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सोमवार, 24 मार्च 2025

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आलेख : योगी के 8 साल, परिवर्तन का स्वर्णिम दौर, लिखी बदलाव की नई इबारत

यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार के 8 साल पूरे हो गए हैं. उनके नेतृत्व में इन 8 वर्षों में कई ऐतिहासिक बदलाव और हुए हैं. खास यह है राज्य में न सिर्फ 7.5 लाख से अधिक सरकारी नौकरियां सृजित की गई, बल्कि ‘एक जिला, एक माफिया’ नीति के मुकाबले ’बुलडोजर बाबा’ का ‘एक जिला, एक उत्पाद’ से निवेश भी बढ़ा है। हर तरफ भगवा के बीच सनातन का झंडा बुलंद हो रहा है। आतंकियों, माफियाओं और अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई की गई। 223 अपराधियों को मुठभेड़ में मारा गया, 142 अरब से अधिक की संपत्ति जब्त की गई और 130 आतंकियों समेत 171 रोहिंग्या और बांग्लादेशी अपराधियों को गिरफ्तार किया गया। वैसे भी सियासी तौर पर बात करें तो हिन्दू हृदय सम्राट सीएम योगी का कद इतना बढ़ गया है कि उन्हें अब टक्कर देना सूरज को दीप दिखाने जैसा है। जिस अयोध्या में 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार हुई थी. उसी अयोध्या के मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बाबा ने विपक्ष के तथाकथित संविधान वाले खोखले अफवाह की हवा निकाल दी। खासकर 144 साल बाद आए महाकुंभ में अब तक का सारा रिकार्ड तोड़ते हुए 66.30 करोड़ श्रद्धालुओं के संगम स्नान के साथ ही सुगम, भव्य एवं दिव्य व्यवस्थाओं ने योगी के बढ़ते कद में चार चांद लगा दिए. जहां तक 2027 का सवाल है तो महाकुंभ के अपार सफलता के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी चुनावी रणनीति में बदलाव करते हुए अब ’80-20’ के नारे की जगह ’भगवा हिन्दुस्तान’ का नारा दिया है, जो विपक्ष की मुस्लिमपरस्ती सियासत को कड़ी चुनौती पेश करने वाली है


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फिरहाल, 2017 में जब योगी आदित्यनाथ ने यूपी के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तो किसी ने नहीं सोचा था कि वह इतने लंबे समय तक प्रदेश का नेतृत्व करेंगे. यह अलग बात है पार्टी की अंदुरुन्नी कलह व उठापटक के बीच विपक्ष की साजिशों के चक्रव्यूह को भेदतें हुए योगी सरकार ने न सिर्फ माफियाओं का बैंड बजाया, बल्कि अपराधमुक्त करते हुए विकास व कल्याण के कार्यक्रमों के जरिए सूबे को अग्रिम पंक्ति में ला खड़ा कर दिया है। पिछले आठ वर्षों में राज्य में 7.5 लाख से अधिक सरकारी नौकरियां सृजित की गई हैं। इस अभियान में कार्मिक विभाग ने भी अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हुए युवाओं के लिए रोजगार के द्वार खोले। लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) और उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूपीएसएसएससी) के माध्यम से पिछले आठ वर्षों में करीब 95 हजार अभ्यर्थियों का चयन किया गया, जो सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इन सबके बीच सबसे पहले, योगी ने उत्तर प्रदेश को एक मजबूत कानून-व्यवस्था व्यवस्था बनाने पर ध्यान केंद्रित किया.


प्रदेश में माफिया राज, अपराधिक गतिविधियों और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए कठोर कदम उठाए गए. इससे अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हुई और लोगों में विश्वास पैदा हुआ. इसके परिणामस्वरूप राज्य में कानून-व्यवस्था में सुधार हुआ, जो पहले चुनौतीपूर्ण था, अपराधियों और माफिया के बाद योगी सरकार ने अपने कार्यकाल के 8वें साल आतंरिक सुरक्षा के घेरे को और मजबूत करते हुए आतंकियों और देश विरोधियों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई की। फिर चाहे वे हिजबुल और खालिस्तानी संगठनों के आतंकी हों या फिर आईएसआई के लिए जासूसी करने वाले एजेंट। देश-विरोधी गतिविधियों में लिप्त संदिग्ध सिर्फ गिरफ्तार ही नहीं हुए, उनके साथ सीधे मुठभेड़ हुई और वे ढेर भी किए गए। कई मामलों में संदिग्धों को कड़ी सजा भी करवाई गई। अब योगी सरकार के निशाने पर साइबर क्रिमिनल्स हैं, उनके खिलाफ भी हर स्तर पर घेराबंदी की जा रही है।


महाकुंभ में हमले की साजिश रचने वाले खालिस्तानी आतंकी लजर मसीह की कोशिश को नाकाम करते हुए एसटीएफ ने उसे कौशांबी से गिरफ्तार किया। वहीं, पीलीभीत पुलिस ने पंजाब में पुलिस चौकी पर हैंड ग्रेनेड से हमला कर यूपी में बड़ी वारदात की तैयारी से आए तीन खालिस्तानी आतंकियों गुरविंदर सिंह, जसनप्रीत सिंह और वीरेंद्र सिंह को मुठभेड़ में मार गिराया। यूपी एटीएस ने दो पाकिस्तानियों समेत हिजबुल मुजाहिद्दीन के तीन आतंकियों को गिरफ्तार कर बड़े हमले की साजिश को नाकाम किया। इसी तरह रायबरेली समेत यूपी के कई जिलों में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाकर रोहिंग्याओं व बांग्लादेशियों की मदद करने वाले रैकेट का पर्दाफाश किया। देशभर में अवैध धर्मांतरण कराने वाले गैंग का पर्दाफाश कर एटीएस ने 16 आरोपितों को कड़ी सजा करवाई। इसके साथ ही अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी, रोंहिग्या और उनके मददगारों की गिरफ्तारी की। एटीएस ने 2017 से अब तक 130 आतंकवादियों और 171 रोहिंग्या, बांग्लादेशी अपराधियों और उनके सहयोगियों को गिरफ्तार किया है। अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की सिलसिला जारी रखते हुए यूपी पुलिस ने योगी सरकार के आठ वर्ष के कार्यकाल के दौरान अब तक 223 अपराधियों को मुठभेड़ में मार गिराया। इन मुठभेड़ों में 8,120 अपराधी घायल हुए और 20,221 इनामी अपराधियों को गिरफ्तार किया गया।


यूपी पुलिस ने करीब 80 अपराधियों के खिलाफ गैंगस्टर ऐक्ट के तहत और 930 अपराधियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत सख्त कार्रवाई की। आठ वर्षों के दौरान यूपी पुलिस ने माफिया व अपराधियों के अर्थ तंत्र को तोड़ते हुए 142 अरब 46 करोड़ 18 लाख से अधिक की संपत्तियों को जब्त और ध्वस्त किया। पुलिस ने 142 भू-माफिया को चिह्नित कर कानूनी कार्रवाई की और चार स्तरीय एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स के जरिए 66,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त करवाया। यूपी पुलिस ने मार्च 2017 से दिसंबर 2024 तक चिह्नित 68 माफिया के मुकदमों में प्रभावी पैरवी कर 31 माफिया और 74 सहअपराधियों को सजा कराई। इनमें से दो अपराधियों को फांसी की सजा भी हुई। चिह्नित माफिया और उनके गैंग के सदस्यों के 359 अपराधियों के शस्त्र लाइसेंस निरस्त करवाए गए। गैंगस्टर अधिनियम के तहत 752 अपराधियों को सजा कराने के साथ ही 4,076 करोड़ से अधिक की अवैध संपत्ति जब्त की गई।


इसके अलावा जुलाई 2023 से दिसंबर 2024 तक ऑपरेशन कन्विक्शन के तहत 51 दोषियों को मृत्युदंड, 6,287 अपराधियों को आजीवन कारावास, 1,091 अपराधियों को 20 वर्ष से अधिक की सजा, 3,868 अपराधियों को 10 से 19 वर्ष तक की सजा और 5,788 अभियुक्तों को 5 वर्ष तक की सजा दिलाई गई. बता दें, योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्री होने का रिकार्ड बना चुके हैं, और लगातार दो कार्यकाल पाने वाले एकमात्र यूपी के मुख्यमंत्री हैं. कहा जा सकता है योगी ने मुलायम सिंह यादव, मायावती और अखिलेश यादव को पछाड़ते हुए नया रिकॉर्ड बनाया है. पहले कांग्रेस के मुख्यमंत्री डॉक्टर संपूर्णानंद इस पद पर सबसे ज्यादा समय तक रहे हैं. इतना ही नहीं योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के विधान भवन पर लगातार आठवीं बार ध्वजारोहण करने वाले पहले मुख्यमंत्री भी बन गए हैं. इस लिस्ट में अब क्षेत्रीय पार्टियों के नेता चौधरी चरण सिंह, मुलायम सिंह यादव, मायावती और अखिलेश यादव सीएम योगी के आस-पास भी नहीं दिखाई पड़ते. मायावती ने चार बार और मुलायम सिंह ने तीन बार शपथ ली, लेकिन फिर भी इस रिकॉर्ड को नहीं तोड़ पाए. इतना ही नहीं सीएम योगी की गिनती उन नेताओं में होती है, जिनके नेतृत्व में प्रदेश में किसी पार्टी की लगातार दूसरी बार सरकार बनी.


25 मार्च 2022 को जब योगी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो उन्होंने नारायण दत्त तिवारी का 37 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा था. नारायण दत्त ने वर्ष 1985 में अविभाजित उत्तर प्रदेश में दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. वैसे तो बसपा सुप्रीमो मायावती ने चार बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और उनका पूरा कार्यकाल सात वर्ष, 16 दिन का था. लेकिन वह लगातार नहीं था. मायावती ने अपने चार बार के कार्यकाल में आठ बार ध्वजारोहण किया. इसके अलावा मुलायम सिंह यादव तीन बार मुख्यमंत्री बने. इस दौरान  मुलायम सिंह यादव का कुल कार्यकाल छह वर्ष 274 दिन का रहा था. बेशक, 25 मार्च को योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल के आठ साल पूरे होंगे. उनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने कई ऐतिहासिक बदलाव और विकास देखे हैं, जिससे राज्य की दिशा में नया बदलाव आया है. इससे पहले, आदित्यनाथ 1998 से 2017 तक लगभग दो दशकों तक भारत की संसद के सदस्य के रूप में कार्य कर चुके हैं. 26 वर्ष की आयु में, वे 1998 में सबसे कम उम्र के भारतीय सांसदों में से एक बन गए और गोरखपुर से अगले पांच लगातार कार्यकाल जीते. वे केंद्र से यूपी राज्य की राजनीति में चले गए और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में चुने गए. शुरुआत में, 2017 में, वे यूपी विधान परिषद के सदस्य बने. इसके बाद 2022 में वे गोरखपुर शहरी से चुनाव जीतकर राज्य विधान सभा के सदस्य बन गए. उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी की स्थापना की, जो अब बंद हो चुका है हिंदू राष्ट्रवादी संगठन. उनकी छवि एक हिंदुत्व राष्ट्रवादी और एक सामाजिक रूढ़िवादी की है. जहां तक उपलब्धियों की बात है तो उनके नेतृत्व में राज्य ने कई महत्वपूर्ण योजनाओं को अपनाया.


इसके साथ ही, योगी सरकार ने बुनियादी ढांचे में सुधार पर भी जोर दिया. एक्सप्रेसवे, राजमार्ग, और नई सड़क परियोजनाएं राज्य के विकास की पहचान बन चुकी हैं. खासतौर पर, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे और गंगा एक्सप्रेसवे जैसी परियोजनाओं ने राज्य के विकास को गति दी है. इन परियोजनाओं के पूरा होने से न केवल प्रदेश में व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा मिला, बल्कि लाखों लोगों को रोजगार भी मिला. योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में निवेश आकर्षित करने के लिए कई पहल की. ‘एक जिला एक उत्पाद’ योजना, जो छोटे और मझोले उद्योगों को बढ़ावा देने का उद्देश्य रखती है, को सफलतापूर्वक लागू किया गया. इस योजना से विभिन्न जिलों में उत्पादों की पहचान बनी और राज्य में उद्योगों के लिए अनुकूल माहौल तैयार हुआ. इसके साथ ही, प्रदेश में निवेश के लिए उद्योगपतियों का ध्यान आकर्षित किया. प्रदेश की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए योगी सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को विशेष सुविधाएं दीं. ‘स्टार्टअप राज्य’ बनाने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की, जिससे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़े.योगी सरकार ने राज्य में समाज के हर वर्ग के लिए कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत की. खासकर महिलाओं और बच्चों के लिए कई योजनाएं लागू की गईं, जैसे ‘मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना’, ‘उज्ज्वला योजना’, और ‘समाजवादी पेंशन योजना’. इन योजनाओं ने करोड़ों परिवारों की जीवनशैली में सुधार किया है. इसके अलावा, योगी सरकार ने कोविड-19 महामारी के दौरान राज्य में आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के लिए जोरदार कदम उठाए. अस्पतालों की क्षमता बढ़ाई, ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित किए, और कोविड टीकाकरण अभियान को तेज़ी से चलाया, जिसके परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश ने देश में सबसे अधिक टीकाकरण हासिल किया.


