उन्होंने कहा कि भगवान विष्णु के अनेक अववार जैसे राम अवतार कृष्ण अवतार व वामन अवतार की लीला के बारे में विस्तार पूर्वक श्रद्धालुओं को बताया कि जब-जब धरा पर अत्याचार, दुराचार, पाप बढ़ता है, तब-तब प्रभु का अवतार होता है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। मथुरा में राजा कंस के अत्याचार से व्यथित होकर धरती की करुण पुकार सुनकर नारायण ने कृष्ण रूप में देवकी के पुत्र के रूप में जन्म लिया और धर्म और प्रजा की रक्षा कर कंस का अंत किया। उन्होंने कहा कि जीवन में भागवत कथा सुनने का सौभाग्य बड़ा दुर्लभ है। जब भी हमें यह अवसर मिले, इसका सदुपयोग करना चाहिए। कथा का सुनना तभी सार्थक होगा, जब उसके बताए मार्ग पर चलकर परमार्थ का काम करेंगे। भगवान श्रीकृष्ण के गोकुल में आनंद भयों जय कन्हैयालाल की हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैयालाल की सहित अनेक भजन सुनाकर श्रद्धालुओं को आनंदित कर दिया इस मौके पर महिला पुरूषों ने नंदोत्सव पर जमकर नृत्य किया आयोजकों ने भगवान कृष्ण के बालरूप की आरती उतार कर मिठाई, फल, फूल बांटकर उत्सव मनाया। कथा के आयोजनकर्ता अश्विन दाने, देवेन्द्र दाने, अशोक ठाकुर, रोहित शर्मा, भय्यु प्रजापति सहित अन्य ने व्यास पूजन और आरती की। दाने परिवार ने बताया कि सात दिवसीय भागवत कथा दोपहर दो बजे से शाम पांच बजे तक जारी है। कथा के पहले दिन कलश यात्रा निकाली गई थी।
सीहोर। वसुदेव की पत्नी देवकी के यहां कंस की कारागार में श्रीकृष्ण अवतार हुए जो प्रभु सारे संसार का आधार है। वासुदेव ने देखा एक अद्भुत बालक पैदा हुआ भगवान अनुभव से ही समझ में आते हैं। भगवान आत्मारूप में बुद्धियों को दृष्टा और प्रेरक है। श्रीकृष्ण ने अपना दिव्य रूप दिखाया तथा तुरंत शिशु रूप हो गए। अंधेरी रात्रि को यमुना से निकल कर वासुदेव के द्वारा श्रीकृष्ण को गोकुल में नंद के के यहां पहुंचाया। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अन्याय के नाश और धर्म की स्थापना के लिए हुआ था। उक्त उद्गार शहर के शुगर फैक्ट्री स्थित मोर गार्डन में दाने परिवार के तत्वाधान में जारी सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन कथा वाचक पंडित गिरजा शंकर तिवारी ने कहे। गुरुवार को कथा के चौथे दिवस यहां पर मौजूद बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव मनाया।
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