- महाष्टमी पर कन्या भोज, हवन, भोग और महानिशा आरती का आयोजन
- नवमी पर किया जाएगा दो सौ कन्याओं का पूजन के साथ महिलाओं को सुहाग की सामग्री का वितरण
जिला संस्कार मंच के जिला संयोजक मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में इन दिन का सबसे ज्यादा महत्व है। महाअष्टमी पर देवी दुर्गा के महागौरी रूप की पूजा की जाती है। इनकी आराधना से कठिन से कठिन काम भी संभव हो जाते हैं, सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है और भक्त की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी पार्वती ने कठोर तप किया था. इससे उनका शरीर काला पड़ गया था। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव इन्हें पत्नी रूप में स्वीकार करते हैं और इनके शरीर को गंगाजल से धोया जाता है। इससे वे विद्युत के समान कांतिमान हो जाती हैं। वे गौरवर्ण हैं इसलिए उन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है। महाअष्टमी के दिन देवी दुर्गा के चार हाथों में से दो हाथ आशीर्वाद देने की मुद्रा में होते हैं और दो हाथों में डमरू और त्रिशूल रहता है. महागौरी सफेद या हरा वस्त्र धारण करती हैं। इस दिन देवी दुर्गा के अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की जाती है। शस्त्रों के प्रदर्शन के कारण इस दिन को वीराष्टमी भी कहा जाता है। अष्टमी पर लाल फूल, लाल चंदन, दिया और धूप जैसी चीजों से मां दुर्गा का पूजन करते हैं. दुर्गा सप्तशती के पाठ का आज विशेष महत्व है।
आज किया जाएगा विशाल भंडारे का आयोजन
प्रसिद्ध मरीह माता मंदिर में हर साल की तरह चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर नवमीं पर मंदिर परिसर में जारी शतचंडी यज्ञ सुबह सात बजे से आरंभ किया जाएगा और उसके पश्चात सुबह दस बजे हवन की पूर्णाहुति के उपरांत विशाल भंडारे का शुभारंभ किया जाएगा। भंडारे में हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होंगे। मंदिर के व्यवस्थापक श्री मेवाड़ा सहित अन्य ने श्रद्धालुओं से शामिल होने की अपील की है।
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