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गुरुवार, 27 फ़रवरी 2025

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विशेष : आस्था बेजोड़... डुबकियां रिकॉर्डतोड़, 45 दिन स्नान, पहुंचा आधा हिंदुस्तान!

इतिश्री महाकुंभ के 45 दिनों में दुनिया के सबसे बड़े आयोजन के आस्था के सागर में 66.30 करोड़ श्रद्धालुओं ने डुबकी लगायी। मतलब साफ है यह महाकुंभ मानव तीर्थयात्रा का अब तक का सबसे बड़ा आयोजन जिस भव्यता के साथ आरंभ हुआ था, उसी भव्यता के साथ कुंभ का समापन हो गया। देखा जाएं तो दुनिया के किसी भी देश में इतनी बड़ी संख्या वाली भीड़ बिना किसी भेदभाव व जाति के मकड़जाल से इतर एक जगह इकठ्ठी नहीं हुई है। खासकर भारत के उन लोगों के मुंह पर यह भीड़ करारा तमाचा है जो सनातन संस्कृति के प्रति घृणित बयानबाजियां करते है। उन लोगों के प्रति सबक है जो आस्था को पिछड़ापन व अंध विश्वास बताते नहीं थकते। उन लोगों को भी चेतावनी है जो सनातन के सद्भाव, आस्था व भक्ति पर चोट करते हुए जाति के बंधन में बांधकर अपनी सियासत चमकाते है। वैसे भी यह डिजिटल युग का पहला महाकुंभ है, जहां करोड़ों लोगों ने सोशल मीडिया पर महाकुंभ से जुड़ी अपनी फोटो शेयर करते हुए मानव इतिहास का सबसे बड़ा अद्भूत, अकल्पनीय व अविश्वनीय आयोजन बताया है। पहले दिन से शुरू हुआ पवित्र डुबकी लगाने का सिलसिला आज तक बदस्तूर वैसे ही जारी है, श्रद्धालुओं में वैसा ही उत्साह और उमंग आज भी देखने को मिल रहा है. हालांकि, बीते 45 दिनों में कई ऐसी चीजें देखने को मिलीं, जो भक्तों के दिलों में लंबे समय तक ताजी रहेंगी। फिर चाहे वह शाही स्नानों के बावजूद प्रयागराज में हर दिन करोड़ों लोगों के जुटने और इसके चलते जाम की स्थिति पैदा होने की घटनाएं हों या महाकुंभ में एक के बाद एक बाबाओं के वायरल होने की. जहां तक भीड़ के रिकार्ड का सवाल है तो प्रयागराज अर्धकुंभ 2019 में 24 करोड़, प्रयागराज महाकुंभ 2013 में 12 करोड़, हरिद्वार कुंभ 2010 में 7 करोड़ रहा। मतलब साफ है देश में दो दशक में सांस्कृतिक उत्थान को बल मिला है। हिन्दुत्व एकता की तस्वीर का नतीजा अयोध्या में श्रीरामलला मंदिर का निर्माण, वाराणसी काशी विश्वनाथ कॉरीडोर के साथ काशी के बदले हालात व प्रयागराज में उमड़ी करोड़ों की आस्था सबसे बड़ा उदाहरण बनकर उभरा है कि जो सनातन पर बखेड़ा करेगा, उसे ऐसे ही जवाब मिलते रहेंगे


