पब्लिक से सीधे जुड़ाव के कारण ही बिहार पुलिस के फॉलोवर्स की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। दरअसल, बिहार पुलिस मुख्यालय स्थित सोशल मीडिया सेंटर में चौबीसों घंटे काम कर रहे पुलिसकर्मी ससपेक्टेड अकाउंट पर भी नजर रखते हैं। सोशल मीडिया पर किसी तरह की अफवाह फैलाने वाले, भ्रामक या उन्माद फैलाने वाले पोस्ट करने वाले, हथियार का प्रदर्शन करने वाले, किसी का वीडियो वायरल करने वाले या फिर फेक अकाउंट बनाने वालों पर चौबीसों घंटे नजर रखी जाती है। इस तरह की गतिविधियों से किसी भी तरह से समाज या लोगों को दिग्भ्रमित करने वालों के खिलाफ संबंधित अधिकारी या विभाग को पूरी जानकारी भेजी जाती है, ताकि समय पर ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जा सके। इस कदम से सोशल मीडिया पर बिहार पुलिस के प्रति लोगों का विश्वास लगातार बढ़ता जा रहा है। सोशल मीडिया पर फॉलोवर्स की संख्या की बात करें तो बिहार पुलिस राज्य के किसी भी अन्य सरकारी विभाग से बहुत आगे है। पिछले साल राजस्थान पुलिस ने भी सोशल मीडिया सेंटर का विज़िट कर यहां के कामकाज को समझने की कोशिश की थी कि कैसे सोशल मीडिया के जरिए पुलिसिंग को और बेहतर किया जा सकता है।
सोशल मीडिया के जरिए साइबर फ्रॉड आजकल आमलोगों को अपना शिकार बनाते हैं। इससे बचने के लिए बिहार पुलिस लगातार लोगों को जागरूक कर रही है। डिजिटल अरेस्टिंग जैसे टर्म को यूज कर या इन्वेस्टमेंट के नाम पर लोगों से उनकी कमाई ठगी जाती है। इससे बचने का यही तरीका है कि आप जागरूक रहें और अपने करीबी व आसपास के लोगों को भी जागरूक करें। फोटो या वीडियो के जरिए आसान तरीके से बिहार पुलिस के पेज पर लोगों को जागरूक किया जाता है कि पुलिस या कोई भी अधिकारी फोन कॉल कर न तो पैसे की डिमांड करते हैं और न ही किसी तरह की धमकी देते हैं। लोग जितना ज्यादा जागरूक होंगे, ऐसे फ्रॉड के जाल में उतना ही कम फँसेंगे। बिहार पुलिस की तरफ से लोगों से लगातार अपील की जाती है कि डिजिटल अरेस्टिंग जैसा कुछ होता नहीं है, यह बस लोगों के झांसे में लेकर उनके पैसे लूटने का एक जरिया है। न तो पुलिस के अफसर और न ही कोई अधिकारी फोन पर इस तरह की जानकारी या धमकी देते हैं, इसलिए लोगों को ऐसे कॉल पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
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