प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पड़ोसी देशों में भारत की विकास संबंधी पहल - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 6 अप्रैल 2025

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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पड़ोसी देशों में भारत की विकास संबंधी पहल

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श्रीलंका की आगामी यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी मौजूदा 128 किलोमीटर लंबी महो-ओमानथाई रेलवे लाइन के ट्रैक उन्नयन कार्य का उद्घाटन करेंगे। वह महो-अनुराधापुरा खंड पर उन्नत सिग्नलिंग एवं दूरसंचार प्रणाली की स्थापना से संबंधित सिग्नलिंग परियोजना का भी उद्घाटन करेंगे। ये परियोजनाएं पिछले दस वर्षों के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत द्वारा अपने विभिन्न पड़ोसी देशों को प्रदान की गई परियोजनाओं एवं सहायता की लंबी सूची में शामिल होंगी और विकास के एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करेंगी।


श्रीलंका

भारतीय आवास परियोजना (चरण III) के अंतर्गत, भारत ने मध्य और उवा प्रांतों में बागान श्रमिकों के लिए लगभग 4,000 घर बनाए हैं। श्रीलंका के आर्थिक संकट के दौरान, भारत ने आवश्यक खाद्य पदार्थों, दवाओं तथा अन्य जरूरी सामानों के आयात में सहायता पहुंचाने के उद्देश्य से एक बिलियन अमेरिकी डॉलर की क्रेडिट लाइन (मार्च 2022) प्रदान की थी। भारत और श्रीलंका के बीच मजबूत सांस्कृतिक संबंध हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मार्च 2015 में जाफना की अपनी ऐतिहासिक यात्रा के दौरान जाफना सांस्कृतिक केन्द्र की आधारशिला रखी थी। आगे चलकर मार्च 2022 में इस केन्द्र का उद्घाटन किया गया और फरवरी 2023 में इसे श्रीलंका के लोगों को समर्पित किया गया।


नेपाल

ऊर्जा क्षेत्र में, भारत और नेपाल ने सीमा पार ऊर्जा सहयोग को मजबूत किया है। वर्ष 2019 में शुरू की गई मोतिहारी-अमलेखगंज पेट्रोलियम पाइपलाइन (एमएपीएल) दक्षिण एशिया की पहली सीमा-पार पेट्रोलियम पाइपलाइन बनी। इससे नेपाल को आर्थिक लाभ हुआ। जून 2023 में हस्ताक्षर हुए एक समझौता ज्ञापन ने सिलीगुड़ी-झापा पाइपलाइन और चितवन तथा झापा में दो ग्रीनफील्ड टर्मिनलों सहित पेट्रोलियम से जुड़े नए बुनियादी ढांचे का मार्ग प्रशस्त किया। बुनियादी ढांचे के विकास के मामले में, भारत ने नेपाल के परिवहन नेटवर्क को आधुनिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जयनगर-कुर्था-बरदीबास रेल लिंक का उद्घाटन अप्रैल 2022 में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों द्वारा किया गया, जोकि क्षेत्रीय संपर्क की दिशा में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। एक अन्य प्रमुख रेलवे परियोजना, जोगबनी-विराटनगर रेल लिंक, के सीमा-पार खंड को जून 2023 में माल ढुलाई से संबंधित परिचालन के लिए खोला गया। भारत रक्सौल-काठमांडू रेलवे लिंक का भी समर्थन कर रहा है। इस परियोजना की अंतिम स्थल सर्वेक्षण रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है। व्यापार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, भारत ने नेपालगंज, विराटनगर और बीरगंज में एकीकृत चेक पोस्ट (आईसीपी) विकसित किए हैं। जून 2023 में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने संयुक्त रूप से नेपालगंज आईसीपी का उद्घाटन किया और भैरहवा आईसीपी की नींव रखी। अप्रैल 2015 में आये भूकंप के बाद, भारत सरकार ने नेपाल में भूकंप-पश्चात पुनर्निर्माण परियोजनाओं के लिए एक बिलियन अमेरिकी डॉलर देने की प्रतिबद्धता जताई थी, जिसमें 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान तथा 750 मिलियन अमेरिकी डॉलर का लाइन ऑफ क्रेडिट शामिल था। 132 किलोवोल्ट (केवी) क्षमता वाली सोलू कॉरिडोर ट्रांसमिशन लाइन (अप्रैल 2022) ने दूरदराज के क्षेत्रों को राष्ट्रीय ग्रिड से जोड़कर नेपाल की बिजली कनेक्टिविटी को बढ़ाया है। इसी तरह, 42 किलोमीटर लंबी बिजली परियोजना, मोदी-लेखनाथ ट्रांसमिशन लाइन (अगस्त 2023) ने बिजली आपूर्ति को बेहतर बनाया है। इसके अतिरिक्त, 200 किडनी डायलिसिस मशीनों और 50 रिवर्स ऑस्मोसिस प्रणालियों की आपूर्ति में भारत की सहायता से नेपाल की स्वास्थ्य सेवा से संबंधित बुनियादी ढांचा मजबूत हुआ है।