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फिरहाल, मानवता का ’महायज्ञ’, आस्था, एकता और समता का महापर्व महाकुंभ कई मायनों में खास रहा, 144 साल बाद ऐसा अद्भुत संयोग आया था कि हर शख्स संगम में पवित्र डुबकी लगा लेने को लेकर उत्साहित था. प्रयागराज तक पहुंचने के लिए लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन संगम में डुबकी लगाने के बाद सबके चेहरे पर एक अलग तरह का संतोष भी दिखा. वैसे महाकुंभ में क्या आम क्या खास हर वर्ग के लोग आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचे और करीब-करीब देश की आधी आबादी ने तो महाकुंभ में स्नान कर ही लिया है. 45 दिन तक चलने वाले सतातन के सबसे बड़े उत्साह पर्व में 66.30 करोड़ लोगों ने पवित्र संगम में डुबकी लगाई. यानी अमेरीकी आबादी से दोगुने लोग महाकुंभ में शामिल हो चुके हैं. जबकि यूपी सरकार ने महाकुंभ में 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगाया था. हर रोज औसतन डेढ़ करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई। 30 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु ट्रेन से महाकुंभ पहुंचे. इसके साथ-साथ 73 देशों के डेलीगेट्स और 50 लाख विदेशी नागरिक भी महाकुंभ पहुंचे. ये एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है. इतने बड़े आयोजन में कई रिकॉर्ड स्थापपित हुए तो चुनौतियां आईं. कभी भगदड़ में हुई श्रद्धालुओं की मौत के आंकड़ों पर सवाल हुआ तो कभी संगम के पानी पर सियासत हुई. इसके बावजूद करोड़ों लोग ममहाकुंभ के दौरान भक्ति-भाव में डूबे नजर आए. महाकुंभ तक पहुंचने के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन संगम में डुबकी लगाने के बाद सबके चेहरे पर एक अलग तरह का संतोष भी दिखा. सीएम योगी ने कहा, महाकुंभ को बदनाम करने के लिए सनातन विरोधियों ने पूरी ताकत लगाई। हर अनैतिक फॉर्मूला अपनाया, लोगों को डराया लेकिन इसके बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह न तो कम हुआ, न ही महाकुंभ की महिमा पर कोई दाग लगा पाए। कहा जा सकता है इस दौरान कई न सिर्फ कई रिकॉर्ड टूटे, बल्कि कई नए ट्रेंड बने, काफी कुछ अलग हुआ, आयोजन पर सियासत हुई तो हादसे भी हुए. जातियों के बंधन को तोड़कर रख दिया। एक तरह से यह एक बिना शोर वाली वैचारिक बदलाव वाली क्रांति है। ऐसा इसलिए क्योंकि बीते लोकसभा चुनाव में 64.64 करोड़ लोगों ने वोटिंग की थी, जबकि 66.30 करोड़ लोगों ने बिना किसी विवाद के संगम स्नान किया है, जो भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक शक्ति को प्रदर्शित करता है।


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यह आयोजन गरीब और मध्यम वर्ग का सबसे बड़ा धार्मिक उत्सव रहा. जहां जातिगत बंधन टूटे और सभी वर्गों ने एक साथ स्नान किया. यह डिजिटल युग का पहला महाकुंभ था, जिसने विश्व स्तर पर भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ाया. विश्व इतिहास में यह महाकुंभ न सिर्फ अभूतपूर्व और अविस्मरणीय आयोजन बना, बल्कि पूज्य अखाड़ों, साधु-संतों, महामंडलेश्वरों एवं धर्माचार्यों के पुण्य आशीर्वाद का ही प्रतिफल है कि समरसता का यह महासमागम दिव्य और भव्य बनकर सकल विश्व को एकता का संदेश दे रहा है। यह सब संभव हो पाया तो सिर्फ और सिर्फ पीएम मोदी व सीएम के अलावा सुव्यवस्थित आयोजन के कर्णधार रहे मेला प्रशासन, स्थानीय प्रशासन, पुलिस प्रशासन, स्वच्छताकर्मियों, गंगा दूतों, स्वयंसेवी संगठनों, धार्मिक संस्थाओं, नाविकों तथा महाकुम्भ से जुड़े केंद्र व प्रदेश सरकार के सभी विभागों सहित प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग देने वाले सभी महानुभावों व संस्थाओं की बदौलत जिन्होंने दिन-रात अपने को हर दिन अपडेट किया। कहा जा सकता है यह महाकुम्भ न सिर्फ आध्यात्मिकता की नई ऊंचाइयों को छुआ, बल्कि भव्यता और दिव्यता के मामले में भी दुनिया भर में एक अनूठा उदाहरण पेश किया। योगी सरकार की मेहनत और केंद्र के सहयोग से प्रयागराज का कायाकल्प हुआ, जिसने इस बार महाकुम्भ को पहले से कहीं अधिक भव्य और दिव्य बना दिया। आम से लेकर खास तक, हर किसी ने इस पवित्र अवसर पर अपनी आस्था को साकार किया। सबसे खास बात ये रही कि महाकुम्भ की शुरुआत से पहले पीएम मोदी और सीएम योगी ने जिस एकता के महाकुम्भ का संकल्प लिया था, वो यहां साकार होता दिखाई दिया। आज तक दुनिया भर में किसी एक आयोजन में इतने बड़े मानव समागम का कोई इतिहास नहीं है। यह संख्या भारत की आबादी का लगभग 50 फीसदी है, जबकि दुनिया के कई देशों की आबादी से कहीं ज्यादा है।


