के नेतृत्व वाले एक अनूठे खंड ने सबका मन मोह लिया। इस खास अवसर पर एनएसडी के पूर्व छात्र और प्रसिद्ध अभिनेता यशपाल शर्मा, नीरज सूद और राजेश तैलंग ने अपनी उपस्थिति से महोत्सव की शोभा बढ़ाई। इस सत्र का कुशल संचालन श्रीवर्धन त्रिवेदी ने किया। बीआरएम 2025 के साहित्यिक खंड 'श्रुति' में वरिष्ठ पत्रकार और फ़िल्म समीक्षक प्रदीप सरदाना ने 'राज कपूर: यादों के झरोखे से' शीर्षक से एक स्मृति व्याख्यान दिया। उन्होंने महान शोमैन राज कपूर के साथ बिताए अपने अनुभवों और यादों को दर्शकों के साथ साझा किया, जिससे सभागार भावुकता और गौरव से भर गया। न्यूक्वेस्ट रिपर्टरी (ओडिशा) ने ओड़िया नाटक 'धर्माबतार' का मंचन किया। यह नाटक व्यक्तिगत लाभ के कर्तव्य और मातृभूमि के प्रति समर्पण के बीच नैतिक दुविधा की पड़ताल करता है, यह सवाल उठाते हुए कि नैतिक संकट के क्षणों में किसका महत्व अधिक होता है। इस नाटक को ई.आर. बिजया मिश्रा ने लिखा है, नलिनी निहार नायक द्वारा निर्देशित किया गया है, और इसका मंचन श्रीराम सेंटर में किया गया। आज की अंतरराष्ट्रीय प्रस्तुति में, एक्टर्स स्टूडियो (नेपाल) ने नेपाली नाटक 'कथा कस्तूरी' का मंचन किया। यह जयपुन, एक सपेरों के गाँव, की प्रेम, राजनीति और प्रतिशोध से भरी एक रोमांचक कहानी है। जैसे-जैसे राजनीतिक विश्वासघात और छुपे हुए रहस्य सामने आते हैं, कस्तूरी अपने पिता की मौत का बदला लेने और भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए संघर्ष करती है।इस नाटक को नयन राज पांडेय ने लिखा है, इसका निर्देशन दीया मास्की ने किया है, और मंचन लिटिल थिएटर ग्रुप ऑडिटोरियम में किया गया। 'लोकरंगम' खंड के तहत, हुडको  के सहयोग से  ग्रुप त्रिवेणी  (गुजरात) ने गुजराती नाटक 'कनसरी-डांग की मौखिक लोकगीत’ का मंचन किया यह नाटक डांग जनजाति की पारंपरिक कथा को जीवंत करता है और अदिवासी अन्न देवी कनासरी का उत्सव मनाता है। अलौकिक शक्तियों से संपन्न कनासरी राजघराने की इच्छा को ठुकराकर प्रेम को प्रतिष्ठा से ऊपर चुनती है और अन्याय के विरुद्ध प्रकृति की शक्तियों को जाग्रत करती है। इस नाटक को दह्याभाई वधु ने लिखा है, निर्देशन पी.एस. चारी ने किया है, और मंचन एनएसडी ओपन एयर में किया गया।


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नया थिएटर (मध्य प्रदेश) ने 'आगरा बाजार' का मंचन किया। यह नाटक आगरा के व्यस्त बाज़ार की पृष्ठभूमि में रचा गया है, जहाँ एक खीरा बेचने वाला अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए कवि नज़ीर से एक शेर लिखवाने की गुजारिश करता है। जैसे ही नज़ीर के गीत बाज़ार में गूंजते हैं, दुकानदारों की बिक्री बढ़ने लगती है, लेकिन इसी बीच एक युवक का प्रेम-प्रसंग एक दुखद मोड़ ले लेता है।यह हिंदुस्तानी भाषा का नाटक हबीब तनवीर द्वारा लिखा और निर्देशित किया गया था तथा इसका मंचन कमानी में किया गया। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) के तृतीय वर्ष के छात्रों ने 'इंद्रजीत' नाटक का भावपूर्ण मंचन किया, जिसने दर्शकों को रावण के अंतिम दिनों की मार्मिक यात्रा पर ले गया। यह नाटक रावण के भीतर उठते शोक, विश्वासघात और नियति के साथ संघर्ष को उजागर करता है। युद्ध में अपने पुत्र मेघनाद (इंद्रजीत) और अधिकायन की वीरगति से रावण टूट जाता है। धन्यमालिनी और मंदोदरी गहरे शोक में डूब जाती हैं और रावण के अहंकार और वासना को इस विनाश के लिए जिम्मेदार ठहराती हैं। इंद्रजीत के यज्ञ अनुष्ठान को लक्ष्मण और विभीषण द्वारा विफल कर देने के बाद, लंका के विनाश की भविष्यवाणी सच होती नज़र आती है।यह शक्तिशाली नाटक तमिल भाषा में पारंपरिक 'थेयरूकूथु' शैली में प्रस्तुत किया गया, जो इसकी प्रस्तुति को और भी विशिष्ट बनाता है। एस.एम. तिरुवेंगिडम द्वारा लिखित और कलैमणि पुरिसाई कन्नपा संबंदन द्वारा निर्देशित इस नाटक का मंचन एनएसडी के अभिमंच में किया गया, जिसने दर्शकों पर एक गहरा प्रभाव छोड़ा।


