वाराणसी : इंडिया कार्पेट एक्सपो से कारपेट इंडस्ट्री को मिलेगी ऊंचाइयां : उमेश गुप्ता - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 13 अप्रैल 2025

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वाराणसी : इंडिया कार्पेट एक्सपो से कारपेट इंडस्ट्री को मिलेगी ऊंचाइयां : उमेश गुप्ता

  • अंतर्राष्ट्रीय मेला कालीन उद्योग के लिए संजीवनी साबित होगी : वासिफ अंसारी
  • जर्मनी फ्रंकफर्ट डोमोटेक्स कैंसिल होने का मिलेगा पूरा फायदा : रोहित गुप्ता

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भदोही/वाराणसी (सुरेश गांधी)। कालीन निर्यातक संवर्धन परिषद (सीईपीसी) की ओर से आयोजित चार दिवसीय इंडिया कार्पेट एक्सपो की पूर्व संध्या पर निर्यातकों ने कहा, इस मेले से कालीन उद्योग को नयी ऊंचाइयां मिलेगी। डोमोटेक्स निरस्त होने का भी फायदा इस मेले में स्टॉल लगाने वाले निर्यातकों को मिलेगा। इसकी बड़ी वजह है कि बड़ी संख्या में विदेशी आयात भारत पहुंच चुके है। दावा है कि इस चार दिनों में 500 करोड़ से ज्यादा कारोबार होने की उम्मीद है। इससे सीईपीसी के प्रशासनिक समिति के सदस्य भी काफी उत्साहित थे। उनका कहना है कि इस बार बीते साल की अपेक्षा ज्यादा आयातकों ने पंजीकरण कराया है। हालांकि सीईपीसी के अनुसार फेयर में आने वाले आयातक यहां से जाने के बाद तमाम आर्डर देते हैं। लेकिन फिर भी आने वाले चार से पांच महीने में फेयर से 400 से 500 करोड़ का कारोबार में परिवर्तित होगा। प्रशासनिक समिति के सदस्य मो. वासिफ अंसारी, अनिल कुमार सिंह, असलम महबूब, रोहित गुप्ता, व दीपक खन्ना ने बताया कि मेला इस बार अच्छा होगा। पूरे देश से भदोही परीक्षेत्र में सबसे अधिक कालीन का निर्यात होता है. इस मेले में भारत में आने वाले विदेशी कालीन खरीदारों के बीच भारतीय हस्तनिर्मित कालीनों और अन्य फर्श कवरिंग की सांस्कृतिक विरासत और बुनाई कौशल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इंडिया कार्पेट एक्सपो द्वारा किया जाता है। इस आयोजन से कारपेट एक्सपोर्ट और तेज गति पकड़ेगा. भदोही खुद को दुनिया भर के कालीन खरीदारों के लिए एक महान सोर्सिंग प्लेटफॉर्म के रूप में स्थापित किया है. इस एक्पो के माध्यम से भारतीय कालीन की मांग बढ़ेगी। सीईपीसी के पूर्व सीनियर प्रशासनिक सदस्य उमेश गुप्ता ने बताया की इस फेयर से निर्यातकों एवं बुनकरों को बेहद लाभ मिलेगा. फेयर में महिला निर्यातकों ने भी स्टाल लगाए हैं। इसके अलावा इस बार परंपरागत डिजाइनों से हटकर नई डिजाइनों की कालीनें निर्यातकों ने र्प्रदर्शनी में लगायी हैं. उनका कहना है कि भारत से लगभग 16 हजार करोड़ के कालीन निर्यात होते हैं. इस बिजनेस का 60 फीसदी हिस्सा अकेले भदोही, मिर्जापुर और वाराणसी का है. भदोही को भारत का कार्पेट शहर भी कहा जाता है.


मेले की तैयारिंयां पूरी, 160 स्टॉल लगे

इस बार के फेयर में जूट कालीनों, दरियों के साथ परंपरागत हैंड नाटेड कालीनों का बोलबाला रहेगा। जूट कालीन न केवल सस्ते होते हैं बल्कि जमीन पर बिछने के बाद पैर में अलग फील देते हैं। इसके अलावा लोगों को हैंडलूम कालीनों और दरियों पर भी निर्यातकों का भरोसा बना हुआ है। निर्यातकों का कहना है कि उनके पास हर प्रकार के कालीनों की बड़ी रेंज है। खासकर जूट की वैश्विक मांग को देखते हुए इस पर अधिक फोकस किया गया है। इसके अलावा हर प्रकार के कालीनों के सेंपुलों पर महीनों काम किया गया है। इससे आयातकों की मांग अनुसार ऑर्डर तैयार करने में आसानी होती है। वैसे इस बार विभिन्न स्टॉलों पर परंपरागत कालीनों का भी प्रदर्शन रहेगा। कुछ स्टॉलों पर महंगे हैंड नाटेड कालीनों को लोगों ने प्रदर्शन के लिए रखा है। इनमें बहुत महंगे से लेकर सस्ते क्वालिटी के हैंड नाटेड कालीन लोग बनाकर लाए हैं।

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