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इसके बावजूद महाकुंभ को लेकर सियासी जंग छिड़ा हुआ है. सपा मुखिया अखिलेश यादव योगी सरकार के कुंभ प्रबंधन व संगम जल तथा हादसों पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं, तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लालू यादव सहित विपक्षी नेताओं को पछाड़कर मृत्युकुंभ तक कह डाला। यह अलग बात है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष के सारे आरोपों व अफवाहों को निराधार बताकर अब तक का सबसे सफल महाकुंभ बताया है। इसकी गवाही खुद महाकुंभ में डुबकी लगाने पहुंचे देश-दुनिया के आस्थावान दे रहे है कि यह महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा जन समागम बन चुका है। या यूं कहे महाकुंभ के समापन होने तक 45वें दिन, डुबकी लगा चुके 66.30 करोड़ से अधिक भक्तों की आस्था अखिलेश, ममता सहित पूरे विपक्ष के मुंह पर तमाचा हैं। ये वहीं भक्त है जिन्होंने संगम में डुबकी लगाने के लिए न सिर्फ आवागमन में तमाम मुसीबतों को झेला है, बल्कि 25-30 किमी तक पैदल भी चला है। उनका कहना है कि आस्था के लिए कुछ किमी पैदल चलना या धक्का-मुक्की कोई बड़ी बात नहीं. वैष्णो देवी और मथुरा की यात्रा में भी तो चलते ही हैं. कुंभ में स्नान कर उन्हें आध्यात्मिक आनंद मिल रहा है पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री हिंदू विरोध की मानसिकता से किस कदर ग्रसित हैं इस बात की बानगी महाकुंभ जैसे महाअमृत पर्व को ’मृत्यु कुंभ’ बताया। खासकर उस महाकुंभ की, जिसकी दिव्यव्यता, भव्यता और पौराणिकता पूरी दुनिया ने न सिर्फ देखी है, बल्कि इस सफल आयोजन की सराहना भी की है. लेकिन तुष्टिकरण का भूत उन पर इस कदर सवार है कि महाकुंभ के नाम के साथ मुत्यु कुंभ जोड़कर ममता ने पूरे सनातन के स्वाभिमान की जड़े हिलाकर रख दी है। इससे पहले आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कहा था कि कुंभ का कोई मतलब नहीं है. कुंभ फालतू है. तो सपा के अखिलेश यादव ने भी लालू, ममता के बयानों को सही बताते हुए लगातार महाकुंभ पर सवालिया निशान लगाते रहे. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने तो दावा किया कि कुंभ में हजारों लोग मारे गए हैं. सपा नेत्री जया बच्चन ने कहा कि भगदड़ में मारे गए लोगों के शवों को गंगा में बहा दिया गया है. इससे पानी प्रदूषित हुआ है और इसी में लोग स्नान कर रहे हैं. या यूं कहे विपक्ष पर मुस्लिमपरस्ती के धनचक्कर में पूरे महाकुंभ में अफवाहों की झड़ी लगा दी थी, फेक न्यूज, फर्जी रील्स चला दी थी। लेकिन योगी आदित्यनाथ ने हर सवाल का करारा जवाब दिया। हर अफवाह को झूठी साबित की।


