समस्तीपुर : घूसखोरी और प्रशासनिक अनियमितता के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरना की योजना - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 8 मार्च 2025

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समस्तीपुर : घूसखोरी और प्रशासनिक अनियमितता के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरना की योजना

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समस्तीपुर (रजनीश के झा)। जिले के शिवाजीनगर प्रखंड के पंचायत समिति सदस्य और जनप्रतिनिधियों ने अंचल कार्यालय में व्याप्त घूसखोरी और प्रशासनिक अनियमितताओं के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरना देने का निर्णय लिया है। इसके तहत, उन्होंने प्रखण्ड विकास पदाधिकारी (BDO) को एक पत्र भेजकर उक्त मुद्दों पर शीघ्र कार्रवाई की मांग की है। पत्र में उल्लेख किया गया है कि अंचल कार्यालय में किसी भी प्रकार का काम बिना रिश्वत के पूरा नहीं हो रहा है। यह शिकायत कई बार प्रखण्ड प्रमुख से की गई, लेकिन किसी भी प्रभावी कार्रवाई का कोई परिणाम सामने नहीं आया। जनप्रतिनिधियों ने यह भी आरोप लगाया कि अंचलाधिकारी जानबूझकर घूसखोरी को बढ़ावा दे रहे हैं, और जो लोग इसका विरोध करते हैं, उनके खिलाफ फर्जी प्राथमिकी दर्ज कर दी जाती है। अंचल कार्यालय में रिश्वत की वसूली के संबंध में पत्र में यह भी बताया गया है कि हर छोटे-बड़े कार्य के लिए 15,000 से 50,000 रुपये तक की रिश्वत ली जाती है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब माननीय प्रखण्ड प्रमुख के माध्यम से एक OBC प्रमाण पत्र निर्गत कराने की कोशिश की गई, जिसे शिवाजीनगर थाना में अंचलाधिकारी ने जबरन केस दर्ज कर दिया गया हैं। 


पंचायत समिति सदस्य, सरोज कुमार, पंचायत समिति सदस्य  सीताराम यादव, पंचायत समिति सदस्य रेखा देवी, पंचायत समिति सदस्य आशा कुमारी, पंचायत समिति सदस्य खुशबू कुमारी साथ ही कई पंचायत समिति सदस्य और अन्य जनप्रतिनिधियों और शिवाजीनगर प्रखंड वासियों ने बकायदा इस घूसखोरी और प्रशासनिक मनमानी के खिलाफ जांच की मांग करते हुए प्रखंड प्रमुख डॉक्टर गोविंद कुमार पर दर्ज प्राथमिकी को वापस लेने की अपील की है। इसके साथ ही, उन्होंने अंचल कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करने और संबंधित कर्मियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की भी मांग की है। साथ ही, उन्होंने प्रखण्ड मुख्यालय में धरना देने के लिए एक स्थायी स्थल की मांग की है, ताकि वे अपनी आवाज़ को उच्च अधिकारियों तक पहुंचा सकें। यह मामला समस्तीपुर जिले के प्रशासनिक ढांचे में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के खिलाफ एक बड़ी चुनौती बन गया है। अब देखना यह है कि इस मुद्दे पर संबंधित अधिकारी क्या कदम उठाते हैं और क्या प्रखण्ड विकास पदाधिकारी इस पर कोई सख्त कार्रवाई करते हैं।

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