पटना : चास-वास-जीवन बचाओ बागमती संघर्ष मोर्चा के बैनर तले पटना में विरोध प्रदर्शन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 24 मार्च 2025

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पटना : चास-वास-जीवन बचाओ बागमती संघर्ष मोर्चा के बैनर तले पटना में विरोध प्रदर्शन

  • रिव्यू कमिटी की रिपोर्ट आए बिना बागमती तटबंध निर्माण, जनता के साथ धोखा है
  • सिकरहना और महानंदा पर तटबंध निर्माण को लेकर भी तत्काल रोक की मांग
  • बागमती तटबंध निर्माण के रिव्यू कमिटी की अनुशंसा के आधार पर निर्णय लिया जाए

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पटना, 24 मार्च (रजनीश के झा)। चास वास जीवन बचाओ बागमती संघर्ष मोर्चा ने आज पटना के गर्दनीबाग धरनास्थल पर जोरदार प्रदर्शन किया, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। इस प्रदर्शन में मोर्चा के नेता और स्थानीय लोग बागमती तटबंध निर्माण के खिलाफ अपनी आवाज़ उठा रहे थे। उनका कहना था कि रिव्यू कमिटी की रिपोर्ट आने से पहले इस निर्माण कार्य को फिर से शुरू करना जनता के साथ धोखा है। प्रदर्शन में मोर्चा के संयोजक जितेंद्र यादव के नेतृत्व में माले नेता धीरेंद्र झा, मीना तिवारी, सिकटा विधायक वीरेंद्र गुप्ता, सूरज कुमार सिंह, दीपक कुमार, ठाकुर देवेंद्र सिंह, रामलोचन सिंह, नवल किशोर सिंह, जगरनाथ पासवान, रंजीत सिंह, अशोक कुमार, विवेक कुमार, ललित राय, पतशुराम राय, मनोज कुमार यादव, सुनील यादव समेत अन्य नेताओं ने भाग लिया।


इस विरोध प्रदर्शन के दौरान न केवल बागमती तटबंध बल्कि सिकरहना और महानंदा नदी पर प्रस्तावित तटबंध निर्माण की योजना पर भी तत्काल रोक लगाने की मांग की गई। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यह तटबंध निर्माण योजनाएं न केवल बेमानी हैं, बल्कि इनसे क्षेत्रीय किसानों, मजदूरों और स्थानीय लोगों की आजीविका पर भी गंभीर असर पड़ेगा। बागमती तटबंध परियोजना, जो 50 साल से भी पुरानी है, पर कई बार सवाल उठ चुके हैं। बार-बार जन आंदोलनों के दबाव में बिहार सरकार ने 2018 में एक रिव्यू कमिटी का गठन किया था, जिसका उद्देश्य तटबंध के औचित्य का पुनः मूल्यांकन करना था। रिव्यू कमिटी को एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देने का निर्देश था, लेकिन आज तक उसकी कोई बैठक नहीं हुई और रिपोर्ट भी जारी नहीं हो पाई। इसके बावजूद बागमती तटबंध निर्माण के काम को फिर से शुरू कर दिया गया है, जो स्थानीय लोगों के लिए एक बड़ी समस्या बन सकता है।


सिकरहना नदी पर बांध बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण का काम लगभग पूरा हो चुका है, जिससे 250 से अधिक गांव जलमग्न हो सकते हैं। हालांकि, आंदोलन के दबाव में इस योजना को फिलहाल रोक दिया गया है। इसके अलावा, महानंदा नदी पर फेज 2 के तहत प्रस्तावित तटबंध योजना से पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज जिलों के लगभग 200 गांवों में तबाही मच सकती है और नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर नुकसान हो सकता है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि तटबंधों का निर्माण इस क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों और जीवन-यापन के तरीके पर गंभीर प्रभाव डालेगा। तटबंध के बजाय, उनका कहना है कि इस पैसे का उपयोग कटाव निरोधक कार्यों में किया जाना चाहिए, ताकि नदियों के कटाव से बचाव हो सके और बाढ़ की समस्या को भी नियंत्रित किया जा सके। नेताओं ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार को रिव्यू कमिटी की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए तटबंध निर्माण पर कोई भी निर्णय लेना चाहिए। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि यह तटबंध परियोजनाएं न तो स्थानीय जनता की आवश्यकता को ध्यान में रखती हैं, न ही उनके हितों की रक्षा करती हैं। इसके पीछे इंजीनियरों, ठेकेदारों और सरकार कुछ अधिकारियों के व्यक्तिगत स्वार्थ हो सकते हैं, जो इस निर्माण कार्य से लाभ उठाना चाहते हैं। प्रदर्शनकारियों ने यह चेतावनी दी कि अगर सरकार ने बागमती और अन्य नदियों के तटबंधों को रोका नहीं, तो उनका आंदोलन और तेज होगा। तटबंधों का निर्माण इलाके की खेती, आवास, और अन्य आर्थिक गतिविधियों को नुकसान पहुंचाएगा। सरकार को चाहिए कि वह तटबंधों को रोककर जल निकासी के रास्तों का विस्तार करे, ताकि बाढ़ के दौरान जलभराव से राहत मिल सके।

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