खदु अखिलेश यादव ने कहा कि गंगा के जल में मल है, डुबकी लगाकर लोग बीमार पड़ रहे हैं। हजारों फेंकी लाशों से गंगा का पानी दूषित हो गया है। महाकुंभ में हजारों लोग लापता हो गए। सरकार आंकड़े छिपा रही है। प्रयागराज में भगदड़ को लेकर पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल के फर्जी वीडियो पोस्ट किए गए। अखिलेश यादव अच्छी तरह जानते हैं कि योगी ने किसके लिए कहा था कि गिद्ध को लाशें दिखाई देती हैं और सुअर को गंदगी दिखाई देती है। वह नादान नहीं हैं पर जान-बूझकर अनजान बन रहे हैं। योगी की ये बात सही है कि पहले दिन से बड़े व्यवस्थित तरीके से महाकुंभ को बदनाम करने की कोशिश की गई। महाकुंभ शुरू होते ही कहा गया कि वहां कोई जा नहीं रहा, ट्रेनें खाली आ रही हैं पर आस्था के सैलाब की तस्वीरों ने इस तरह के हर आरोप को नकार दिया। फिर इल्जाम लगे जल, सफाई, प्रबंध को लेकर। इन सारी बातों का जवाब महाकुंभ में जाने वाले श्रद्धालुओं ने कैमरे पर दिया। जब फर्जी वीडियो दिखाकर पाकिस्तान और बांग्लादेश की तस्वीरें लगाकर फेक नैरेटिव खड़ा किया गया तो भी योगी ने तुरंत जवाब दिया था। फिर कहा गया कि भगदड़ में हजारों लोग मारे गए, गंगा में लाशें बहा दी गईं, पर आरोप लगाने वालों ने ये नहीं सोचा कि ये एआई का जमाना है, हजारों सीसीटीवी निगरानी कर रहे हैं। वे भूल गए कि सैकड़ों ड्रोन दिन रात लाइव तस्वीरें ले रहे हैं। ऐसे में लाशों को छुपाने की, गंगा में बहाने की, हिमाकत कौन कर सकता है? योगी ने अफवाह फैलाने वालों को एक बार फिर आड़े हाथों लिया। ये ज़रूरी था। एक-एक फर्जी खबर को झूठ साबित किया गया। ये आवश्यक था। हालांकि ये बात अपनी जगह है कि पानी को लेकर, लाशों को लेकर, लोगों के लापता होने को लेकर जितनी भी अफवाहें फैलाई गईं, उनका जनता पर कोई असर नहीं हुआ। महाकुंभ में जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती गई। लोग टीवी पर प्रबंध भी देख रहे थे, पानी का प्रवाह भी देख रहे थे, श्रद्धालुओं के अनुभव भी लाइव सुन रहे थे। इसलिए असलियत तो सब जानते हैं। ये एक कड़वा सच है कि अगर ये आयोजन किसी और धर्म का होता तो कोई इस तरह के बेबुनियाद इल्जाम लगाने की हिम्मत न करता। ये महाकुंभ लोगों के दिलों पर पीढ़ियों तक सनातन की छाप छोड़ेगा। इस महाकुंभ को सदियों तक पूरी दुनिया में याद किया जाएगा।


3 गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड

महाकुंभ में तीन विश्व रिकॉर्ड बना हैं। इसमें 24 फरवरी को 15 हजार स्वच्छता कर्मी लगभग 10 किमी तक सफाई अभियान चलाकर कीर्तिमान बनाया है। 25 फरवरी को 10 हजार हैंड प्रिंटिंग और उसी दिन 550 शटल बसों के संचालन का रिकॉर्ड बना। इसके अलावा ई-रिक्शा के संचालन के स्थान पर अब शटल बसों का रिकॉर्ड बनाया।


