दिल्ली : कहानी संग्रह 'खैबर दर्रा' का लोकार्पण एवं परिचर्चा का हुआ आयोजन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 6 फ़रवरी 2025

demo-image

दिल्ली : कहानी संग्रह 'खैबर दर्रा' का लोकार्पण एवं परिचर्चा का हुआ आयोजन

IMG-20250206-WA0040
नई दिल्ली (रजनीश के झा)। प्रख्यात कथाकार पंकज सुबीर के नवीनतम कहानी संग्रह 'खैबर दर्रा' का लोकार्पण एवं परिचर्चा का आयोजन दिल्ली में  विश्व पुस्तक मेले में हुआ। कार्यक्रम का संचालन पारुल शर्मा ने किया। इस अवसर पर साहित्य जगत के कई प्रतिष्ठित विद्वानों और लेखकों ने पुस्तक पर चर्चा की। प्रसिद्ध लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ ने कहा कि पंकज सुबीर एक बेहद अनुभवी कथाकार हैं। उन्होंने पुस्तक से एक अंश का पाठ भी किया और बताया कि पंकज की कहानियों में मनोविज्ञान को गहराई से पकड़ा गया है। उन्होंने कहा, "पंकज के भीतर कहीं न कहीं एक स्त्री लेखक मौजूद है, जो उनकी कहानियों में स्त्री मनोविज्ञान को बारीकी से उकेरता है।" इसके साथ ही, उन्होंने LGBTQ विषयों को कहानी में उठाने के उनके प्रयास की भी सराहना की। वरिष्ठ साहित्यकार तेजिंदर ने कहा कि पंकज सुबीर की कहानियों में किस्सागोई का तत्व ज़िंदा है। उन्होंने कहा, "सिर्फ घटनाओं से कहानियां नहीं बनतीं, वरना पुलिस का एफआईआर रजिस्टर ही सबसे बड़ा कहानी संग्रह होता!" उन्होंने यह भी कहा कि पंकज एक बेहतरीन ग़ज़लकार भी हैं, इसलिए उनकी कहानियों में एक विशेष लय होती है, जो पाठकों को बांधे रखती है। अपने वक्तव्य में पंकज सुबीर ने बताया कि इस संग्रह की दो कहानियां ट्रांसजेंडर समुदाय को केंद्र में रखकर लिखी गई हैं। उन्होंने कहा, "यदि हम हाशिए के विषयों पर नहीं लिखेंगे, तो कौन लिखेगा?" उन्होंने यह भी कहा कि कहानी का मूल तत्व कथानक होता है, और शिल्प को उसी के अनुरूप ढालना चाहिए, न कि शिल्प के नाम पर पाठकों को दूर भगाना। परिचर्चा में यह भी कहा गया कि पंकज सुबीर की कहानियां अपने समय के यथार्थ को उभारती हैं और उनका व्यंग्य चुभता नहीं, बल्कि एक प्रभावशाली मीठेपन के साथ प्रस्तुत होता है। कार्यक्रम में साहित्य, कला और अकादमिक जगत से जुड़े कई विद्वान एवं पाठक उपस्थित रहे, जिन्होंने 'खैबर दर्रा' को एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील कहानी संग्रह बताया। अंत में प्रकाशक मीरा जौहरी जी ने लेखक और सभी वक्ताओं को धन्यवाद अर्पित किया।

कोई टिप्पणी नहीं:

undefined

संपर्क फ़ॉर्म

नाम

ईमेल *

संदेश *