वाराणसी : वक्फ संशोधन विधेयक सही, मगर और संशोधन की जरुरत : विष्णु शंकर जैन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 3 अप्रैल 2025

demo-image

वाराणसी : वक्फ संशोधन विधेयक सही, मगर और संशोधन की जरुरत : विष्णु शंकर जैन

  • कहा, ’वक्फ बाय यूजर’ की परिभाषा को हटाने और वक्फ की अवधारणा को इस्लामी कानून के साथ जोड़ने वाले संशोधनों जैसे महत्वपूर्ण बदलावों का उल्लेख होना चाहिए
  • औरंगजेब की विरासत मिटाने की कोशिश में वक्फ बड़ा कदम, न्यायालय में चल रहा ज्ञानवापी व श्रीकृष्ण जन्मभिम मामले में हमारा संघर्ष जल्द पूरा होगा

advocate%20vishnu%20shankar%20jain
वाराणसी (सुरेश गांधी)। पहले आर्टिकल 370, फिर ट्रिपल तलाक और अब वक्फ बिल। खास यह है कि इस बिल का दबे जुबान से ही सही, हर कोई तारीफ कर रहा है। इस बिल गरीबों के कल्याण का बताया जा रहा है। काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थित मां शृंगार गौरी के दर्शन-पूजन के लिए पहुंचे सुप्रीम कोर्ट के सीनियर अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने दो टूक कहा, यह एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण दिन है। वक्फ संशोधन विधेयक का वे स्वागत करते है, लेकिन ’वक्फ बाय यूजर’ की परिभाषा को हटाने और वक्फ की अवधारणा को इस्लामी कानून के साथ जोड़ने वाले संशोधनों जैसे महत्वपूर्ण बदलावों का उल्लेख होना चाहिए। दर्शन-पूजन के बाद सीनियर रिपोर्टर सुरेश गांधी से बातचीत के दौरान अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि मौजूदा संशोधन विधेयक धारा 107, 108 और 108 (ए) जैसे कई अन्य कठोर प्रावधानों को भी निरस्त करता है। अर्थात यह संशोधन विधेयक एक कदम आगे है, लेकिन यह पूरा नहीं है। कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर काम करने की आवश्यकता है, और इसके लिए हमने जेपीसी को अपना प्रतिनिधित्व दिया है, और मुझे लगता है कि भविष्य में इस पर विचार किया जाएगा। जहां तक विपक्ष का सवाल है तो वो सिर्फ अपने पापों को छिपाने के लिए इस बिल का विरोध कर रहा है। यह विधेयक सही दिशा में उठाया गया एक कदम है। हालांकि यह ’कठोर प्रावधानों’ को निरस्त करता है, लेकिन यह अभी पूरा नहीं हुआ है। उनकी टीम ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के समक्ष अपने सुझाव प्रस्तुत किए हैं, तथा विश्वास व्यक्त किया है कि इन सिफारिशों को विधेयक के अंतिम संस्करण में शामिल किया जाएगा।


एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमारी टीम औरंगजेब की विरासत को और उसके नाम को देश के इतिहास से मिटाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमने ज्ञानवापी और कृष्ण जन्मभूमि से इसकी शुरुआत की है। हम उसकी विरासत को खत्म करने के लिए हम हर संभव कानूनी कदम उठाएंगे। उन्होंने बताया कि विधेयक में वक्फ की परिभाषा में बड़े बदलाव किए गए हैं। पहले कांग्रेस सरकार ने इसमें ’उपयोगकर्ता’ की परिभाषा को शामिल किया था, जिससे कई समस्याएं पैदा हुई थीं। अब इसे हटा दिया गया है। इसके अलावा, धारा 40 के तहत वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने का असीमित अधिकार था, जिसे भी खत्म कर दिया गया है। जैन ने आगे कहा कि विधेयक में यह प्रावधान जोड़ा गया कि सभी वक्फ संपत्तियों को छह महीने के भीतर अपनी वैधता साबित करनी होगी। साथ ही, ट्रिब्यूनल में इस्लामी कानून के जानकार को शामिल करने की शर्त को भी हटाया गया है। उनके मुताबिक, जो निजी संपत्तियां गलत तरीके से वक्फ की संपत्ति घोषित कर दी गईं, उन्हें वापस लेने का कोई प्रावधान इस विधेयक में नहीं है। उनका कहना है कि सरकारी संपत्तियों की बात अलग है, लेकिन निजी मालिकों की संपत्ति को वापस दिलाने के लिए अभी और काम करने की जरूरत है। अंत में उन्होंने कहा, न्यायालय में चल रहा हमारा संघर्ष जल्द पूरा हो और बाबा विश्वनाथ की मुक्ति का रास्ता साफ हो।“ उन्होंने कहा, “हमने ज्ञानवापी और कृष्ण जन्मभूमि से इसकी शुरुआत की है। औरंगजेब की विरासत को खत्म करने के लिए हम हर संभव कानूनी कदम उठाएंगे।“ जैन का मानना है कि औरंगजेब का नाम भारत के इतिहास में नहीं रहना चाहिए और इसके लिए वे लगातार कोशिश करते रहेंगे।


उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 बहुत महत्वपूर्ण परिवर्तन और विधायी संशोधन लेकर आया है। उदाहरण के लिए, वक्फ की उपयोगकर्ता की परिभाषा को पूरी तरह से हटा दिया गया है। वक्फ की अवधारणा और परिभाषा, जो इस्लामी कानून के अनुरूप नहीं थी, जो पहले के वक्फ कानून 1995 में मौजूद थी, उसमें संशोधन किया गया है। सर्वेक्षण अभ्यासों के संबंध में अब तक कई जांच और संतुलन लाए गए हैं। उदाहरण के लिए, कठोर प्रावधान, जिसे हम सभी जानते हैं, धारा 40 है, जो वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने के असीमित अधिकार देता है, को भी निरस्त कर दिया गया है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि धारा 85 के तहत एक योग्यता, वक्फ की संरचना कि एक व्यक्ति को इस्लामी विद्वान होना चाहिए, को भी हटा दिया गया है। बता दें, 2019 में दूसरी बार सत्ता में आने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने ऐसे बड़े फैसले लागू किए हैं। इसमें तीन तलाक उन्मूलन, यूसीसी और अब वक्फ बिल शामिल हो गया है। मोदी सरकार ने इन्हें समय और परिस्थिति के अनुरुप लिया गया प्रगतिशील फैसला बताया है. सरकार ने तर्क दिया कि ये फैसले सुधार और समानता की दिशा में बढ़ाए गए कदम हैं. तत्कालीन कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 28 दिसंबर, 2017 को लोकसभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 पेश किया था. बीजेपी ने कहा कि इस बिल का उद्देश्य तीन तलाक को अवैध घोषित करना था. यह विधेयक मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें उनके पतियों द्वारा मनमाने ढंग से तलाक दिए जाने से बचाने के लिए था. विधेयक में ऐसा करने वाले शौहर के लिए 3 साल तक की सजा का प्रावधान था. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त 2017 को तीन तलाक को असंवैधानिक ठहराया था, जिसके बाद सरकार ने इसे आपराधिक बनाने के लिए कानून बनाया. ये बिल जुलाई 2019 में कानून बना. उस वक्त कई महिला संगठनों ने इस कानून का सपोर्ट किया और कहा कि ये मुस्लिम महिलाओं को अधिकार देता है और उनकी सामाजिक स्थिति को मजबूत करता है.


तीन तलाक उन्मूलन के बाद दिसंबर 2019 में में मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून पारित किया। इसका उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता देना था. इस कानून के दायरे से मुस्लिमों को बाहर रखा गया. मुस्लिमों ने इसी को लेकर इसका विरोध किया और इस कानून विभाजनकारी और भेदभाव वाला बताया. लेकिन कुछ कर नहीं सके। सरकार ने तर्क दिया कि यह कानून धार्मिक उत्पीड़न से पीड़ित अल्पसंख्यकों को शरण देने के लिए है न कि मुस्लिमों के खिलाफ है. इस कानून से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी. इसी तरह यूनिफॉर्म सिविल कोड बीजेपी सरकार का अहम एजेंडा है. बीजेपी अपने घोषणापत्र में भी इसका जिक्र करती आई है. केंद्रीय स्तर पर अभी तक कानून नहीं बना है. लेकिन मोदी सरकार ने इसे लागू करने की दिशा में इरादा जताया है. बीजेपी शासित उत्तराखंड में लागू हो गया है. जबकि गुजरात इस कानून को लागू करने की तैयारी में है. उसका कहना है कि यूसीसी सभी धर्मों के लिए एक समान व्यक्तिगत कानून (विवाह, तलाक, उत्तराधिकार आदि) की बात करता है. सरकार का तर्क है कि यूसीसी से लैंगिक समानता और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देगा. संविधान के अनुच्छेद 44 में भी इसका उल्लेख है. अब इन तीन कदमों के बाद नरेंद्र मोदी सरकार वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 के साथ आगे बढ़ गई है. पहली बार अगस्त 2024 में लोकसभा में पेश किया गया यह बिल वक्फ बोर्ड के प्रबंधन और संपत्तियों में सुधार के लिए है, इसमें गैर--मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने, संपत्ति सर्वेक्षण और पारदर्शिता जैसे प्रावधान हैं. केंद्र सरकार का तर्क है कि इस कानून का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों में भ्रष्टाचार और दुरुपयोग को रोकना साथ ही महिलाओं और पिछड़े मुस्लिमों को लाभ पहुंचाना है.

कोई टिप्पणी नहीं:

undefined

संपर्क फ़ॉर्म

नाम

ईमेल *

संदेश *