वाराणसी : बाबा विश्वनाथ संग भक्तों ने खेली होली, रंगों में डूबी काशी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 11 मार्च 2025

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वाराणसी : बाबा विश्वनाथ संग भक्तों ने खेली होली, रंगों में डूबी काशी

  • भक्तों ने बाबा व गौरा को अर्पित किया हल्दी गुलाल, ली होली खेलने की अनुमति, काशी में रंगोत्सव शुरू
  • काशीवासियों सहित देश विदेश से आए भक्तों ने अबीर गुलाल चढ़ाकर बाबा का दर्शन-पूजन किया

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वाराणसी (सुरेश गांधी)। द्वापर युग के सबसे बड़े नायक, संसार को गीता का ज्ञान और जीवन का सत्य बताने वाले भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली वृंदावन रंगों से सराबोर है। ऐसे में सृष्टि के पालनहार काशीपुराधिपति भगवान भोलेनाथ की नगरी भला कैसे अछूती रह सकती है। और जब मौका हो रंगभरा एकादशी का तो बात ही कुछ अलग हो जाती है। भक्तों के भक्ति का ही कमाल है इस दिन बाबा विश्वनाथ खुद अपने भक्तों संग होली खेलते हैं। सायंकाल मंदिर परिसर में औघड़दानी भूतभावन के राजसी ठाटबाट में फूलों से सजी पालकी में बाबा और गौरा की चल रजत प्रतिमा की शोभायात्रा निकली तो भक्तों ने डमरु व शंख की गूंज के बीच जमकर धमाल मचाया। पूरा कॉरिडोर हर- हर महादेव के जयकारे से गूंज उठा। पूरा परिसर भक्तों से इस कदर पटा मानो पूरे श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में उत्साह -उल्लास का समंदर लहरा उठा हो। भक्तों ने भोलेनाथ को गुलाल से लाल कर नेग के तौर पर होली खेलने और हुड़दंग मचाने की अनुमति ली। इसी के साथ ही भोलेनाथ की नगरी में छह दिवसीय होली उत्सव की शुरूआत हो गई है।


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गोधूलि बेला में मंदिर चौक से डमरू के गगनभेदी नाद, शंख की मंगल ध्वनि एवं शास्त्री अर्चन और अबीर- गुलाल, फूलों की वर्षा के बीच फूलों से सुसज्जित रजत पालकी पर श्री काशी विश्वनाथ महादेव एवं माता गौरा की चल रजत प्रतिमा शोभायात्रा के रुप में निकाली गयी। भक्तों ने परम्परागत पोशाक में पालकी को कंधे पर उठाकर प्रांगण में भ्रमण कराया। इस दौरान हर हर महादेव एवं बम बम भोले के गगनभेदी उद्घोष से मंदिर परिसर गुंजायमान रहा। शोभायात्रा में प्रत्येक श्रद्धालु पूरी श्रद्धा से पालकी को स्पर्श करने और देवाधिदेव महादेव एवं मां गौरा की मनमोहन छवि को हृदय में बसाने के लिए आतुर दिखा। मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्र ने बताया कि श्री काशी विश्वनाथ महादेव के दिव्य धाम में रंगभरी एकादशी उत्सव का भव्य आयोजन किया गया। मंदिर न्यास की ओर से प्रत्येक परंपरा का निर्वहन करते हुए श्री काशी विश्वनाथ महादेव एवं माता गौरा का शास्त्रोक्त विधि से पूजन अनुष्ठान किया गया। रंगभरी एकादशी उत्सव में महादेव के अनन्य भक्त काशीवासियों एवं श्रद्धालुओं ने प्रत्येक परंपरा के निर्वहन में अपनी भूमिका निभाई और समारोहपूर्वक विधि- विधान से प्रत्येक परम्परागत अनुष्ठान को संपन्न करने में मंदिर न्यास का पूर्ण सहयोग किया।


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उत्सव में शामिल हुए काशीवासी एवं श्रद्धालु श्री काशी विश्वनाथ महादेव एवं मां गौरा को फूलों की पंखुड़ियां, अबीर- गुलाल अर्पित कर आनंदित होते रहे। फूलों से सुसज्जित रजत पालकी पर विराजमान श्री काशी विश्वनाथ महादेव एवं माता गौरा की मनभावन चल रजत प्रतिमा की शोभायात्रा में शामिल होकर भक्तगण धन्य हो गए। गोधूलि बेला में मंदिर चौक से डमरू के गगनभेदी नाद और शंख की मंगल ध्वनि के बीच शास्त्री अर्चन करते हुए श्री विश्वेश्वर महादेव एवं मां गौरा की पालकी यात्रा प्रारंभ की गई। भक्तों ने परंपरागत पोशाक में पालकी को कंधे पर उठाकर प्रांगण भ्रमण कराया। पालकी पर शोभायमान श्री विश्वेश्वर महादेव एवं मां गौरा की प्रतिमा की अद्वितीय आभा ने श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया। पालकी यात्रा में शामिल प्रत्येक भक्त इस क्षण को अपने हृदय में बसने के लिए आतुर रहा। हर हर महादेव के गगनचुंबी उद्घोष और बम बम भोले के अटूट जयघोष के बीच शोभायात्रा आगे बढ़ती रही। उड़ते अबीर- गुलाल और फूलों की पंखुड़ियां की वर्षा के बीच देवाधिदेव महादेव एवं माता गौरा की पालकी शोभायात्रा मंदिर प्रांगण से होते हुए श्री काशी विश्वनाथ महादेव के गर्भगृह पहुंची। शोभायात्रा में प्रत्येक श्रद्धालु पूरी श्रद्धा से पालकी को स्पर्श करने और देवाधिदेव महादेव एवं मां गौरा की मनमोहन छवि को हृदय में बसाने के लिए उत्साहित रहा। गर्भगृह में शोभायात्रा पहुंचने पर विधि- विधान से श्री काशी विश्वनाथ महादेव एवं मां गौरा की चल रजत प्रतिमा का पूजन अर्चन किया गया।


