- प्रधानमंत्री को पता होना चाहिए कि एपीएमसी ऐक्ट खत्म करने वाला पहला राज्य बिहार है।
- भूमि अधिग्रहण में मुआवजे की मांग कर रहे किसानों के प्रति सरकार का रवैया है घोर दमनात्मक।
- भा.ज.पा.-जदयू शासन में चीनी मिल सहित सभी उद्योग बंद हो चुके हैं।
उन्होंने सवाल किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने किसान कल्याण योजना की बात की, लेकिन क्या उन्हें यह नहीं पता कि एपीएमसी ऐक्ट को खत्म कर बिहार पहला राज्य था, जिसने किसानों को पूरी तरह से बाजार के हवाले कर दिया? भाजपा-जदयू शासन ने किसानों के साथ सिर्फ मजाक किया है। भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आज राज्यभर में किसान आंदोलित हैं और वे 2013 की दर से मुआवजे की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी मांगों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर रही है। सिवान में राम जानकी पथ, जहानाबाद में भारत माला, बक्सर, पटना जिले के बिहटा, नवादा समेत कई स्थानों पर किसान आंदोलित हैं, लेकिन सरकार के पास उनकी समस्याओं को सुनने का समय तक नहीं है। कुणाल ने कहा कि भाजपा-जदयू शासन के दौरान चीनी मिलों सहित सभी बड़े उद्योग बंद हो चुके हैं। लोग अब पलायन करने को मजबूर हैं। 95 लाख परिवार केवल 6 हजार रुपये मासिक पर जीवन जीने को बाध्य हैं। जीविका, आशा-रसोइया, आंगनबाड़ी और स्कीम वर्करों के साथ सरकार का अन्याय भी जगजाहिर है। लाखों सरकारी पद खाली पड़े हैं, लेकिन सरकार इन मुद्दों पर कोई ध्यान नहीं दे रही। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में दलितों, गरीबों और महिलाओं पर बढ़ती हिंसा चिंता का विषय है। भाजपा-जदयू शासन के सारे दावे और नरेटिव पूरी तरह से विफल हो चुके हैं। बिहार को अब प्रधानमंत्री मोदी के झांसे की जरूरत नहीं है, बल्कि यहां बदलाव की आवश्यकता है। और बिहार की जनता ने इस बार बदलाव का मन बना लिया है। आगामी 2 मार्च को पटना के गांधी मैदान में राज्य की सभी संघर्षशील ताकतों का महाजुटान होगा।
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