- प्रस्तावित अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2025 का भाकपा-माले ने किया विरोध, अधिवक्ताओं के अधिकारों पर हमला बताया
बैठक के दौरान माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि यह महाजुटान हमारी पहले की रैलियों से अलग होगा। इसमें हम व्यवस्थापक हैं और इसमें अपनी न्यायपूर्ण मांगों के साथ जन आंदोलनों की ताकतें भी शामिल हो रही हैं। इसे एक साझा जनांदोलन का रूप दिया जा रहा है, जिसे व्यापक समर्थन मिल रहा है। उन्होंने बताया कि पार्टी के विधायक और कार्यकर्ता गांवों और मुगलों में सभाएं कर रहे हैं ताकि अधिक से अधिक लोग महाजुटान में भाग ले सकें। बैठक में भाकपा-माले ने मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2025 का कड़ा विरोध किया। माले नेताओं ने कहा कि यह विधेयक अधिवक्ताओं के अधिकारों और स्वतंत्रता पर सीधा हमला है और इसे तुरंत बिना शर्त वापस लिया जाना चाहिए। यह सरकार को बार काउंसिल, अधिवक्ताओं और अधिवक्ता संघों को नियंत्रित करने का अधिकार देता है, जो न्यायपालिका की स्वतंत्रता के खिलाफ है। यह राज्य बार काउंसिलों की स्वायत्तता को खत्म कर उनकी शक्तियों का क्षरण करता है। विधेयक लागू होने से कानूनी पेशे की स्वतंत्रता खतरे में पड़ जाएगी, जिससे अधिवक्ता समुदाय की स्वायत्तता पर गहरा असर पड़ेगा। माले नेता ने कहा कि यह विधेयक लोकतंत्र के मूल्यों के खिलाफ है और इसे लागू करने की कोशिश का संपूर्ण विरोध किया जाएगा। भाकपा-माले ने बिहार के सभी न्यायप्रिय नागरिकों, श्रमिकों, किसानों, युवाओं, छात्रों और अधिवक्ताओं से अपील की है कि वे 2 मार्च को गांधी मैदान में महाजुटान में शामिल होकर बदलाव के इस संघर्ष को मजबूत करें।
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