- पुरुषों में माउथ और महिलाओं में स्तन कैंसर सबसे ज्यादा, पूर्वांचल में गैस्ट्रिक व ब्रेस्ट कैंसर मरीजों की संख्या अधिक
उन्होंने बताया कि किसी भी बीमारी की समय रहते पहचान होने से न केवल बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है, बल्कि इसके प्रभावी प्रबंधन में भी मदद मिलती है. इसको ध्यान में रखते हुए अस्पताल द्वारा विभिन्न तरह के जांच अभियान चलाए जा रहे हैं और अब तक 2 लाख से अधिक लोगों की कैंसर स्क्रीनिंग की जा चुकी है. इनमें 1,68,000 महिलाओं की स्क्रीनिंग शामिल है. स्क्रीनिंग में मुख्य रूप से मुंह का कैंसर, स्तन कैंसर एवं गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर शामिल हैं. उन्होंने बताया कि कैंसर का इलाज लंबे समय तक चलने के कारण कई बार मरीज इलाज पूरा करने में असमर्थ होते हैं. वहीं अस्पताल आने वाले ज्यादतर कैंसर मरीज आर्थिक रूप से बेहद कमजोर होते हैं. उन्होंने बताया कि ऐसे मरीजों को इलाज में मदद करने के लिए अस्पताल में चिकित्सकीय समाजिक विभाग (एम.एस.डब्ल्यू.) है, जो अब तक 38,262 मरीजों को विभिन्न प्रकार की सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं से जुड़ी योजनाओं के जरिए 350 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का इलाज उपलब्ध करा चुका है. विभाग द्वारा न केवल ऐसे मरीजों को सरकारी योजनाओं के बारे में बताया जाता है, बल्कि उसके लिए सभी तरह के कागजी कार्रवाई में भी मदद की जाती है. महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र और होमी भाभा कैंसर अस्पताल, वाराणसी के निदेशक डॉ. सत्यजीत प्रधान ने बताया कि कैंसर मरीजों को इलाज देने के साथ ही अब ये संस्थान शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. अस्पताल द्वारा हाल ही में जहां कैंसर के क्षेत्र में बेसिक रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए समर्पित लैब की स्थापना की गई, वहीं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र व होमी भाभा नेशनल इंस्टिट्यूट (डीम्ड विश्वविद्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, भारत सरकार) को ऑफ साइट कैंपस का भी दर्जा मिला है, जिससे यहां मेडिकल, सर्जिकल, रेडिएशन आंकोलॉजी, आंकोपैथोलॉजी एवं एनिस्थिसियोलॉजी सहित स्नातकोत्तर एवं सुपर स्पेशिलिटी के पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश सहित पड़ोसी राज्यों के कैंसर मरीजों को गुणवत्तापरक इलाज उपलब्ध कराने के लिए इन दोनों अस्पतालों में हर साल नई सेवाओं का विस्तार किया जा रहा है, ताकि कैंसर मरीजों को इलाज के लिए बड़े शहरों के चक्कर न लगाने पड़ें. पिछले साल शुरू हुई नई सेवाओं एवं सुविधाओं में मुख्य रूप से अतिरिक्त लीनियर एक्सलरेटर रेडिएशन मशीन, अतिरिक्त सीटी सिम्यूलेटर, मशीन, बैरियर लांड्री, कम्पोस्ट मशीन आदि।
दान दाताओं का आभार
टाटा स्मारक केंद्र, मुंबई के निदेशक डॉ. सुदीप गुप्ता ने बताया कि मरीजों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए नई सुविधाओं के साथ-साथ वर्तमान सेवाओं का विस्तारण भी बेहद जरूरी है, जिसे कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के जरिए पूरा किया जा रहा है. अब तक अस्पताल को 136 करोड़ रुपये से अधिक का सीएसआर मिल चुका है, जिसके लिए हम सभी दानदाताओं के शुक्रगुजार हैं. इन राशि से अस्पताल में कई तरह की सुविधाएं मरीज हित को देखते हुए शुरू की गई हैं. इस मौके पर हास्पिटल के डॉ बीके मिश्रा भी मौजूद रहे। इस मौके पर हास्पिटल के उपनिदेशक डॉ बीके मिश्रा भी मौजूद रहे।
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