प्रातः काल से ही चलता रहा रंगभरी एकादशी का पूजन अनुष्ठान

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प्रातः काल से ही रंगभरी एकादशी का पूजन अर्चन अनुष्ठान प्रारंभ कर दिया गया मंदिर प्रांगण में श्री काशी विश्वनाथ महादेव एवं मां गौरा की चल रजत प्रतिमा का विधि- विधान से शास्त्रीय अर्चन कर पूजन अनुष्ठान किया गया। मंदिर न्यास की ओर से महादेव एवं माता गौरा को वस्त्र, चंदन, भस्म, पुष्प, अबीर- गुलाल, भोग, मेवा मिष्ठान अर्पित की गई। पूजन के पश्चात रजत पालकी पर श्री काशी विश्वनाथ महादेव एवं मां गौरा को मंदिर चौक लाया गया।  मंदिर चौक पर महादेव एवं मां गौरा की चल रजत प्रतिमा का भक्तगण दर्शन लाभ लेकर फूलों की पंखुड़ियां, अबीर- गुलाल अर्पित करने के बाद आपस में अबीर- गुलाल लगाकर रंगोत्सव की खुशियां बांटते रहे। रंगभरी एकादशी उत्सव में विश्वेश्वर महादेव का प्रांगण पूरे उमंग और उत्साह से सराबोर रहा। भक्ति रस में डूबे श्रद्धालु अपने आराध्य देवाधिदेव महादेव एवं माता गौरा को पूरे भाव से अपनी भक्ति अर्पित करते रहे। मंदिर न्यास की ओर से सभी काशीवासियों एवं श्रद्धालुओं का बड़े ही आदर एवं आत्मीय भाव से स्वागत किया गया। इस संपूर्ण आयोजन को लोकमानस के निकट रखते हुए परंपरागत रूप से संपन्न करने के लिए मंदिर न्यास निरंतर प्रयासरत रहा। मंदिर न्यास ने काशीवासियों से अपने आराध्या के इस विशेष पर्व में शामिल होकर परंपराओं का निर्वहन करने का निवेदन किया था, जिसे प्रत्येक काशीवासी ने सहर्ष स्वीकार कर इस उत्सव को उमंग और उत्साह से संपूर्ण कराया।


सांध्य बेला में मंदिर चौक पर बही भजन सरिता

रंगभरी एकादशी के त्रिदिवसीय उत्सव के तीसरे एवं अंतिम दिन सोमवार को सायंकाल मंदिर चौक के शिवार्चनाम मंच पर सुर और लाल की सरिता बही जिसमें श्रद्धालुओं ने गोते लगाए। सांस्कृतिक संध्या के मुख्य अतिथि शहर दक्षिणी के विधायक एवं उप्र सरकार के पूर्व मंत्री श्री डा नीलकंठ तिवारी ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कलाकारों ने महादेव एवं माता गौरा से संबंधित भक्ति भजनों को प्रस्तुत कर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कलाकारों की प्रस्तुतियों पर श्रद्धालु इस कदर लीन हुए कि भक्ति रस में डूबकर झूमने लगे। देर शाम तक कलाकारों की प्रस्तुतियां जारी रही जिसका रसपान प्रांगण में मौजूद भक्तगण करते रहे। श्री काशी विश्वनाथ धाम में रंगभरी एकादशी का उत्सव और उल्लास कण-कण में नजर आया। श्रद्धालुओं ने सोमवार को बाबा और गौरा को हल्दी लगाकर गुलाल अर्पित किया। काशीवासियों समेत दूर- दराज से काशी आए सभी श्रद्धालु इस उत्सव में पूरी श्रद्धा एवं उमंग के साथ शामिल होकर परंपरा का निर्वहन किया। बाबा के गौना पर संगीत संध्या शिवार्चनम में सुर साज गूंजे। अब पांच दिन तक घाटों से लेकर गलियों तक होलियाना बहार छाई रहेगी। लोगों को एक दूसरे के साथ जमकर होली खेलते देखा जा रहा है।

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