कविता : माहवारी का दर्द - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 2 मार्च 2025

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कविता : माहवारी का दर्द

चलो अपने माहवारी वाले दिन की कहानी बताती हूं,

दर्द में रोती बिलखती उन पांच दिनों का राज बताती हूं,

कहने को तो हर महीने आ जाते हैं ये,

पर  हर बार कम या ज्यादा दर्द साथ लाते हैं ये,

कामजोरी, चिड़चिड़ापन तो कभी रुला जाते हैं ये,

हर समय दर्द में ना रोना सिखा जाते हैं ये,

कुछ लोगों को ये दर्द हमारा ढोंग लगता है,

पर वो क्या जाने यह दर्द का पहाड़ है कितना बड़ा,

जूझ रही हूं माहवारी से तो क्या मैं अपवित्र कहलाऊंगी?

बंद करो ये उंगली उठाना, नही तो मैं अपनी पर आ जाउंगी।।





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राधा गोस्वामी

उम्र-17

गरुड़, उत्तराखंड

चरखा फीचर्स

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