उन्होंने कहा कि पुआल नहीं जलाकर उसका प्रबंधन करने में उपयोगी कृषि यंत्र, स्ट्राॅ बेलर, हैप्पी सीडर, जीरो टिल सीड- कम-फर्टिलाइजर ड्रिल, रीपर-कम,बाईंडर,स्ट्राॅरीपर, रोटरी मल्चर
इन यंत्रों पर अनुदान की राशि बढ़ा दी गई है। जिलाधिकारी ने किसान भाइयों एवं बहनों से अपील है करते हुऐ कहा है कि यदि फसल की कटनी हार्वेस्टर से की गई हो तो खेत में फसलों के अवशेष पुआल, भूसा आदि को जलाने के बदले खेत की सफाई करने हेतु बेलर गमशीन का उपयोग करें।
अपने फसलों के अवशेष को खेत में जलाने के बदले उसमें वर्मी कंपोस्ट बनाएं या मिट्टी में मिलाये अथवा पलवार विधि से खेती कर मिट्टी को बचाकर संधारणीय कृषि पद्धति में अपना योगदान दें । उक्त बैठक में जिला कृषि पदाधिकारी ललन कुमार चौधरी, सहायक निदेशक, कृषि अभियंत्रण, सहित अन्तर्विभागीय कार्य समूह के सभी सदस्य उपस्थित थे।
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