13 अखाड़ों की रही उपस्थिति

महाकुम्भ 2025 में सभी 13 अखाड़ों की उपस्थिति रही, जिन्होंने तीनों अमृत स्नान में पुण्य डुबकी लगाकर परंपरा का निर्वहन किया। इन 13 अखाड़ों के साथ इनके अनुगामी अखाड़े भी सम्मिलित हुए, जिसमें जूना अखाड़े का अनुगामी अखाड़ा किन्नर अखाड़ा आकर्षण का केंद्र रहा। इन अखाड़ों ने महाकुम्भ की परंपरा के अनुसार दीक्षा कार्यक्रमों का सफलतापूर्वक संचालन संपन्न किया। विभिन्न अखाड़ों ने महामंडलेश्वर समेत अन्य पदों पर नियुक्तियां भी कीं।


4000 हेक्टेयर में बसाई गई महाकुम्भ नगरी

महाकुम्भ को इस बार भव्य और दिव्य बनाने के लिए योगी सरकार ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। 4000 हेक्टेयर में महाकुम्भ नगर को बसाया गया। पूरे मेला क्षेत्र को 25 सेक्टर में विभाजित किया गया। 12 किमी. में कई पक्के घाटों का निर्माण किया गया। 1850 हेक्टेयर में पार्किंग निर्मित की गई, जबकि 31 पांटून पुल, 67 हजार से ज्यादा स्ट्रीट लाइट्स, 1.5 लाख शौचालय और 25 हजार पब्लिक एकमोडेशन सुनिश्चित किए गए। योगी सरकार के द्वारा 7 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि खर्च की गई, जबकि केंद्र सरकार के सहयोग से कुल 15 हजार करोड़ रुपए से पूरे प्रयागराज का कायाकल्प किया गया।


6 प्रमुख स्नान पर्वों पर जुटे सर्वाधिक श्रद्धालु

45 दिनों में जहां 66 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु जुटे, जिसमें सर्वाधिक संख्या अमृत स्नान और स्नान पर्वों पर रही। 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा पर 1.70 करोड़, 14 जनवरी मकर संक्रांति पर 3.50 करोड़, 29 जनवरी मौनी अमावस्या को 7.64 करोड़, 3 फरवरी बसंत पंचमी को 2.57 करोड़, 12 फरवरी माघ पूर्णिमा को 2.04 करोड़ और 26 फरवरी महाशिवरात्रि को 1.53 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु रिकॉर्ड किए गए। 15 फरवरी से 26 फरवरी तक एक भी दिन ऐसा नहीं रहा, जब संख्या एक करोड़ से कम रही हो।


पीएम और राष्ट्रपति ने भी लगाई डुबकी

महाकुम्भ में आम हो या खास हर किसी ने डुबकी लगाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इस महाआयोजन में पवित्र स्नान करने के लिए पहुंचीं। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी यहां पहुंचकर पावन स्नान किया। इनके अतिरिक्त विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री, गवर्नर, केंद्रीय मंत्रियों, विधानसभा के सभापति, एलजी और राज्य मंत्रियों ने भी संगम में पहुंचकर डुबकी लगाई।


मंत्रिमंडल की बैठकें भी हुईं संपन्न

इस महाकुम्भ में उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों की मंत्रिमंडल की बैठकें भी संपन्न की गईं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रि परिषद की बैठक में यूपी के लिए कई अहम निर्णय लिए गए। बैठक के बाद सीएम योगी की अगुवाई में सभी मंत्रियों ने संगम में डुबकी भी लगाई। इसी तरह राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की अगुवाई में मंत्रिपरिषद ने स्नान करने के बाद बैठक आयोजित की थी। इसके अलावा विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री अपने समूचे मंत्रिमंडल के साथ यहां स्नान करने पहुंचे।


कुछेक को छोड नहीं पहुंचे विपक्षी

राहुल गांधी, प्रियंका गांधी व सोनियां गांधी सहित पूरा विपक्ष रामजन्म भूमि के लोकापर्ण की तर्ज पर इस महाकुभ से दूरी बनाएं रखा। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे, हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू आदि स्नान किए तो जरुर लेकिन व्यवस्था पर सवाल खड़ा करने से बाज नहीं आएं।


