- आज होगा ’रंगोत्सव’, बाबा विश्वनाथ मां गौरा के साथ भक्तों संग खेलेंगे अबीर गुलाल
पौराणिक मान्यताएं
बाबा विश्वनाथ माता गौरा का गौना कराकर अपने धाम आते हैं. उससे पहले हल्दी की रस्म होती है जिस परम्परा का निर्वहन मंदिर में किया गया. मंदिर के चौक क्षेत्र में माता गौरा और बाबा विश्वनाथ की चल प्रतिमा को विराजमान करके पूजा-पाठ के साथ रंग गुलाल लगाया गया. काशी में रंगभरी एकादशी 10 मार्च को धूमधाम से मनाई जायेगी और इसी दिन से होली उत्सव की शुरुआत काशी से शुरू हो जाती है.
मथुरा से पहुंचा बाबा के लिए गुलाल
रंगभरी उत्सव की इसी श्रृंखला में रविवार की सुबह मथुरा श्री कृष्ण जन्मस्थल से बाबा विश्वनाथ के लिए भेंट की गई. अबीर और उपहार सामग्री तथा सोनभद्र से श्री काशी विश्वनाथ धाम पहुंचे वनवासी समाज के भक्तों द्वारा राजकीय फूल पलाश से निर्मित हर्बल गुलाल को बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह में अर्पित किया गया. श्रीकृष्ण जन्मस्थान से काशी विश्वनाथ धाम के लिए होली के रंग, गुलाल, बाबा के वस्त्र, प्रसाद आदि सामग्री भेजा गया. मंदिर प्रशासन ने इसी स्वीकार किया और बाबा को अर्पित किया. बाबा को रंगभरी एकादशी के दिन मथुरा से आया गुलाल सबसे पहले लगाया जायेगा.
नागा साधु सन्यासी पंचकोसी परिक्रमा पूरी कर पहुंचे मंदिर
नागा साधु सन्यासी पंचकोसी परिक्रमा पूरी कर पहुंचे मंदिर नागा साधु सन्यासी अपनी पंचकोसी परिक्रमा 5 दिन में पूरी करके बाबा विश्वनाथ के धाम पहुंचे. उन्होंने बाबा विश्वनाथ को हल्दी अर्पित की उन्हें गुलाल लगाया और पुष्प वर्षा की गई. बाद में सभी ने बाबा विश्वनाथ धाम में दर्शन पूजन किया. नागा साधु संन्यासियों ने कहा कि इस बार होली हम बाबा विश्वनाथ के साथ मनाएंगे. उन्होंने कहा हमारी परिक्रमा सफलतापूर्वक पूरी हुई।
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