वाराणसी : काशी में गौरा के गौने की तैयारी, हल्दी रस्म के बाद गाएं पारंपरिक गीत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

  
प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 9 मार्च 2025

demo-image

वाराणसी : काशी में गौरा के गौने की तैयारी, हल्दी रस्म के बाद गाएं पारंपरिक गीत

  • आज होगा ’रंगोत्सव’, बाबा विश्वनाथ मां गौरा के साथ भक्तों संग खेलेंगे अबीर गुलाल

haldi%20baba%20vishvnath01
वाराणसी (सुरेश गांधी)। रंगभरी एकादशी और होली को लेकर काशी विश्वनाथ धाम में भी तैयारियां अंतिम दौर में है। मथुरा से बाबा के लिए उपहार भेजे गएं। इसी क्रम में सोनभद्र के वनवासी समाज के लोगों ने मंदिर परिसर में पारंपरिक आयोजन किए। माता पार्वती के गौने की परंपरागत रश्में निभाई जा रही है. इसी कड़ी में रविवार को महिलाओं में माता गौरा के विग्रह को हल्दी लगाकर तैयार किया और उन्हें लोकाचार की परंपराओं को समझाया. सोमवार यानी 10 मार्च को रंगभरी एकादशी के मौके पर भक्तों के संग बाबा विश्वनाथ खलेंगे अबीर-गुलाल की होली। रंगभरी एकादशी त्रिदिवसीय लोक उत्सव की शृंखला में इस वर्ष मंदिर के पारंपरिक पर्व को लोकमानस के और निकट लाने का प्रयास किया गया। 8 मार्च को बाबा विश्वनाथ एवं मां गौरा की चल प्रतिमा शास्त्रीय अर्चना के साथ मंदिर चौक में शिवार्चनम मंच के निकट तीन दिन के लिए विराजमान की गई। यह विशेष आयोजन भक्तों और श्रद्धालुओं के बीच गहरे धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के उद्देश्य से किया गया। रंगभरी उत्सव की इसी श्रृंखला में रविवार की सुबह मथुरा श्री कृष्ण जन्मस्थल से बाबा विश्वनाथ के लिए भेंट की गई अबीर एवं उपहार सामग्री तथा सोनभद्र से श्री काशी विश्वनाथ धाम पहुंचे वनवासी समाज के भक्तों द्वारा राजकीय फूल पलाश से निर्मित हर्बल गुलाल को बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह में अर्पित किया गया।


bbbbbbbbb
मंदिर के सीईओ विश्व भूषण मिश्र एवं डिप्टी कलेक्टर शम्भु शरण ने विधि-विधानपूर्वक श्री विश्वेश्वर का पूजन किया और हर्बल गुलाल अर्पित किया। इसके पश्चात बाबा विश्वनाथ की चल रजत प्रतिमा की पालकी मंदिर चौक में निकाली गई। यह यात्रा श्रद्धालुओं एवं स्थानीय काशीवाशियों के बीच एक विशेष आकर्षण का केंद्र बनी। हजारों श्रद्धालुओं ने इस यात्रा में भाग लिया और बाबा विश्वनाथ एवं मां गौरा की प्रतिमा पर हल्दी लगाने की प्रथा का निर्वहन किया। बाबा विश्वनाथ के हल्दी समारोह में विशेष रूप से मथुरा से आए भक्तगण, श्री कृष्ण जन्मस्थली से बाबा विश्वनाथ हेतु उपहार सामग्री लेकर आए भक्त, प्रसिद्ध इतिहासकार एवं लेखक विक्रम सम्पत, वनवासी समाज के भक्तों ने अपनी सहभागिता की। इस महोत्सव ने धार्मिक, सांस्कृतिक और परंपराओं के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। मंदिर प्रशासन के प्रयासों से यह आयोजन भव्यता और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ। भक्तों की अपार भीड़ और उनकी आस्था ने इस पर्व को और भी खास बना दिया, जिससे काशी की ऐतिहासिक परंपराओं को पुनर्जीवित करने का संदेश मिला। यहां होली की शुरुआत रंगभरी एकादशी पर बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद के साथ होती है. इस दिन काशीवासी बाबा को रंग गुलाल लगाते हैं और होली खेलने की अनुमति मांगते हैं. काशी में रंगभरी एकादशी के पर्व की अपनी पौराणिक मान्यता भी है. कहते हैं कि, इस दिन बाबा विश्वनाथ मां गौरा का गौना करने के लिए ससुराल आते हैं.


पौराणिक मान्यताएं

बाबा विश्वनाथ माता गौरा का गौना कराकर अपने धाम आते हैं. उससे पहले हल्दी की रस्म होती है जिस परम्परा का निर्वहन मंदिर में किया गया. मंदिर के चौक क्षेत्र में माता गौरा और बाबा विश्वनाथ की चल प्रतिमा को विराजमान करके पूजा-पाठ के साथ रंग गुलाल लगाया गया. काशी में रंगभरी एकादशी 10 मार्च को धूमधाम से मनाई जायेगी और इसी दिन से होली उत्सव की शुरुआत काशी से शुरू हो जाती है.


मथुरा से पहुंचा बाबा के लिए गुलाल

रंगभरी उत्सव की इसी श्रृंखला में रविवार की सुबह मथुरा श्री कृष्ण जन्मस्थल से बाबा विश्वनाथ के लिए भेंट की गई. अबीर और उपहार सामग्री तथा सोनभद्र से श्री काशी विश्वनाथ धाम पहुंचे वनवासी समाज के भक्तों द्वारा राजकीय फूल पलाश से निर्मित हर्बल गुलाल को बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह में अर्पित किया गया. श्रीकृष्ण जन्मस्थान से काशी विश्वनाथ धाम के लिए होली के रंग, गुलाल, बाबा के वस्त्र, प्रसाद आदि सामग्री भेजा गया. मंदिर प्रशासन ने इसी स्वीकार किया और बाबा को अर्पित किया. बाबा को रंगभरी एकादशी के दिन मथुरा से आया गुलाल सबसे पहले लगाया जायेगा.


नागा साधु सन्यासी पंचकोसी परिक्रमा पूरी कर पहुंचे मंदिर

नागा साधु सन्यासी पंचकोसी परिक्रमा पूरी कर पहुंचे मंदिर नागा साधु सन्यासी अपनी पंचकोसी परिक्रमा 5 दिन में पूरी करके बाबा विश्वनाथ के धाम पहुंचे. उन्होंने बाबा विश्वनाथ को हल्दी अर्पित की उन्हें गुलाल लगाया और पुष्प वर्षा की गई. बाद में सभी ने बाबा विश्वनाथ धाम में दर्शन पूजन किया. नागा साधु संन्यासियों ने कहा कि इस बार होली हम बाबा विश्वनाथ के साथ मनाएंगे. उन्होंने कहा हमारी परिक्रमा सफलतापूर्वक पूरी हुई।

कोई टिप्पणी नहीं:

undefined

संपर्क फ़ॉर्म

नाम

ईमेल *

संदेश *