विशेष : यूपी के समवेत विकास का बजट - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 24 फ़रवरी 2025

विशेष : यूपी के समवेत विकास का बजट

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बजट केंद्र को हो या राज्य का, संस्था का हो या परिवार का,बेहद मायनेखेज होता है। उसे हल्के में नहीं लिया जा सकता; बजट  सही मायने में विकास का रोडमैप होता है जिसमें जीवन की हर छोटी—बड़ी चीजों का ध्यान रखा जाता है। हर उतार—चढ़ाव,नफा—नुकसान की संभावनाओं पर गौर किया जाता है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के मौजूदा नौवें बजट को भी कमोवेश इसी रूप में देखा—समझा जा सकता है। वैसे भी यह बजट सामान्य नहीं है। 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक का सालाना बजट यह बताने और जताने के लिए गंभीर है कि राज्य के समग्र विकास में इस बजट की क्या अहमियत है? इसे लोकलुभावन ,और चुनावी और जुमला बजट कहकर एकबारगी खारिज करने की कोशिश की जा सकती है लेकिन साल दर साल बजट का बढ़ता दायरा  इस बात का साक्षी है कि उत्तर प्रदेश की न केवल जरूरतें बढ़ रही हैं, बल्कि वह उसी हिसाब से काम भी कर रहा है। आगे भी बढ़ रहा है। मौजूदा सरकार का फोकस फिलहाल शहर ही नहीं, गांव पर भी है। नौकरीपेशा और उद्योगपति ही नहीं,किसानों और मजदूरों के समवेत विकास पर भी है।वह इस देश की आधी आबादी के उत्थान के लिए कटिबद्ध है। वित्तीय वर्ष 2024-2025 के सापेक्ष मौजूदा बजट में 9.8 प्रतिशत की वृद्धि का प्रस्ताव और कुल बजट का लगभग 20.5 प्रतिशत पूंजीगत परिव्यय निर्धारित करने का विचार सरकार की विकास प्रतिबद्धता और उसमें धन की कमी न होने देने का संकल्प नहीं तो और क्या है?  

 

जातीय सर्वेक्षण की राजनीतिक मांग के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला, युवा, किसान और श्रमिक को ही जाति माना है और इसका असर केंद्र से लेकर हर भाजपा शासित राज्यों के बजट पर प्रमुखता से दिख भी रहा है। इस बजट में मध्यवर्ग की चिंताओं पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है, यह बात उसके बजट में भी नजर आती है। कृषि,उद्योग और  बुनियादी विकास के साथ ही योगी सरकार के इस बजट में स्वास्थ्य सेवाओं के साथ तकनीकी के इस्तेमाल पर  भी विशेष जोर दिया गया है। वित्तीय वर्ष 2014-2015 से 2022-2023 तक की अवधि के लिए  राज्यों की राजकोषीय स्थिति पर प्रकाशित नीति आयोग की रिपोर्ट के हवाले से उत्तर प्रदेश को अग्रणी राज्य  बताने में भी यूपी के वित्तमंत्री सुरेश खन्ना पीछे नहीं रहे हैं।  यह बजट चूंकि वसंत ऋतु में आया है। ऐसे में प्रदेश की जनता को वासंती भाव बोध से जोड़ने का दायित्व भी सरकार का है। कहना न होगा कि वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने इस दायित्व को बखूबी निभाया है। 'कोई न हो उदास तो समझो बसन्त है। हर घर में हो उल्लास तो समझो बसन्त है।' यह कहकर एक तरह से उन्होंने सरकार की रीति—नीति और वैचारिक प्रतिबद्धता को ही आगे बढ़ाने की कोशिश की है। हर चेहरे पर खुशी लाना ही किसी भी सरकार के बजट का प्रथम लक्ष्य होना चाहिए। इसमें संदेह नहीं कि  हर साल राज्यों के बजट के आकार बढ़ रहे हैं, लेकिन उस बजट का कितना उपयोग और दुरुपयोग हो रहा है, विचार तो इस बिंदु पर भी होना चाहिए। मौसम को गुलाबी बताने में कोई बुराई नहीं है लेकिन यथार्थ के धरातल पर गुलाबी आभा दिखनी भी तो चाहिए।

 

यह कहने में शायद ही किसी को कोई गुरेज हो कि पं.दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद का दर्शन इस बजट में बखूबी दिख रहा है। महिलाओं की शिक्षा और विकास से परिवार स्वत: विकसित हो जाता है। युवाओं के हाथ में काम हो। किसान खुशहाल हों तो देश खुशहाल हो जाता है। श्रमिकों को पसीना सूखने से पहले ही मजदूरी मिल जाए तो देश की तरक्की में चार चांद लग जाते हैं। नीति आयोग की रिपोर्ट कहती है कि  वर्ष 2018 से 2023 की अवधि में उत्तर प्रदेश का पूंजीगत व्यय, कुल व्यय के 14.8 प्रतिशत से 19.3 प्रतिशत के मध्य रहा। इस अवधि में यह अनुपात देश के प्रमुख राज्यों के औसत अनुपात से अधिक रहा।  इस बहाने सरकार ने यह प्रतिपादित करने की कोशिश की है कि देश के सभी राज्यों की स्वयं के कर की प्राप्तियों में उत्तर प्रदेश का अंश वर्ष 2022-2023, 2023-2024 एवं 2024-2025 में क्रमशः 9.9 प्रतिशत, 10.5 प्रतिशत एवं 11.6 प्रतिशत रहा जो महाराष्ट्र के उपरान्त देश में सर्वाधिक है।


उक्त वर्षों में सभी राज्यों में राजस्व प्राप्तियों के सापेक्ष ब्याज पर व्यय क्रमशः 12.6, 12.3 एवं 12.1 प्रतिशत रहा जबकि उत्तर प्रदेश में यह प्रतिशत 10.3, 9.4 एवं 8.9 रहा। सकल राज्य घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में सभी राज्यों का विकास व्यय क्रमशः 10.9, 11.9 एवं 12 प्रतिशत रहा, जबकि उत्तर प्रदेश में यह औसत क्रमशः 13.8, 16 एवं 16.7 प्रतिशत रहा। उत्तर प्रदेश की ऋणग्रस्तता  वर्ष 2016-2017 की समाप्ति पर जीएसडीपी का 36.7 प्रतिशत थी, वह  घट कर वर्ष 2022-2023 में 30.4 प्रतिशत हो गयी है। इसमें संदेह नहीं कि  मौजूदा  बजट में अवस्थापना विकास हेतु 22 प्रतिशत, शिक्षा हेतु 13 प्रतिशत, कृषि और सम्बद्ध सेवाओं हेतु 11 प्रतिशत, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में 6 प्रतिशत, सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों हेतु 4 प्रतिशत बजट आवंटित किया गया है। शोध,विकास तथा सूचना प्रौद्योगिकी पर बजट में विशेष भी ध्यान दिया है। प्रदेश को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में हब के रूप में विकसित करने हेतु आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिटी की स्थापना तथा साइबर सिक्योरिटी में टेक्नोलॉजी रिसर्च ट्रांसलेशन पार्क की स्थापना का विचार इस बजट की विशेष खासियत है। जाहिर है, इससे प्रदेश की जनता को बड़ी राहत मिलने वाली है। प्रदेश के प्राथमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में आईसीटी लैब तथा स्मार्ट क्लासेज की स्थापना, राजकीय पॉलीटेक्निकों में स्मार्ट क्लासेज तथा पूर्णतया डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बढ़ावा देने के लिए हेतु सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना पर बजट में विशेष ध्यान दिया गया है। प्रदेश में साइंस सिटी, विज्ञान पार्कों और नक्षत्र शालाओं की स्थापना एवं नवीनीकरण की व्यवस्था भी इस बजट में प्रमुखता से की गई है।

  