बांग्लादेश

भारत हमेशा से बांग्लादेश का एक भरोसेमंद विकास साझेदार रहा है। वर्ष 2023 में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उद्घाटित अखौरा-अगरतला रेल लिंक परियोजना (270.2 करोड़ रुपये) ने क्षेत्रीय परिवहन से संबंधित बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है। मैत्री सुपर थर्मल पावर परियोजना (नवंबर 2023), जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी और तत्कालीन बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने संयुक्त रूप से किया था, बांग्लादेश के सबसे बड़े विद्युत संयंत्रों में से एक है। इससे बिजली के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। एक अन्य प्रमुख पहल, खुलना-मोंगला रेल लाइन परियोजना (नवंबर 2023) ने कार्गो पारगमन और कनेक्टिविटी को बढ़ाया है। ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु, भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन (285.24 करोड़ रुपये) का उद्घाटन 2023 में प्रधानमंत्री मोदी और उनके तत्कालीन बांग्लादेशी समकक्ष द्वारा किया गया था। भारत ने बांग्लादेश को 109 बेसिक लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस प्रदान करके आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा में भी सहायता की है।


अफगानिस्तान

भारत अफगानिस्तान के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। अफगान-भारत मैत्री बांध (सलमा बांध) (2016), जिसका उद्घाटन 2016 में प्रधानमंत्री मोदी ने किया था, महत्वपूर्ण सिंचाई और बिजली आपूर्ति प्रदान करता है। भारत ने अफगान लोकतंत्र के प्रति समर्थन के प्रतीक के रूप में अफगान संसद भवन का निर्माण किया, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी ने 2015 में किया था। खाद्य सुरक्षा के मामले में सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से, भारत ने कठिन समय के दौरान 2.45 लाख मीट्रिक टन गेहूं की आपूर्ति की।


म्यांमार

म्यांमार में भारत की कनेक्टिविटी से संबंधित पहलों ने व्यापार एवं वाणिज्य को बढ़ावा दिया है। कलादान मल्टी-मॉडल पारगमन परिवहन परियोजना (982.99 करोड़ रुपये) इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत ने यांगून स्थित म्यांमार सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (एमआईआईटी) और ने पई तॉव स्थित उन्नत कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा केन्द्र (एसीएआरई) का समर्थन करके शिक्षा और अनुसंधान में भी निवेश किया है। म्यांमार में हाल ही में आए भूकंप, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया, के दौरान भारत ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत 50 टन से अधिक मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (एचएडीआर) सामग्री भेजने वाले सबसे पहले देशों में से एक था।


भूटान

भूटान के साथ भारत की साझेदारी स्वास्थ्य सेवा और ऊर्जा पर केन्द्रित रही है। ग्यालत्सुएन जेट्सन पेमा वांगचुक मदर एंड चाइल्ड हॉस्पिटल (141 करोड़ रुपये), जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी ने 2024 में किया था, विशेष स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करता है। मंगदेछु जलविद्युत परियोजना (5,033.56 करोड़ रुपये), जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 में किया था, एक ऐतिहासिक पहल है। इस परियोजना ने भूटान के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को मजबूत किया है और आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया है।


मालदीव

भारत ने मालदीव के बुनियादी ढांचे, पर्यावरणीय स्थिरता और सुरक्षा का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अगस्त 2024 में उद्घाटन की गई जल एवं स्वच्छता परियोजना (107.34 करोड़ रुपये) ने 34 द्वीपों में पानी और सीवरेज से जुड़ी सुविधाओं को उल्लेखनीय रूप से बेहतर बनाया है। इस परियोजना से मालदीव के 28,000 लोगों को सीधे लाभ मिलता है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण में वृद्धि होती है। अगस्त 2024 में शुरू की गई अड्डू सिटी डेवलपमेंट परियोजना (160.24 करोड़ रुपये) भूमि सुधार और तट संरक्षण पर केंद्रित थी। कुल 190 हेक्टेयर भूमि को समुद्र से पुनः प्राप्त किया गया, जिससे मालदीव में सबसे लंबा मानव निर्मित समुद्र तट बना और 15 वर्षों में पहली बार आवास आवंटन संभव हुआ। इस परियोजना में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा प्रवाल स्थानांतरण अभियान भी शामिल था, जो देश के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले अड्डू शहर में सड़क संपर्क और स्वच्छता में सुधार करते हुए पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करता है। भारत ने समग्र प्रशिक्षण केन्द्र (सीटीसी) (52.42 करोड़ रुपये) के निर्माण के माध्यम से क्षमता निर्माण और सुरक्षा में भी योगदान दिया है, जिससे मालदीव की सुरक्षा और प्रशिक्षण संबंधी अवसंरचना में वृद्धि हुई है। इसके अतिरिक्त, डोर्नियर विमान और ध्रुव हेलीकॉप्टर (फरवरी 2023) सहित रक्षा आपूर्ति ने आपातकालीन स्थितियों में देश की त्वरित प्रतिक्रिया क्षमताओं को मजबूत किया है।


साझा भविष्य के प्रति प्रतिबद्धता

वर्ष 2014 से भारत अपने पड़ोस में एक मजबूत और विश्वसनीय विकास भागीदार के रूप में उभरा है। ‘पड़ोसी पहले’ और ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के सिद्धांतों से प्रेरित होकर भारत क्षेत्रीय विकास और स्थिरता के प्रमुख चालक के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत करना जारी रखे हुए है। ये परियोजनाएं क्षेत्र में सद्भावना और समृद्धि को बढ़ावा देने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण हैं, जो सभी के लिए एक उज्जवल और अधिक जुड़ाव वाला भविष्य सुनिश्चित करती हैं।

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