उत्तर प्रदेश में हर गरीब और जरूरतमंद व्यक्ति को सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 56 लाख से अधिक गरीबों को लाभ दिया गया है. 1 करोड़ 86 लाख रसोई गैस कनेक्शन दिए गए हैं. 2 करोड़ 65 लाख से अधिक परिवारों को पीने का पानी दिया जा रहा है. 150 लाख लोगों को मुफ्त राशन मिल रहा है.” पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत राज्य सरकार ने अब तक 2 करोड़ 62 लाख किसानों को 75,000 करोड़ रुपये से अधिक का वितरण किया है. सिंचाई बिल माफ किए गए हैं और सोलर पंप उपलब्ध कराए गए हैं. “भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए नागरिक कर्तव्य का अत्यधिक महत्व है. विकसित भारत में हर किसान के खेत में फसल होगी, महिलाओं का भविष्य उज्ज्वल होगा और युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे. विकसित भारत में सबसे महत्वपूर्ण चीज “राष्ट्र प्रथम” है.” योगी आदित्यनाथ ने राज्य के युवाओं के लिए रोजगार और शिक्षा के क्षेत्र में कई सुधार किए. यूपी पुलिस भर्ती के जरिए 60,000 से अधिक युवाओं को रोजगार मिला. इसके अलावा, मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के तहत युवाओं को बिना ब्याज पर ऋण दिया गया, जिससे युवा अपने व्यापार शुरू करने में सक्षम हो सके. मतलब साफ है योगी आदित्यनाथ का कार्यकाल उत्तर प्रदेश के लिए विकास और समृद्धि का प्रतीक बन चुका है. आठ वर्षों के कार्यकाल में उनके नेतृत्व में राज्य ने कई बदलाव देखे हैं. योगी सरकार ने समाज के हर वर्ग को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं. आगामी समय में, उत्तर प्रदेश का विकास और भी तेज़ी से होगा, और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की दिशा में कदम बढ़ाए जाएंगे.


शासन योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू कर गरीबों तक लाभ पहुंचाने में नंबर वन है। परफॉर्मेंस और परसेप्शन में बदलाव को हर कोई महसूस भी कर रहा है। ‘माफिया को मिट्टी में मिला देंगे’, महज डायलॉग नहीं बल्कि सफलता की इबारत बना है। निर्णयों में दृढ़ता का यह स्वरूप बहुआयामी रहा। सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के चौराहों पर पोस्टर और वसूली के फैसले के अलावा अवैध धर्मांतरण, गोहत्या और नकल विरोधी कानून जैसे कई ऐसे कदम रहे जिनमें आलोचना की परवाह किए बिना समस्या की जड़ पर प्रहार पर फोकस रहा। इसने प्रदेश के परसेप्शन में बदलाव की कवायद को आगे बढ़ाया। जनकल्याण से जुड़ी दो दर्जन से अधिक केंद्रीय योजनाओं के अमल में यूपी नंबर वन है। दशकों से योजनाओं से वंचित वनटांगिया से लेकर समाज के हर वर्ग को इनसे जोड़ा गया। बुनियादी सुविधाओं के साथ 40 लाख करोड़ रुपये से अधिक के वैश्विक निवेश तक की राह तय हुई, तो आस्था के अजेंडे को अर्थव्यवस्था के विकास से जोड़ा गया। सरकार का लक्ष्य यूपी को वन ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनाना है। यह तभी संभव है जब सभी सेक्टर पूरी क्षमता से काम करें, जवाबदेही तय हो। काम की छूट के बीच अब भी थानों, तहसील से लेकर शासन स्तर तक सुनवाई न होने की शिकायतें हैं। इससे निपटने के लिए सीनियर से लेकर नीचे तक के अफसरों पर कार्रवाई हुई है, लेकिन इसे नजीर बनाना होगा। भर्तियों को और फूलप्रूफ बनाने के साथ महत्वाकांक्षी योजनाओं को टाइमलाइन में पूरा करने के लिए और सख्त कदम उठाने होंगे।






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सुरेश गांधी

वरिष्ठ पत्रकार 

वाराणसी

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