- 11 लीटर गन्ने के रस किया गया भगवान शिव का अभिषेक
पंडित श्री व्यास ने बताया कि जिमि सरिता सागर महुं जाही, जद्यपि ताहि कामना नाहीं, तिमि सुख संपति बिनहिं बोलाएं, धरमसील पहिं जाहिं सुभाएं, मंत्र बालकांड से लिया गया है। इसका मतलब यह है कि नदियां बहती हुई सागर की ओर ही जाती हैं, चाहे उनके मन में उधर जाने की कामना हो या नहीं। ठीक उसी तरह, सुख-संपत्ति भी बिना चाहे ही धर्मशील और विचारवान लोगों के पास चली आती हैं। लक्ष्मी चंचला बताई गई हैं। ऐसी मान्यता है कि वे हमेशा के लिए एक जगह टिककर नहीं रहती हैं, लेकिन जिन घरों में लोग एक-दूसरे के साथ प्रेमपूर्वक, शांति व संतोष से रहते हैं, वहां लक्ष्मी स्थाई रूप से बस जाती हैं। अपने लक्ष्य को पाने के लिए जो व्यक्ति लग्न और ईमानदारी से मेहनत करता है। देवी महालक्ष्मी अपना आशीर्वाद सदैव उस पर बनाई रखती हैं। भगवान को सदा अपने अंग-संग समझें और उनकी कृपा के लिए सदैव उन्हें धन्यवाद देते रहें। करुणा को अपनाओ, असत्य का आश्रय न लो, सत्य-पथ को अपनाओ, पवित्रता से रहो, आहार-विहार को शुद्ध करो, सभी प्राणियों की सेवा करो, किसी भी प्राणी के साथ मन, वाणी और शरीर से किसी भी प्रकार का वैर न रखो, सबके साथ मैत्रीपूर्ण व्यवहार करो, द्वेष भाव को त्याग कर सबके कल्याण में रमे रहो, माता-पिता गुरुजनों की सेवा करो और काम को त्यागकर सबके कल्याण में रमे रहो, क्रोध, लोभ तथा मोह को पास मत फटकने दो।
आज किया जाएगा शहद की धारा के साथ अभिषेक
समिति की ओर से मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि शुक्रवार को शहर के गंगाआश्रम स्थित गोपालधाम हनुमान मंदिर में सुबह सात बजे से शहद की धारा के साथ अभिषेक किया जाएगा। वैशाख माह में शिव प्रदोष समिति के तत्वाधान में लगातार एक माह तक हवन और अभिषेक किया जा रहा है। उन्होंने क्षेत्रवासियों से दिव्य अनुष्ठान में शामिल होने की अपील की।

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