कविता : मेरे मन की गहराई - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 23 मार्च 2025

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कविता : मेरे मन की गहराई

अगर लड़की एक बोझ है, उसका होना पाप है,

शायद उसके होने पर कोई भूचाल आया होगा?

लड़की हुई है, गांव के अखबार में छाया होगा,

पोते की चाह में दादी का सपना टूटा होगा,

लड़की हो गई इस बात का खौफ छाया होगा,

मगर इस दुख में मां ने प्यार से सर सहलाया होगा,

मेरी आजादी के लिया पापा ने एक रास्ता बनाया होगा,

लोगे की बातें सुन कर भी मुझे पढ़ाया होगा,

तू बस बढ़ती जा, अपने लिए खुद का घर बनाना,

आग की चिंगारी जैसे तुम्हें चमकना होगा,

इस भेदभाव की दुनिया में,

समानता की लड़ाई खुद लड़ना होगा,

तुझे अपनी मंज़िल तक पहुंचना होगा,

खुद के होने के दुख को जश्न में बदलना होगा,

सर उठा कर दुनिया में चलने का सहसा रखना होगा,

अपनी उड़ान के लिए तुझे खुद ही उड़ना होगा,

दुनिया की बातें भूलकर बस आगे बढ़ना होगा,

अपने साथ होने वाले हर अन्याय पर बोलना होगा,

अपने मन की इच्छाओं से तुझे जीना होगा,

छोटी सी उम्मीद के साथ आगे चलकर दिखाना होगा॥




RITIKA

रितिका

उम्र-I 17

चौरसों, गरुड़

बागेश्वर, उत्तराखंड

(चरखा फीचर)

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