नगर निगमों के अलावा प्रदेश के जनपद मुख्यालय के 58 नगर निकायों को आदर्श स्मार्ट नगर निकाय के रूप में विकसित किये जाने हेतु विभिन्न योजनाओं के कन्वर्जेंस के माध्यम से कार्य कराने और इस निमित्त हर नगर निकाय के लिए ये 2.50 करोड़ व्यवस्था प्रस्तावित  करना यह बताता है कि सरकार किसी भी क्षेत्र को विकास से महरूम  रखने के पक्ष में नहीं है। उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा प्रदेश के जिला मुख्यालयों में कामगार/श्रमिक अड्डे बनवाने की योजना के तहत उसमें कैंटीन, पेयजल, स्नानागार और शौचालय की व्यवस्था  का विचार तो सराहनीय है ही,गांधी जयंती से   से 'जीरो पॉवर्टी अभियान' का शुभारंभ की काबिलेगौर है और इसका असर प्रदेश के लोकजीवन में कुछ हद तक दिखने भी लगा है।  बलिया तथा बलरामपुर जिले में स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय की स्थापना हेतु  27 करोड़ रुपये तथा 25 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है जबकि वित्तीय वर्ष 2025-2026 में महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय, गोरखपुर का निर्माण कार्य पूर्ण किया जाना, जनपद अयोध्या में राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय का निर्माण, वाराणसी में राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज की स्थापना पर भी इस बजट में विशेष ध्यान दिया गया है।

   

उत्तर प्रदेश में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे से गंगा एक्सप्रेस-वे कौसिया, जनपद हरदोई वाया फर्रुखाबाद तक प्रवेश नियंत्रित ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे के निर्माण  के लिए 900 करोड़ रुपये प्रस्तावित किए गए हैं। गंगा एक्सप्रेस-वे को प्रयागराज, मिर्जापुर, वाराणसी, चंदौली होते हुये सोनभद्र से जोड़ने के लिये विन्ध्य एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए  50 करोड़ रुपये की व्यवस्था  की गई है। मेरठ को हरिद्वार से जोड़ने हेतु गंगा एक्सप्रेस-वे विस्तारीकरण एक्सप्रेस-वे का निर्माण प्रस्तावित है। इस निमित्त  50 करोड़ रुपये की व्यवस्था  की गई है।बुन्देलखण्ड रीवा एक्सप्रेस-वे बनाने के लिए 50 करोड़ रुपये की व्यवस्था  की गई है। बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे के साथ डिफेंस इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर परियोजना के लिए 461 करोड़ रुपये का बजटीय प्राविधान किया गया है। साइबर सुरक्षा में टेक्नोलॉजी ट्रांसलेशन रिसर्च पार्क की स्थापना हेतु 3 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है।


मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान के लिए वित्तीय वर्ष 2025-2026 के बजट में 1000 करोड़ रुपये की व्यवस्था  की गई है।मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के लिए 225 करोड़ रुपये की व्यवस्था, टेक्सटाइल पार्क की स्थापना  व्यय के लिए  300 करोड़ रुपये की व्यवस्था,  उत्तर प्रदेश वस्त्र गारमेन्टिंग पालिसी, 2022 के क्रियान्वयन के लिए 150 करोड़ रुपये की व्यवस्था,अटल बिहारी बाजपेई पॉवरलूम विद्युत फ्लैट रेट योजना हेतु 400 करोड़ रुपये की व्यवस्था कुटीर उद्योग को गति दे सकती है।उत्तर प्रदेश माटी कला बोर्ड के संचालन के लिए 11.50 करोड़ रुपये के व्यवस्था कर सरकार ने कुम्हारी कला से जुड़े लोगों के जीवन में रोशनी भरने का प्रयास किया है। राज्य सड़क निधि से सड़कों के अनुरक्षण हेतु 3000 करोड़ रुपये तथा निर्माण हेतु 2800 करोड़ रुपये,ग्रामीण मार्गों एवं पुलियों के अनुरक्षण हेतु 2700 करोड़ रुपये की व्यवस्था ,ग्रामीण सेतुओं के निर्माण के लिए 1600 करोड़ रुपये की व्यवस्था शहर और गांव को जोड़ने और विकास को चौतरफा हवा देने का काम कर सकती है। कुल मिलाकर बजट बेहतरीन और उम्दा बन पड़ा है। इसमें विकास के हर आयाम और हर लाभार्थी वर्ग के हितों की चिंता की गई है लेकिन सरकार को यह भी ध्यान रखना होगा कि इस बजट से न केवल योजनाओं का सफल क्रियान्वयन हो बल्कि उसका प्रभाव प्रदेश के हर नागरिक के जीवन में परिलक्षित भी हो। यही इस बृहदाकार बजट की सार्थकता भी है।

 





सियाराम पांडेय'शांत'

लखनऊ, 

उत्तर प्रदेश

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