पटना : माले ने 16 वें वित्त आयोग के समक्ष बिहार के लिए विशेष अनुदान की मांग की. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 20 मार्च 2025

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पटना : माले ने 16 वें वित्त आयोग के समक्ष बिहार के लिए विशेष अनुदान की मांग की.

  • 8 सूत्रों का अपना ज्ञापन सौंपा, करों व अनुदान में कम से कम 15 प्रतिशत हो बिहार की हिस्सेदारी

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पटना 20 मार्च (रजनीश के झा)। भाकपा-माले ने आज 16 वें वित्त आयोग को अपना 8 सूत्री सुझावों व मांगों का अपना ज्ञापन सौंपा. माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि हमने वित्त आयोग के समक्ष मुख्य रूप से बिहार की ऐतिहासिक गरीबी, पिछड़ापन, आवासहीनता, भूमिहीनता, पलायन आदि समस्याओं के मद्देनजर बिहार के प्रति विशेष सहयोग व अनुदान की मांग की है. पिछड़ा अनुदान क्षेत्र अनुदान निधि कार्यक्रम भाजपा राज में पूरी तरह से मरणासन्न हो चुका है. इस पर आयोग को गंभीरता से विचार करना चाहिए. आगे कहा कि वित्त आयोग की अनुशंसाओं के तहत करों में बिहार का क्षैतिज शेयर लगातार घटता गया है. यह चिंताजनक है. 11 वें वित्त आयोग (2000-05) के 11.29 प्रतिशत की तुलना में 15 वें वित्त आयोग (2020-2025) में बिहार के शेयर की प्रतिशतता घटकर 10.058 प्रतिशत रह गई. इसे बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया जाना चाहिए. भारत सरकार के नीति आयोग की रिपोर्ट के ही मुताबिक बिहार आज सतत विकास सूचकांक में पूरे देश में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. बिहार सरकार द्वारा कराए गए सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण में भी बिहार की भयावह गरीबी व ऐतिहासिक पिछड़ेपन की समस्या खुलकर सामने आई है. लगभग 95 लाख परिवार 6000 रु. से भी कम मासिक आमदनी पर अपना जीवन-बसर करने को मजबूर है. यदि 10000 रु. मासिक आय को आधार बनाया जाए तो राज्य की दो तिहाई आबादी भयानक गरीबी की मार झेल रही है. रोजगार के अत्यंत सीमित अवसरों के कारण राज्य सस्ता श्रम उपलब्ध कराने का पलायन जोन बनकर रह गया है. बहुआयामी गरीबी और पिछड़ेपन की ऐतिहासिक समस्या के साथ-साथ जनसंख्या, आय में अंतर और बुनियादी ढांचे की समस्या को ध्यान में रखते हुए 16व ें वित्त आयोग को निम्नलिखित कारकों पर पर गंभीरता से विचार करना चाहिए.


1. करों और अनुदानों में बिहार की हिस्सेदारी बढ़ाकर कम से कम 15 प्रतिशत की जानी चाहिए.

2. बिहार की ऐतिहासिक गरीबी, पिछड़ापन, भूमिहीनता, आवासहीनता और आधारभूत संरचनाओं के मद्देनजर बिहार के लिए विशेष पैकेज उपलब्ध कराना चाहिए.

3. पिछड़े इलाकों में विकासात्मक प्रवाह को गति देने के लिए पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि के तहत विशेष वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने का प्रावधान है ताकि विकास में क्षेत्रीय असंतुलन को दूर किया जा सके. यह बिहार के लिए सर्वाधिक जरूरी है. अतः बिहार को पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि के तहत विशेष सहयोग मिलना चाहिए.

4. सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण के उपरांत बिहार सरकार ने करीब 95 लाख गरीब परिवारों को 2 लाख रु. सहायता राशि उपलब्ध कराने की घोषणा की थी. पैसे की कमी के कारण बिहार सरकार जिस गति से यह राशि उपलब्ध करा रही है उसमें 200 साल से अधिक लग जाएंगे. अतः इस मद में अलग से बिहार सरकार को इतना पैसा उपलब्ध कराया जाए ताकि एक साल के भीतर सभी गरीब परिवारों को 2 लाख रु. की सहायता राशि मिल सके.

5. आशा, रसोइया, आंगनबाड़ी, जीविका और अन्य स्कीम वर्कर्स को बिहार सरकार बहुत मामूली राशि उपलब्ध करा पाती है. इस तबके को न्यूनतम मानदेय मिल सके, इसकेे लिए वित्त आयोग को विशेष प्रावधान करना चाहिए.

6. देश के सबसे पुराने पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा और बिहार की बदहाल शिक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधार के लिए 16 वें वित्त आयोग को अपनी ओर से विशेष सिफारिश करनी चाहिए.

7. बिहार के स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है, जिसमें डॉक्टरों, नर्सों सहित स्वास्थ्य सेवाओं के 40 प्रतिशत रिक्त पदों पर शीघ्र बहाली, निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं, टीकाकरण, दवाइयाँ और पंचायत स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थापना शामिल है. इसके मद्देनजर स्वास्थ्य क्षेत्र में भी वित्त आयोग को विशेष ध्यान देना चाहिए.

8. बिहार का तकरीबन 70 प्रतिशत इलाका कमोबेश बाढ़ से प्रभावित रहता है. बाकी क्षेत्रो में सुखाड़ की समस्या गंभीर है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास और उसके रोकथाम के लिए वित्त आयोग को अलग से अनुदान उपलब्ध कराना चाहिए.

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