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सभी प्रस्तुतियों के बाद, दर्शकों को 'मीट द डायरेक्टर' खंड के तहत निर्देशक, कलाकारों और तकनीकी दल के साथ खुली चर्चा करने का अवसर मिला, जहाँ उन्होंने नाट्य निर्माण प्रक्रिया से जुड़ी अपनी जिज्ञासाओं और विचारों को साझा किया। ऐलाइड इवेंट्स के अंतर्गत ‘राष्ट्र निर्माण और रंगमंच’ विषय पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें रंगमंच की भूमिका और ओटीटी प्लेटफार्मों के युग में इसकी प्रासंगिकता पर विचार-विमर्श किया गया। इस संगोष्ठी के प्रतिष्ठित वक्ता प्रो. (डॉ.) के.जी. सुरेश, वरिष्ठ पत्रकार, पूर्व महानिदेशक ( आईआईएमसी), और पूर्व कुलपति (माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय), तथा राकेश सिन्हा, पूर्व राज्यसभा सांसद, थे। इस सत्र की अध्यक्षता एनएसडी के एसोसिएट प्रोफेसर शांतनु बोस ने की। वक्ताओं ने इस चर्चा के दौरान रंगमंच के सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभावों पर जोर दिया और यह विश्लेषण किया कि डिजिटल युग में इसकी भूमिका किस प्रकार विकसित हो रही है। प्रो. के.जी. सुरेश ने विशेष रूप से इस बात को रेखांकित किया कि रंगमंच को विज्ञान और संचार जैसे विषयों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि यह विभिन्न क्षेत्रों में अपनी व्यापकता स्थापित कर सके और राष्ट्र निर्माण में अधिक योगदान दे सके। एक अन्य संगोष्ठी ‘क्रिएटिव इकॉनमी एंड थिएटर ’ में, वक्ताओं चारुदत्त पाणिग्रही (लेखक और  एफआईडीआर  के संस्थापक मेंटर) और राहुल भुचर (उद्यमी और अभिनेता) ने रंगमंच से राजस्व उत्पन्न करने की विभिन्न रणनीतियों पर चर्चा की। इस वार्ता में प्रोडक्शन बजट बनाते समय मार्केटिंग फंड का आवंटन, कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर ) जैसी नीतियों की आवश्यकता, नाट्य प्रस्तुतियों की ब्रांडिंग आदि विषयों को शामिल किया गया। सत्र की अध्यक्षता प्रो. संदीप सिंह, अध्यक्ष, आईआईएम काशीपुर ने की।


अद्वितीय के 16वे दिन  आज के टॉक शो के अतिथि प्रसिद्ध अभिनेता और एनएसडी बैचमेट्स यशपाल शर्मा, नीरज सूद और राजेश तैलंग थे। इस कार्यक्रम की मेजबानी 'सनसनी' फेम श्रीवर्धन त्रिवेदी ने की। अतिथियों ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों, एनएसडी में अध्ययन के दौरान की यादों, रंगमंच के प्रति अपने जुनून, और एनएसडी से स्नातक होने के बाद फिल्मों तक की अपनी यात्रा को साझा किया। साहित्यिक खंड 'श्रुति' में महान अभिनेता और निर्देशक राज कपूर के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में एक स्मारक व्याख्यान आयोजित किया गया। इस व्याख्यान के सम्मानित वक्ता वरिष्ठ पत्रकार और फ़िल्म समीक्षक प्रदीप सरदाना थे। उन्होंने राज कपूर के साथ अपनी मधुर स्मृतियाँ साझा कीं और साथ ही अपने जीवनकाल में रंगमंच और सिनेमा की यात्रा पर भी प्रकाश डाला। इसी सत्र में, नाटककार जे.पी. सिंह उर्फ़ जयवर्धन की पुस्तक 'जयवर्धन के चार रंग' का विमोचन और एक रोचक चर्चा भी आयोजित की गई। यह पुस्तक जयवर्धन द्वारा लिखित चार नाटकों का एक अनोखा संकलन है, जो विभिन्न शैलियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनमें फार्स शैली में रचित हास्य रचनाओं से लेकर गांधारी के जीवन पर आधारित ऐतिहासिक नाटक तक शामिल हैं, जिनमें बहुत कम पात्रों का प्रयोग किया गया है। इस सत्र का कुशल संचालन प्रसिद्ध रंगमंच निर्देशक राज उपाध्याय ने किया, जिन्होंने जयवर्धन के नाटकों और उनकी विशिष्ट शैली पर प्रकाश डाला।

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