- सालो की मेहनत से बनाया घर की छत पर गार्डन पक्षियों का स्वर्ग, 30 से अधिक गौरैयाओं का बसेरा
सुबह की अलार्म बन गई गौरैयाओं की चहचहाहट
मुकेश काले बताते हैं कि उन्होंने अपनी छत पर दस सालो की मेहनत से गार्डन तैयार कर गौरैयाओं के लिए बाजरा और पानी के सकोरे रखना शुरू किया था। धीरे-धीरे गौरैयाएं लौटने लगीं और अब उनकी संख्या 30 से भी अधिक हो गई है। परिवार की सदस्य पूर्णिमा काले कहती हैं, "हर सुबह हम गौरैयाओं की चहचहाहट से उठते हैं। ये हमारे परिवार का हिस्सा बन गई हैं। शाम होते ही ये लौटकर छत पर आ जाती हैं, जैसे अपना घर समझती हों।"
गौरैयाओं ने अपनाया काले परिवार को
मुकेश काले, उनकी पत्नी पूर्णिमा, बेटे आदित्य और अथर्व सभी गौरैयाओं की देखभाल में जुटे रहते हैं। अब ये पक्षी परिवार के बीच निर्भीक होकर उड़ती-फिरती हैं। काले परिवार का मानना है कि जब से गौरैयाएं उनके घर आईं, तब से खुशियां भी उनके साथ लौट आईं। मुकेश काले कहते हैं, "गौरैयाएं हमारे लिए शुभता का प्रतीक बन गई हैं। इनके आने से हमारे घर में हमेशा अच्छा माहौल रहता है।"
मन गार्डन में मिला गौरैयाओं को सुरक्षित घर
मुकेश काले ने अपनी छत को 'मन गार्डन' का नाम दिया है। यहां खास तौर पर छोटे-छोटे पौधे लगाए गए हैं ताकि गौरैयाओं को प्राकृतिक वातावरण मिल सके। साथ ही एक विशेष लोहे का स्टैंड तैयार कराया गया है, जिसमें लकड़ी के घर बनाए हैं। छत पर हमेशा दाना-पानी की व्यवस्था रहती है। गर्मी के दिनों में पक्षियों के लिए छायादार स्थान और पानी के सकोरे भरे रहते हैं।
सिर्फ गौरैया नहीं, हर पक्षी का है स्वागत
यह गार्डन न सिर्फ गौरैयाओं के लिए, बल्कि अन्य पक्षियों के लिए भी स्वर्ग बन गया है। छत पर चना, चावल, ज्वार और गेहूं रखा जाता है ताकि कोई भी भूखा पक्षी वहां आकर भोजन कर सके। मुकेश काले के मित्र हेमंत मोराने बताते हैं, "मुकेश भाई ने यह साबित कर दिया कि छोटे प्रयास भी बड़े बदलाव ला सकते हैं।"
खंडवा के लिए प्रेरणा बना काले परिवार का प्रयास
काले परिवार की यह पहल उन सभी के लिए प्रेरणा है जो पर्यावरण और पक्षी संरक्षण को लेकर गंभीर हैं। इस परिवार की मेहनत से न केवल गौरैया फिर से लौट आई है, बल्कि यह कार्य भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी एक मिसाल बन चुका है। यह कहानी और भी प्रेरणादायक हो जाती है जब काले परिवार के मित्र और रिश्तेदार भी उनके मन गार्डन को देखने आते हैं। मनोहर लाल मोराने, हेमंत मोराने सहित अन्य लोग जब छत पर लगे छोटे-छोटे घर, दाना-पानी की व्यवस्था और गौरैयाओं की चहचहाहट देखते हैं, तो बेहद खुश होते हैं। सभी इस प्रयास की सराहना करते हैं और कहते हैं कि यह सच में पक्षियों का स्वर्ग है। उनके मित्रों का मानना है कि मुकेश काले और उनके परिवार ने जो किया है, वह पूरे खंडवा के लिए प्रेरणा है। ऐसे छोटे-छोटे प्रयास हमारे आसपास के पर्यावरण को भी जीवंत बना सकते हैं। सभी शुभ कार्य और आयोजन भी मन गार्डन में ही होते हैं। परिवार जनों का जन्मदिन हो या किसी और शुभ अवसर की मन्नत, सभी आयोजन इसी गार्डन में होते हैं। मुकेश काले बताते हैं, "अब हमारे हर उत्सव की शुरुआत गौरैयाओं और अन्य पक्षियों को दाना-पानी देने से होती है। यही हमारी सबसे बड़ी पूजा और परंपरा बन गई है।
विश्व गौरैया दिवस पर संकल्प
आज विश्व गौरैया दिवस पर यह जरूरी है कि हम भी अपने घरों में गौरैयाओं के लिए सुरक्षित जगह बनाएं। बस थोड़ी सी कोशिश और संवेदनशीलता से हम इन नन्हीं चिड़ियों को फिर से अपने आंगन में लौटा सकते हैं। काले परिवार की कहानी यह दिखाती है कि प्रकृति की ओर लौटना हमारे ही हाथों में है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें