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गुरुवार, 6 मार्च 2025

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विधायक हार्दिक पटेल पर लगे 14 केस अब तक हो चुके है वापस

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अहमदाबाद, (आलोक कुमार). भारत में कुछ जातियों को अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) में सम्मलित करना एक सकारात्मक कदम है जो शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षित कोटा प्रदान करता है। गुजरात में 27% सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 14% अनुसूचित जनजाति के लिए व 7% अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं.सुप्रीम कोर्ट ने 1992 के फैसले में आरक्षण को 50% तक सीमित रखा है. पाटीदार समुदाय के लोगों ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के दर्जे की मांग के लिए गुजरात राज्य भर में सार्वजनिक प्रदर्शनों को अंजाम दिया.इस आंदोलन का नेतृत्व हार्दिक पटेल ने किया.गुजरात में पाटीदार अनामत आंदोलन साल 2015 में हुआ था.गुजरात सरकार ने 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन के संबंध में 25 अगस्त 2015 को अहमदाबाद में पटेल समुदाय की विशाल रैली के बाद गुजरात में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा के बाद, शहर की अपराध शाखा ने हार्दिक पटेल और उनके तीन सहयोगियों को गिरफ्तार किया और उन पर आईपीसी की धारा 124 ए (देशद्रोह) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया. सूरत पुलिस ने हार्दिक पटेल के खिलाफ एक और राजद्रोह का मामला दर्ज किया है, उन पर अपने समुदाय के युवाओं को आत्महत्या करने के बजाय पुलिसकर्मियों को मारने के लिए कथित तौर पर उकसाने का आरोप है. गुजरात में पाटीदार अनामत आंदोलन के बाद राज्य की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. 2017 में विधानसभा चुनावों में बीजेपी इसी आंदोलन की वजह से सिर्फ 99 सीटें जीत पाई थी.


बताया जाता है कि आंदोलन के बाद हार्दिक पटेल कांग्रेस में शामिल हो गए थे.उसके बाद 2022 गुजरात विधानसभा चुनावों से पहले हार्दिक पटेल बीजेपी में शामिल हो गए थे.हार्दिक पटेल वर्तमान में अहमदाबाद जिले की वीरमगाम से विधायक हैं. इस विधायक पर गुजरात सरकार ने पिछले महीने 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन के संबंध में दर्ज नौ मामलों को वापस लेने का फैसला किया था, जिनमें दो राजद्रोह के मामले भी शामिल थे.बीजेपी विधायक 'हार्दिक पटेल' के खिलाफ चल रहा 'देशद्रोह' का मुकदमा गुजरात सरकार ने लिया वापस, हार्दिक पर लगे 14 केस अब तक हो चुके है वापस. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पांचों पर शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लिए पाटीदार समुदाय के सदस्यों को भड़काने का आरोप है और उन्होंने इसे पूर्व नियोजित तरीके से अंजाम दिया, जिसका उद्देश्य "घृणा और अवमानना ​​पैदा करना और गुजरात सरकार के प्रति असंतोष पैदा करना था." भाजपा में शामिल होने से देशद्रोही देशभक्त बन जाता है? वहीं, इस मामले में कांग्रेस के पूर्व विधायक और पाटीदार नेता ललित कगथरा ने तंज कसते हुए कहा, क्या भाजपा में शामिल होने से कोई देशद्रोही देशभक्त बन जाता है? तो लालजी पटेल ने कहा कि सिर्फ यही नहीं बल्कि सभी मुकदमे वापस लिए जाने चाहिए.हालाँकि सरकार ने अभी तक इस मामले पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है.

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