सीहोर : किसानों, मजदूरों और लघु उधोग के साथ ऐतिहासिक विश्वासघात : बैरागी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 5 अप्रैल 2025

सीहोर : किसानों, मजदूरों और लघु उधोग के साथ ऐतिहासिक विश्वासघात : बैरागी

  • किसानों मजदूरों व्यापारियों पर भी आगामी दिनों में देखने को मिलेगा असर
  • अखिल भारतीय किसान सभा ने दर्ज कराया विरोध

Kisan-sabha-sehore
सीहोर । अखिल भारतीय किसान सभा ने अमेरिका सरकार द्वारा भारत पर लगाए गए अन्यायपूर्ण टैरिफ नितियों और केंद्र की भाजपा सरकार के द्वारा अमेरिका के आर्थिक आक्रामक कदमों के आगे घुटने टकने की पुरजोर निंदा की हैं। अखिल भारतीय किसान सभा के कार्यकारी अध्यक्ष प्रहलाद दास बैरागी ने अमेरिकी आर्थिक आक्रामकता को कृषि प्रधान देश भारत के लिए खतरा बताया है। आर्थिक हमले का असर पूरे देश के साथ मध्य प्रदेश और सीहोर जिले के किसानों व्यापारियों नौकरी करने वाले लोगों पर भी आगामी दिनों में देखने को मिलेगा। निर्यात अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के लिए अखिल भारतीय किसान सभा ने कारपोरेट कब्जे के खिलाफ संघर्ष करने का ऐलान किया है।


उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा का इन आक्रामक कदमों के आगे घुटने टेकना भारत के किसानों, मजदूरों और लघु उधोग के साथ ऐतिहासिक विश्वासघात है, जो राष्ट्रीय संपरभूता से ज्यादा राजनैतिक फायदा को तरजीह देती है। वैश्विक प्रतिशोध ने भारत की शर्मनाक अधीनता को उजागर कर दिया है ब्राजील और चीन जैसे प्रगतिशील देशों ने इन भेदभावपूर्ण टैरिफ का मजबूती से विरोध किया है, लेकिन भारत सरकार 27 % के भारी टैरिफ बोझ के बावजूद अमेरिका के आगे गुलामी की मुद्रा में खड़ी है ! अमेरिकी आर्थिक प्रभुत्व के आगे समर्पण है और ऐसे समय में हुआ है जब हमारे कृषि और औद्योगिक क्षेत्र में लाखों भारतीयों की आजीविका ख़तरे में है। श्री बैरागी ने रोष प्रगट करते हुए कहा कि यह देश के कृषि क्षेत्र के अस्तित्व के लिए खतरा है नए टैरिफ से भारतीय कृषि निर्यात को  भारी नुक्सान होगा,  जिसके विनाशकारी परिणाम होंगे विशेष रूप से महाराष्ट्र के आम उत्पादको , पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के बासमती उत्पादक किसानों, आंधप्रदेश, तमिलनाडु के कांफी बाग़ान मालिकों और महाराष्ट्र, कर्नाटक के अंगूर उत्पादक किसान बर्बाद हो जाएगा।   

 

बैरागी ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार देश की घरेलू अर्थव्यवस्था का जानबूझ कर विनाश कर रही हैं  यह संकट लापरवाह आयात नीतियों के जरिए व्यवस्थित रूप से रचा गया है । विदेशी कपास , सोयाबीन, उत्पादक, दालें, और एथेनॉल से देश  के बाजारों को पाट दिया गया है जिससे घरेलू कीमतें जानबूझकर गिराईं गई है जिसके कारण किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य msp भी नहीं मिला पा रहा है  मोदी सरकार के कार्यकाल में कृषि आयात 70,000 करोड़ से बढ़कर 3 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है, जबकि हमारे निर्यात क्षमता को व्यवस्थित रूप से खत्म किया जा रहा है, फार्मास्यूटिकल्स कपड़ा, और होजियरी उत्पादों पर लगने वाले टैरिफ भारत का विऔधि़गीकरण तेज़ होगा, जिससे बड़े पैमाने पर नौकरियां जाएंगी और बैरोजगारी का संकट और गहरायेगा। श्री बैरागी ने कहा यह शर्मनाक है कि विदेश मंत्री भारत के 27% अमेरिका टैरिफ के आगे समर्पण को कूटनीतिक जीत बता रहे हैं ! महात्मा गांधी और भगतसिंह की धरती कभी भी विदेशी आर्थिक आक्रामकता के आगे इस तरह का आत्मसमर्पण स्वीकार नहीं करेगी । अखिल भारतीय किसान सभा प्रतिशोध की घौषणा करती है। इस आर्थिक देशद्रोही के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा करती है, ! हम सभी देशभक्त ताकतों से आव्हान करते हैं कि वे संयुक्त किसान मोर्चा के साथ जुड़कर भारत की आर्थिक संप्रभुता की रक्षा करें! 

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