लोक अदालतें भारतीय न्याय व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो विवादों का समाधान शीघ्र और कम खर्च में करने के लिए स्थापित की गई हैं। इन अदालतों का उद्देश्य आम जनता को न्याय दिलाना है, ताकि वे लंबी न्यायिक प्रक्रियाओं से बच सकें। लोक अदालतों में विश्वविद्यालय के छात्रों और अधिकारियों का भाग लेना समाज में कानूनी जागरूकता को बढ़ावा देने के साथ-साथ न्यायिक प्रक्रिया को सुलभ और समग्र बनाता है। लोक अदालतें एक वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली के रूप में काम करती हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य न्यायालयों में लंबित मामलों को जल्दी सुलझाना है। ये अदालतें आमतौर पर उन मामलों पर ध्यान केंद्रित करती हैं जो दीवानी, आपराधिक, परिवारिक और श्रमिक संबंधी होते हैं। इन अदालतों के माध्यम से, न्यायिक प्रक्रिया को सरल, त्वरित और कम खर्चीला बनाया जाता है। विश्वविद्यालय के छात्र अक्सर लोक अदालतों में शामिल होते हैं, क्योंकि यह उन्हें न्यायिक प्रक्रिया और कानूनी अधिकारों के बारे में गहरी समझ प्राप्त करने का एक अवसर प्रदान करता है। यह छात्रों को कानूनी पेशेवरों से जुड़ने, उनके अनुभवों को समझने और विभिन्न कानूनी मुद्दों पर विचार करने का मौका देता है। लोक अदालतों में भाग लेने से छात्रों को यह सिखने का अवसर मिलता है कि कैसे कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जाता है और विवादों को कैसे सुलझाया जाता है। यह उनके समग्र शिक्षा अनुभव को और भी समृद्ध करता है, और उन्हें समाज के न्यायिक तंत्र में एक सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करता है। लोक अदालतों में अधिकारियों की भागीदारी भी महत्वपूर्ण है। सरकारी अधिकारियों और विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों का हिस्सा बनना सुनिश्चित करता है कि विभिन्न मामलों में सार्वजनिक नीति और सरकार की दिशा के बारे में सही जानकारी प्रदान की जाए। अधिकारियों का उद्देश्य लोक अदालतों में मामलों को सुलझाने में मदद करना और जनता के कानूनी अधिकारों की रक्षा करना है। लोक अदालतों में विश्वविद्यालय के छात्रों और अधिकारियों का भाग लेना एक सकारात्मक कदम है, जो न केवल कानूनी प्रक्रिया को आसान और तेज बनाता है, बल्कि समाज में न्यायिक जागरूकता भी फैलाता है। यह सुनिश्चित करता है कि हर नागरिक को उसके अधिकारों का ज्ञान हो और वह किसी भी कानूनी समस्या का समाधान जल्दी प्राप्त कर सके। यह पहल छात्रों को कानून के क्षेत्र में अधिक सक्रिय और सूचित बनाती है, जिससे भविष्य में वे बेहतर वकील, न्यायधीश या कानूनी सलाहकार बन सकते हैं।
सीहोर। श्री सत्य साई यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मेडिकल साइंसेज, सीहोर के विधि विभाग के छात्रों ने जिला न्यायालय में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत का निरीक्षण किया। इस निरीक्षण का उद्देश्य छात्रों को न्यायिक प्रक्रिया और लोक अदालत के महत्व को समझने का व्यावहारिक अनुभव प्रदान करना था। विश्वविद्यालय के कुलगुरु, डॉ. मुकेश तिवारी द्वारा इस कार्यक्रम को छात्रों के भविष्य के लिए सौगात बताया। इस अवसर पर प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष विधिक सेवा प्राधिकरण सीहोर सतीश चंद्र शर्मा, हेमंत जोशी विशेष न्यायाधीश एट्रोसिटी सीहोर, एमके वर्मा जिला न्यायाधीश एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सीहोर, जीशान खान जिला विधिक सहायता अधिकारी सीहोर, स्कूल ऑफ लॉ की डीन, डॉ. अमृता सोनी, और विभागाध्यक्ष, श्रीमती शोभा व्यास,एवं समस्त न्यायिक अधिकारी एवं वरिष्ठ विधि व्याख्ता ने छात्रों का मार्गदर्शन किया। छात्रों ने लोक अदालत में मामलों की सुनवाई, सुलह प्रक्रिया और विवादों के निपटान को करीब से देखा।
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