बॉलीवुड सितारों का भी लगा मेला

बॉलीवुड सितारों ने भी यहां आकर संगम स्नान कर सनातन धर्म के प्रति अपनी आस्था प्रकट की। अक्षय कुमार, विक्की कौशल, कट्रीना कैफ, पंकज त्रिपाठी, राजकुमार राव, ईशा गुप्ता, रवीना टंडन, विवेक ओबेराय, अनुपम खेर, हेमामालिनी, रवि किशन, तमन्ना भाटिया और सोनाली बेंद्रे समेत तमाम दिग्गज कलाकार यहां पहुंचे। अभिनेताओं के साथ-साथ बॉलीवुड से जुड़े अन्य आर्टिस्ट जिनमें रेमो डिसूजा, शान, कैलाश खेर, शेखर सुमन और उदित नारायण ने भी यहां उपस्थिति दर्ज कराई।


शीर्ष उद्योगपति भी हुए शामिल    

नेताओं, कलाकारों के साथ-साथ देश के शीर्ष उद्योगपतियों ने भी यहां अपनी आस्था प्रकट की और पूरी श्रद्धा से संगम में स्नान किया। इनमें देश के शीर्ष उद्योगपति मुकेश अंबानी अपनी पूरी फैमिली के साथ यहां स्नान करने पहुंचे। इसके अलावा गौतम अडानी ने भी परिवार समेत श्रद्धा सुमन अर्पित किए। अनिल अंबानी, ओला के मालिक भाविश अग्रवाल, लक्ष्मी मित्तल, आनंद पीरामल और अशोक हिंदुजा भी अपने परिवार समेत यहां आए।


खेल और खिलाड़ियों का भी लगा जमघट

विभिन्न खेलों के बड़े नाम भी महाकुम्भ का हिस्सा बने। सुनील गावस्कर, सुरेश रैना, खली, साइना नेहवाल, बाइचुंग भूटिया, अनिल कुंबले, आरपी सिंह और ईशांत शर्मा ने न सिर्फ संगम में पावन डुबकी लगाई, बल्कि यहां आकर साधु संतों का आशीर्वाद भी प्राप्त किया।


डिजिटल महाकुम्भ रहा आकर्षण का केंद्र

इस बार महाकुम्भ का सबसे प्रमुख आकर्षण डिजिटल महाकुम्भ रहा। पहली बार महाकुम्भ की वेबसाइट के साथ-साथ एप को भी लांच किया गया। इसके अलावा, एआई चैटबॉट के माध्यम से लोगों को महाकुम्भ के बारे में जानने और भ्रमण की सुविधा प्रदान की गई। गूगल के साथ पहली बार नेवीगेशन को लेकर एमओयू किया गया। डिजिटल खोया पाया केंद्र के माध्यम से हजारों लोगों को उनके परिजनों से मिलाने में सफलता मिली।


45 दिन में 10 बार महाकुम्भ पहुंचे सीएम योगी

सीएम योगी ने महाकुम्भ की लगातार मॉनीटरिंग की। लखनऊ हो या गोरखपुर, सीएम योगी परस्पर महाकुम्भ की व्यवस्थाओं पर पैनी नजर रखे रहे। वहीं, 45 दिनों के इस आयोजन में उन्होंने स्वयं 10 बार यहां आकर भौतिक निरीक्षण कर जमीनी हकीकत को भी समझा और आवश्यक दिशा निर्देश दिए। यही नहीं, आवश्यकता पड़ने पर सीएम योगी ने लखनऊ से भी अपने आला अधिकारियों को भेजकर स्थितियों का आंकलन किया। सीएम के दौरे की सबसे महत्वपूर्ण बात ये रही कि उन्होंने सभी अखाड़ों, दंडीबाड़ा, प्रयागवाल, खाकचौक का दौरा किया। इसके साथ ही वह हर वर्ग, जाति के साधु संतों से मिले और उनका सम्मान किया.




 


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सुरेश गांधी

वरिष्ठ पत्रकार 

वाराणसी

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