तेरी मेरी बुराइयां हर समाज करता है,
और तु मुझे खुदगर्ज इंसान कहता है?
मैं तुझे और तू मुझे बस इल्जाम देते हैं,
मगर कोई हम दोनों को सलाह नहीं देता है,
रिश्ते, प्यार, संस्कार सब कलयुग का मोह है,
राह भटकने के बाद कोई पनाह नहीं देता है,
साथ होने में और साथ देने में कुछ फर्क होता है,
इन मतलबी चेहरों के सामने दर्द बेअसर होता है,
तेरी मेरी बुराइयां हर समाज करता है,
और तु मुझे खुदगर्ज इंसान कहता है?
पल्लवी भारती
मुजफ्फरपुर, बिहार
चरखा फीचर्स
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