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शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2025

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विशेष : भारत में फरवरी से ही बढ़ी गर्मी, पश्चिमी तट पर हीटवेव का असर

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साल की शुरुआत में ही भारत में गर्मी ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। खासकर पश्चिमी तट के महाराष्ट्र और गोवा के कुछ इलाकों में तापमान तेजी से बढ़ा है। मुंबई में 25 और 26 फरवरी को हीटवेव की चेतावनी दी गई थी। 26 फरवरी को मुंबई का तापमान 38.7°C तक पहुंच गया, जो सामान्य से 5.9°C ज्यादा था। महाराष्ट्र और गोवा के कई तटीय इलाकों में भी लू जैसी स्थिति बनी हुई है। यहां पारा 37°C के पार चला गया है। इसी तरह, कर्नाटक और गुजरात के तटीय इलाकों में भी गर्मी और उमस बनी हुई है। वहां भी तापमान 35°C से 37°C के बीच दर्ज किया गया।


गर्म हवाओं की वजह से बढ़ी हीटवेव

आमतौर पर हीटवेव मार्च से जून के बीच आती है, लेकिन इस बार फरवरी से ही असर दिख रहा है। भारत में तटीय इलाकों में हीटवेव तब मानी जाती है जब तापमान सामान्य से 4.5°C या उससे ज्यादा बढ़ जाए और अधिकतम तापमान 37°C से ऊपर हो।


किन शहरों में कितना रहा तापमान?

राज्य स्थान 26 फरवरी का अधिकतम तापमान (°C) 25 फरवरी का अधिकतम तापमान (°C)

महाराष्ट्र मुंबई (सांताक्रूज) 38.5 38.7

रत्नागिरी 37.2 37

दहानू 38.2 38.1

गोवा पणजी 37.6 36.5

कर्नाटक कारवार 38.4 37.6

होन्नावर 38.2 35.9

मंगलौर 37 36.9

गुजरात पोरबंदर 36.6 36.5

महुवा 37 36.4

सूरत 38.4 37.8


गर्मी क्यों बढ़ रही है?

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार ठंड के मौसम में बारिश बहुत कम हुई, जिससे तापमान ज्यादा बढ़ रहा है। स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष महेश पलावत के मुताबिक, "इस बार देश में सर्दी काफी सूखी रही है। मध्य प्रदेश के ऊपर एक एंटी-साइक्लोन बना हुआ था, जिसने पश्चिमी तट की तरफ गर्म हवाएं भेजीं। इन हवाओं की वजह से समुद्र की ठंडी हवा देर से आई, जिससे तापमान तेजी से बढ़ा। तटीय इलाकों में नमी ज्यादा होने से गर्मी और असहनीय हो गई।"


जलवायु परिवर्तन का असर

डॉ. अक्षय देवरस, जो ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग में मौसम विज्ञान के शोधकर्ता हैं, उन्होंने बताया कि अमेरिका की क्लाइमेट एजेंसी ‘क्लाइमेट सेंट्रल’ के मुताबिक, पणजी में 25-27 फरवरी के बीच तापमान में कम से कम 5 गुना बढ़ोतरी मानव-जनित जलवायु परिवर्तन की वजह से हुई। मुंबई में भी तापमान 3 गुना ज्यादा बढ़ा, जो सीधे तौर पर ग्लोबल वॉर्मिंग का असर है।


हीटवेव के कारण बढ़ रहा है खतरा

हीटवेव सेहत के लिए बहुत खतरनाक हो सकती है। 2000 से 2019 के बीच भारत में हीटवेव से मौतों की संख्या 62% तक बढ़ गई है।


हीटवेव दो तरह की होती हैं—

शुष्क हीटवेव (Dry Heatwave): जब तापमान बढ़ जाता है लेकिन नमी कम रहती है।

आर्द्र हीटवेव (Humid Heatwave): जब गर्मी के साथ उमस भी होती है, जिससे शरीर पसीने के जरिए खुद को ठंडा नहीं कर पाता।

वेट-बल्ब तापमान (Wet Bulb Temperature) 35°C के करीब पहुंचने पर शरीर के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। अगर वातावरण का तापमान 40°C से ऊपर चला जाए और नमी ज्यादा हो, तो शरीर पसीना नहीं छोड़ पाता और गर्मी अंदर बनी रहती है, जिससे हीट स्ट्रोक जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं।


क्या कहना है विशेषज्ञों का?

महेश पलावत का कहना है, : "भारत में गर्मी का मौसम अब लंबा हो गया है और सर्दी छोटी होती जा रही है। बारिश का पैटर्न भी अनियमित हो गया है, जिससे पूरे देश में तापमान प्रभावित हो रहा है। जब तक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम नहीं किया जाता, हीटवेव की घटनाएं और बढ़ती जाएंगी।"


बारिश की कमी से और बिगड़े हालात

राज्य 1 जनवरी – 26 फरवरी 2025 तक हुई बारिश (मिमी) सामान्य बारिश (मिमी) कमी (%)

गुजरात 0 1.0 -100%

गोवा 0 1.6 -100%

महाराष्ट्र 0 7.6 -99%

कर्नाटक 0.9 4.6 -80%

केरल 7.2 19.7 -64%

बारिश की इतनी कमी ने गर्मी को और बढ़ा दिया है।


आने वाले दिनों में क्या होगा?

आईएमडी के मुताबिक, अगले कुछ दिनों तक गर्मी और उमस बनी रहेगी, भले ही हीटवेव थोड़ी कम हो जाए। अगर हालात ऐसे ही रहे, तो 2025 भारत के सबसे गर्म सालों में शामिल हो सकता है।

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