"इनका जब मन होगा तलाक दे देंगे, जब मन होगा माफी मांगकर निकाह की बात कर लेंगे।" ज़ैनब का यह संवाद औरत के दर्द को बयां करता है। फिर वह आगे कहती है "मैं कसम खाती हूँ, तेरे जैसे लोगों का गुरुर तोड़ूंगी।" "तलाक औरत दे या मर्द दे, नुकसान तो परिवार का ही होता है." इस तरह के संवाद के जरिये फ़िल्म में कई सन्देश भी दिए गए हैं। "यह लड़ाई मेरे अकेले की नहीं है।" जब फ़िल्म में ज़ैनब यह डायलॉग बोलती है तो लगता है कि वह पूरे समाज का प्रतिनिधित्व कर रही है और अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है। एक वकील के रूप में मिथुन चक्रवर्ती की भूमिका महत्वपूर्ण है। वहीं वकील के रोल में ज़ाकिर खान का यह संवाद "तीन तलाक कानून खत्म करने से देश का मुसलमान खुश नहीं होगा।" बहस को जन्म देता है जिसपर मिथुन चक्रवर्ती कहते हैं कि अल्लाह को तलाक पसन्द नहीं है।" ट्रिपल तलाक के खिलाफ मिथुन चक्रवर्ती अपने क्लाइंट के हक की लड़ाई लड़ते नजर आते हैं। ज़ैनब शेख के किरदार को मायरा सरीन ने नेचुरल तरीके से निभाया है।इस प्रोजेक्ट के साथ, मायरा ने अपनी सशक्त पहचान स्थापित कर दी है। रिवाज की कहानी और जैनब जैसे किरदारों ने समाज में बदलाव की लहर पैदा की, जिससे प्रेरित होकर मोदी जी ने ट्रिपल तलाक कानून लागू किया, जिससे महिलाओं को सम्मान और अधिकार मिले।फ़िल्म का निर्देशन बहुत बढ़िया है। "तू मेरा नाम है " जैसे फ़िल्म में मधुर गीत भी हैं। इस हार्ड हिटिंग और संवेदनशील मुद्दे पर बनी फिल्म रिवाज आप ज़ी5 पर देख सकते हैं।
फ़िल्म समीक्षा : रिवाज
कलाकार ; मिथुन चक्रवर्ती, आफताब शिवदासानी, मायरा सरीन, अनिता राज, ज़ाकिर हुसैन, जया प्रदा, अद्विक महाजन,अश्वनी कपूर
प्रोड्यूसर ; कशिश खान
लेखक निर्देशक : मनोज सती
बैनर : कशिश खान प्रोडक्शन
अवधि : 1 घंटे 54 मिनट
सेंसर : यूए
प्लेटफॉर्म : ज़ी5
रेटिंग : 4 स्टार्स
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