उनकी स्थिति में सुधार लाना न केवल सरकार की जिम्मेदारी है, बल्कि समाज का नैतिक कर्तव्य भी है. नारी गुंजन के इस महिला दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य हिंसा, गरीबी, असमानता और अशिक्षा को समाप्त कर समानता पर आधारित समाज की स्थापना करना है. भेदभाव से मुक्त, सम्मानपूर्ण जीवन के लिए संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों को सशक्त बनाने के लिए नारी गुंजन महादलित मुसहर महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्षरत है.जब तक यह संभव नहीं होता, तब तक हमारा प्रयास जारी रहेगा. इस क्रम में सुबह 9:30 बजे गांधी मैदान, पटना में "नारी अधिकार यात्रा" निकाली गई; जिसमे दानापुर, पुनपुन, नौबतपुर, बिहटा, फुलवारी शरीफ, मनेर, मसौढ़ी, फतुहा, खगड़िया, गया एवं पटना सदर की पाँच हजार से भी अधिक महिलाएं उत्साह के साथ भाग ली.यात्रा जेपी गंगा पथ/गांधी मैदान से शुरू हुआ एवं बापू सभागार पहुंचा.Sudha Varghese के नेतृत्व में निकाले गए अधिकार यात्रा का उद्देश्य हिंसा, गरीबी, असमानता, अशिक्षा को समाप्त करते हुए बराबरी पर आधारित समाज बनाना है.
पटना, (आलोक कुमार)। समानता पर आधारित समाज की स्थापना करना गैर सरकारी संस्था नारी गुंजन है.नोट्रे डेम की सिस्टर सुधा वर्गीस ने उक्त संस्था को बनायी है. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 के अवसर पर 09 मार्च को नारी गुंजन ने गाँधी मैदान, पटना से 'नारी अधिकार यात्रा' निकाली. 'नारी अधिकार यात्रा' बापू सभागार, पटना में जाकर नारी सम्मान सभा में तब्दील हो गई. ऐसा समझा जाता है कि आज भी महिलाओं के साथ भेदभाव हो रहा है.जो वैश्विक सच्चाई है और इससे भारतीय समाज भी अछूता नहीं है.जब हम भारत के सबसे वंचित एवं गरीब मुसहर समाज की बात करते है, तो महिलाएँ अमानवीय परिस्थितियों में जीने को मजबूर हैं.हिंसा, गरीबी, असमानता, तिरस्कार, भेदभाव, अशिक्षा और शोषण दलितों एवं विशेषकर मुसहर महिलाओं की नियति बन गई है. संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार और सम्मानजनक जीवन का अधिकार भी उनके लिए अर्थहीन है.आज़ादी के 77 साल बाद भी मुसहर समुदाय मुख्यधारा से कोसों दूर है.
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